रांची: झारखंड के साइबर अपराधी पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. हर दिन नए तरीके से साइबर अपराध को अंजाम देकर पुलिस के सामने साइबर अपराध एक बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं. आलम ये है कि अब साइबर अपराधियों ने जेल में ही सेंधमारी कर डाली है. जेल में बंद कैदियों के डाटा को चुराकर साइबर अपराधी अब ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. साइबर अपराधियों के निशाने पर कैदियों के परिजन हैं.
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क्या है पूरा मामला: साइबर अपराधी जेल में बंद कैदियों के डेटा को उड़ा कर उनके परिजनों को फोन कर उनके इलाज के नाम पर ठगी शुरू कर चुके है. रांची जेल में बंद आधा दर्जन से अधिक कैदियों के परिजनों को साइबर अपराधियों ने फोन कर यह जानकारी दी कि जेल में बंद उनके परिजन के साथ मारपीट हुई है और वह बुरी तरह से जख्मी है उनके इलाज के लिए पैसों की जरूरत है. कुछ परिजनों ने आनन-फानन में फोन करने वाले के द्वारा दिए गए अकाउंट में पैसे भी ट्रांसफर कर दिए. कुछ दिन बाद जब जेल में बंद अपने परिजन के स्वास्थ्य की जानकारी के लिए पैसे ट्रांसफर करने वाले ने जेल में फोन किया तब उन्हें जानकारी मिली कि उनके परिजन के साथ ऐसी कोई घटना नहीं घटी है वह तो बिल्कुल स्वस्थ है.
कैसे आया मामला सामने: रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में दिलीप मुंडा नाम का एक कैदी सजा काट रहा है. बुधवार को उसकी पत्नी को एक व्यक्ति ने फोन कर उसके घायल होने की खबर दी और दिलीप के इलाज के नाम पर फोन करने वाले ने 10 हजार मांगे. फोन करने वाले की बात सुनकर दिलीप की पत्नी परेशान हो गई, तभी ठग ने उससे अपना फोन पे का नंबर दिया और पैसे ट्रांसफर करने को कहा. आनन-फानन में पीड़िता ने ठग को अपने फोन पे से 2200 रुपए की राशि तुरंत ट्रांसफर कर दी, इसके बाद दिलीप की पत्नी ने अपने रिश्तेदारों को बोलकर ठग के खाते में कुल सात हजार रुपए ट्रांसफर करवाया. दूसरे दिन जब दिलीप की पत्नी ने जेल फोन कर अपने पति का हाल चाल जानना चाहा तब उन्हें पता चला कि उनके पति बिल्कुल स्वस्थ हैं उनके साथ ऐसा कोई हादसा ही नहीं हुआ है.
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रोहित के परिजन से ठगी का प्रयास: वहीं रांची जेल में ही रोहित प्रसाद नाम के एक कैदी भी बंद है. कुछ दिन पहले उसके परिजनों को भी साइबर ठगों ने फोन किया था. उनसे भी ठगों ने रोहित के घायल होने की जानकारी दी थी और दस हजार रुपए ट्रांसफर करने को कहा था. परिजनों ने ठग से कहा कि वह जेल प्रशासन से बात करने के बाद उसे राशि देगा. जब परिजनों ने जेल प्रशासन से संपर्क किया तो ठगों की बात पूरी तरह से झूठ निकली.
आवेदन देने के बाद होगी कर्रवाई: वहीं जेल प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ठगी के शिकार कैदियों के परिजनों से मामले में तुरंत आवेदन देने को कहा है ताकि इसे लेकर थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई जा सके. जेल में बंद कैदियों के परिजनों को भी यह जानकारी दी जा रही है कि अगर उन्हें किसी तरह का फोन उनके परिजनों को लेकर आता है तो वह पहले जेल वाले नंबर पर फोन कर उसे कंफर्म करें. जेल में सभी कैदियों के लिए इलाज की सुविधा मुफ्त है. ऐसे में कभी भी किसी के द्वारा पैसे की मांग नहीं की जाती है जो कैदी गंभीर रूप से बीमार होते हैं उन्हें जेल के डॉक्टर के द्वारा परामर्श देने के बाद इलाज के लिए बाहर भी भेजा जाता है.