रांची: भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) में देश के हजारों कर्मचारी काम कर रहे हैं. इसमें कुछ मासिक वेतन पर हैं तो कुछ दैनिक वेतन पर. अधिकारियों और कर्मचारियों की बात करें तो वैसे लोगों को बीएसएनएल की तरफ से वेतन मुहैया करा दिया जाता है जो मासिक वेतन पर हैं, लेकिन जो दैनिक वेतन पर काम कर रहे हैं, उन्हें अपने हक के पैसे के लिए आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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अधिकारी से लेकर ठेकेदार तक दे रहे गोलमोल जवाब
राजधानी रांची में बीएसएनएल के कुल 200 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं और इन लोगों का करीब साल भर से ज्यादा समय से वेतन बकाया है. लेकिन, कोई इनकी सुध नहीं ले रहा है. धुर्वा स्थित बीएसएनएल कार्यालय में कार्यरत मजदूर कृष्णा कुमार बताते हैं कि पिछले 12 महीने से ज्यादा समय से उन्हें वेतन नहीं मिला है. वेतन को लेकर जब अधिकारियों के पास गुहार लगाते हैं तो अधिकारी ठेकेदार का हवाला देकर टालमटोल करते हैं. जब मजदूर ठेकेदार के पास पहुंचते हैं तो ठेकेदारों के द्वारा भी बिना जवाब दिए ही उन्हें लौटा दिया जाता है.
'मजदूरों की लाचारी का फायदा उठा रहे सरकारी संस्थान'
मजदूर रंजीत बताते हैं कि पिछले साल भर से ज्यादा समय से वेतन नहीं मिलने के कारण बच्चों की पढ़ाई और घर का कई महत्वपूर्ण काम बाधित पड़ा है. लेकिन अधिकारी मजबूरी नहीं समझ रहे हैं. बीएसएनल के आउटडोर और इंडोर के मेंटेनेंस का काम कर रहे करीब 200 मजदूर हर दिन इसी आस में काम कर रहे हैं कि शायद कल उन्हें उनका बकाया वेतन मिल जाएगा. बीएसएनएल के मजदूरों के लिए अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ आवाज उठाने वाले सीटू मजदूर यूनियन के नेता भवन सिंह बताते हैं कि बीएसएनएल सरकारी संस्थान है और सरकारी संस्थानों में अगर मजदूरों का शोषण होता है तो यह एक अपराध है. लेकिन वर्तमान में मजदूर लाचार हैं और सरकार कुछ नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि मैन पावर के नाम पर आए दिन मजदूरों को काम से निकाल दिया जाता है.
जीएम बोले-कंपनी की लापरवाही के चलते नहीं मिल रहा वेतन
इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जब बीएसएनल के जनरल मैनेजर यूपी साहू से बात करने की कोशिश की तो वे कैमरे के सामने से कुछ भी बोलने से बचते नजर आए. उन्होंने ऑफ कैमरा बताया कि दैनिक भोगी मजदूरों के वेतन की जिम्मेदारी ओरियन नाम की कंपनी को दी गई थी. लेकिन कंपनी की लापरवाही की वजह से मजदूरों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है. मजदूरों की समस्या को देखते हुए ठेकेदारों पर सख्ती बरती गई है ताकि जल्द से जल्द बिलिंग का काम पूरा कर दैनिक मजदूरों के वेतन का भुगतान किया जा सके.