रांची: जिले के चान्हो प्रखंड के पाटुक गांव में 13 वर्षीय मानसिक रूप से कमजोर बालक लक्ष्मण उरांव की जिंदगी घर में कैद होकर कट रही थी. माता-पिता उसके पैर में रस्सी बांधकर रखने को मजबूर थे. अब न्यायालय ने इस मामले का संज्ञान लिया है. इसके बाद डालसा की टीम ने उस इलाज के लिए रिनपास में भर्ती कराया है.
इलाज के अभाव में बंधा रहता है लक्ष्मण
युवक के परिजनों का कहना है कि लक्ष्मण मानसिक रूप से कमजोर हैं. उसे खुला छोड़ देने पर वह इधर-उधर भागने लगता है, जिससे उसके कुएं या गड्ढे में गिरने का डर परिजनों को लगा रहता है. इसी डर से वह किसी काम से घर से बाहर निकलते हैं तो लक्ष्मण को घर के बाहर रस्सी से बांध देते हैं. वह दिनभर वहीं पड़ा रहता है. लक्ष्मण का खाना-पीना सब कुछ ठीक-ठाक है. बोलने पर समझ भी लेता है, लेकिन स्पष्ट रूप से कुछ बोल नहीं पाता है.
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इलाज का असर
पारिवारिक स्थिति खराब होने के कारण परिजन उसका इलाज नहीं करवा पा रहे थे. लक्ष्मण के पिता एक साधारण किसान हैं. खेती-बारी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं. उनकी हैसियत इतनी नहीं थी कि वह लक्ष्मण का इलाज अपने खर्च से करा सके, इसलिए किसी डाॅक्टर से उसका इलाज नहीं करा पाए. छह-सात साल पहले जनप्रतिनिधियों की पहल पर लक्ष्मण को रिनपास में दिखाया गया था. इलाज का असर भी दिखने लगा था, लेकिन इसे लंबे समय तक जारी नहीं रखा जा सका. घर उसे वापस लाकर उसे रस्सी से बांध कर रखा जा रहा था.
परिवार को जल्द दी जाएगी सरकारी मदद
इधर, न्यायायुक्त नवनीत कुमार ने डालसा सचिव को यह निर्देश दिया है कि लक्ष्मण का तुरंत किसी अस्पताल में इलाज कराया जाय और उसके परिवार को विधिक सहायता प्रदान की जाय. डालसा सचिव की ओर से 4 सदस्यीय पीएलवी की टीम गठित की गई है, जिसमें भारती देवी, सुमन ठाकुर, तारामनी देवी और पम्मी देवी शामिल हैं. इन्हें निर्देश दिया गया कि लक्ष्मण का त्वरित इलाज कराया जाय. इसके बाद डालसा की टीम ने उनके परिवार से मिलकर उसे रिनपास में इलाज के लिए एडमिट कराया. डालसा के पीएलवी ने लक्ष्मण के परिवार से आवेदन प्राप्त किया है और जिला प्रशासन के सहयोग से जल्द ही उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा.