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पत्थर दिल औलाद...बेटियां बिलखकर कहती रहीं-मां को कोरोना नहीं है, शव के लिए बेटे ने दरवाजा तक नहीं खोला

रांची में एक महिला की मौत के बाद बेटे ने उसका अंतिम संस्कार नहीं किया. दोनों बहनें भाई से दरवाजा खोलने की गुहार लगाती रहीं लेकिन उसने एक नहीं सुनी. जब सारे प्रयास विफल हो गए तब बेटियों ने ही मां का अंतिम संस्कार किया.

Son did not open door after mother's death in Ranchi
रांची में मां की मौत के बाद बेटे ने नहीं खोला दरवाजा
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Published : May 21, 2021, 7:55 PM IST

Updated : May 21, 2021, 11:05 PM IST

रांची: एक महिला की मौत हो गई जिसके बाद उसका शव घंटों एंबुलेंस में पड़ा रहा. बेटियां गुहार लगाती रही कि "भाई एक बार दरवाजा खोल दो. मां की इच्छा थी कि तुम उसका अंतिम संस्कार करो. मां को कोरोना नहीं है. उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है". इतने के बावजूद भाई का दिल नहीं पिघला. अंतिम संस्कार तो दूर बेटे ने मां के शव को आंगन में रखने तक नहीं दिया. उसने साफ मना कर दिया कि मां के लिए दरवाजा नहीं खुलेगा.

देखें पूरी खबर

यह भी पढ़ें: रांची : कोरोना पीड़ित बेटे ने मां को छोड़ा, मीडिया में खबरें आई तो शर्मसार होकर ले गया घर

बेटियों ने ही किया मां का अंतिम संस्कार

दरअसल, 55 वर्षीय सांझो देवी की तबीयत खराब होने के बाद अस्पताल में इलाज चल रहा था. बेटे को शक था कि उसकी मां को कोरोना है. इसलिए बेटा अस्पताल में मां को देखने तक नहीं गया. शुक्रवार को महिला की मौत हो गई. बेटियां एंबुलेंस से शव लेकर घर पहुंची. शुरू में दोनों बहनों ने भाई को मनाने की कोशिश की, लेकिन वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हुआ. थोड़ी देर में यह विवाद बढ़ गया. मामला मारपीट तक पहुंच गया. भाई ने हिदायत तक दे डाली कि मां की लाश को गांव से दूर जलाना ताकि उन तक संक्रमण नहीं पहुंच सके. जब सारे प्रयास विफल हो गए तब बेटियों ने ही मां का अंतिम संस्कार किया.

मिली जानकारी के मुताबिक, महिला के पति की मौत पहले ही हो गई थी. पति की जगह नौकरी मिली तो बेटे को दे दिया ताकि उसका घर परिवार अच्छे से चल सके. मुन्नवर राणा एक शायरी लिखे हैं-"बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ, मां ने उठाया गोद में तो आसमान छुआ". आज उसी मां की मौत के बाद बेटे का कंधा तक नसीब नहीं है. कंधा छोड़िये बेटा मां को देखना नहीं चाहता है.

रांची: एक महिला की मौत हो गई जिसके बाद उसका शव घंटों एंबुलेंस में पड़ा रहा. बेटियां गुहार लगाती रही कि "भाई एक बार दरवाजा खोल दो. मां की इच्छा थी कि तुम उसका अंतिम संस्कार करो. मां को कोरोना नहीं है. उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है". इतने के बावजूद भाई का दिल नहीं पिघला. अंतिम संस्कार तो दूर बेटे ने मां के शव को आंगन में रखने तक नहीं दिया. उसने साफ मना कर दिया कि मां के लिए दरवाजा नहीं खुलेगा.

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बेटियों ने ही किया मां का अंतिम संस्कार

दरअसल, 55 वर्षीय सांझो देवी की तबीयत खराब होने के बाद अस्पताल में इलाज चल रहा था. बेटे को शक था कि उसकी मां को कोरोना है. इसलिए बेटा अस्पताल में मां को देखने तक नहीं गया. शुक्रवार को महिला की मौत हो गई. बेटियां एंबुलेंस से शव लेकर घर पहुंची. शुरू में दोनों बहनों ने भाई को मनाने की कोशिश की, लेकिन वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हुआ. थोड़ी देर में यह विवाद बढ़ गया. मामला मारपीट तक पहुंच गया. भाई ने हिदायत तक दे डाली कि मां की लाश को गांव से दूर जलाना ताकि उन तक संक्रमण नहीं पहुंच सके. जब सारे प्रयास विफल हो गए तब बेटियों ने ही मां का अंतिम संस्कार किया.

मिली जानकारी के मुताबिक, महिला के पति की मौत पहले ही हो गई थी. पति की जगह नौकरी मिली तो बेटे को दे दिया ताकि उसका घर परिवार अच्छे से चल सके. मुन्नवर राणा एक शायरी लिखे हैं-"बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ, मां ने उठाया गोद में तो आसमान छुआ". आज उसी मां की मौत के बाद बेटे का कंधा तक नसीब नहीं है. कंधा छोड़िये बेटा मां को देखना नहीं चाहता है.

Last Updated : May 21, 2021, 11:05 PM IST

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