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इंटरनेट पर फैला है साइबर अपराधियों का मायाजाल, जानिए क्या हैं बचाव के तरीके

इंटरनेट पर साइबर अपराधियों ने अपना भ्रम जाल फैला कर रखा है. इसके जरिए वे लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. जब भी कोई व्यक्ति टोल फ्री नंबर के लिए इंटरनेट पर सर्च करता है तो उसमें कई नंबर साइबर अपराधियों के होते हैं. इससे बचाव के लिए इन बातों को ध्यान में रखना जरूरी है.

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Published : Dec 11, 2020, 4:53 PM IST

Updated : Dec 12, 2020, 10:42 AM IST

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इंटरनेट पर फैला है साइबर अपराधियों का मायाजाल

रांची: साइबर अपराधी हर दिन अपनी नई तकनीक के जरिए लोगों की गाढ़ी कमाई उड़ाने में लगे हुए हैं. खासकर इंटरनेट पर साइबर अपराधियों ने अपना भ्रम जाल फैला कर रखा है. इसके जरिए वे लोगों को लगातार ठग रहे हैं. जब भी कोई शख्स किसी कंपनी या फिर बैंक के टोल फ्री नंबर के लिए इंटरनेट पर सर्च करता है तो उसमें कई नंबर साइबर अपराधियों की ओर से ही डाले हुए मिलते हैं. नंबर पर फोन करने के बाद साइबर अपराधी स्क्रीन शेयरिंग कर फोन करने वाले के खाते से पैसे उड़ा लेते हैं.

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साइबर अपराधियों के जाल से बचाव

ऐसे करते हैं ठगी

दरअसल, साइबर अपराधियों ने बड़ी-बड़ी नामी ई-कॉमर्स कंपनी, मोबाइल कंपनी और बैंकों की वेबसाइट और ऐप का क्लोन बना लिया है. इंटरनेट पर ऐसी फर्जी वेबसाइट और हेल्पलाइन नंबरों की भरमार है. साइबर अपराधियों की ओर से बनाए गए वेबसाइट आपको ओरिजिनल वेबसाइट के जैसे ही लगेंगे. रांची के सिटी एसपी सौरभ ने बताया कि साइबर अपराधी गूगल एडवर्ड्स के जरिए अपने फर्जी साइट्स और हेल्पलाइन नंबरों को ट्रेंड करा देते हैं. ऐसे में आप जब भी इंटरनेट पर सर्च कर हेल्पलाइन नंबर या फिर किसी की जानकारी लेते हैं तो उसमें आपको साइबर अपराधियों की ओर से बनाए गए हेल्पलाइन नंबर और ऐप्स भी नजर आते हैं. जैसे ही फर्जी हेल्पलाइन नंबर पर किसी बात की जानकारी के लिए या फिर मदद के लिए फोन किया जाता है. साइबर अपराधी उधर से स्क्रीन शेयरिंग के लिए बोलते हैं. स्क्रीन शेयरिंग करते ही आपके हाथों से संबंधित जानकारी साइबर अपराधियों के हाथ लग जाती है और वे आप के खातों से पैसे गायब कर देते हैं.

जानकारी देते एसपी सिटी सौरभ

ये भी पढ़ें-हमारी सुनो सरकारः बुनियादी सुविधाओं से महरूम चतरा के किसान, फसल के लिए सिंचाई नहीं-गोदाम नहीं

क्या-क्या बरतें सावधानी

अगर वेबसाइट के आगे https नहीं लगा है तो समझ जाइए यह फर्जी वेबसाइट है. सिर्फ उन्हीं ऑनलाइन वेबसाइट से खरीदारी करें जो सुरक्षित हो. रजिस्टर्ड वेबसाइट के यूआरएल के सामने हमेशा लॉक लगा होता है. इसे जरूर चेक कर लें. रजिस्टर्ड वेबसाइट के होम पेज पर जाकर कांटेक्ट पर क्लिक करें, अगर यहां आपको एड्रेस जैसी जानकारी ना मिले तो ऐसी साइट से शॉपिंग करने से बचें. खरीदारी करते वक्त कार्ड की जानकारी शेयर ना करें. कार्ड डिटेल शेयर होने से सबसे ज्यादा खतरा रहता है. बैंक या फिर किसी भी तरह के हेल्पलाइन नंबर की तलाश इंटरनेट से ना करें.

ये बरतें सावधानी

आपके एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड या फिर पासबुक पर बैंकों से संबंधित टोल फ्री नंबर मौजूद रहते हैं, हमेशा उनका प्रयोग करें. विशेष परिस्थिति में बैंक का नंबर रखें. अगर जरूरत पड़े तो वहां फोन करके हेल्पलाइन नंबर प्राप्त करें. ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करते समय साइट के सुरक्षित होने का संकेत भी देख लें. जैसे ब्राउजजर स्टेटस बार पर लॉक आइकन या 'https' यूआरएल, जहां 'एस' उनके सुरक्षित होने की पहचान है. अनजान व्यक्ति के सिस्टम से लेनदेन ना करें.

बैंक में मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी जरूर कराएं रजिस्टर

बैंक में अपना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी जरूर रजिस्टरर्ड करवाएं और इसे बीच-बीच में चेक करते रहें. डेबिट कार्ड से रकम निकासी या किसी खरीदारी पर मैसेज और ईमेल आते रहे, इसका विशेष ध्यान रखें. अपने बैंक स्टेटमेंट को नियमित रूप से चेक करें. खाता अपडेट कराएं. नेट बैंकिंग में 13 डिजिट का सिक्योर पासवर्ड जरूर रखें. थोड़ा सा भी संदेह होने पर अपना पासवर्ड बदलते रहे. पासवर्ड को याद रखें. उसे कहीं लिखकर ना रखें. अगर आपके अकाउंट में कोई ऐसा ट्रांजैक्शन दिखता है, जो आपने नहीं किया है तो उस बारे में तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें.

रांची: साइबर अपराधी हर दिन अपनी नई तकनीक के जरिए लोगों की गाढ़ी कमाई उड़ाने में लगे हुए हैं. खासकर इंटरनेट पर साइबर अपराधियों ने अपना भ्रम जाल फैला कर रखा है. इसके जरिए वे लोगों को लगातार ठग रहे हैं. जब भी कोई शख्स किसी कंपनी या फिर बैंक के टोल फ्री नंबर के लिए इंटरनेट पर सर्च करता है तो उसमें कई नंबर साइबर अपराधियों की ओर से ही डाले हुए मिलते हैं. नंबर पर फोन करने के बाद साइबर अपराधी स्क्रीन शेयरिंग कर फोन करने वाले के खाते से पैसे उड़ा लेते हैं.

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साइबर अपराधियों के जाल से बचाव

ऐसे करते हैं ठगी

दरअसल, साइबर अपराधियों ने बड़ी-बड़ी नामी ई-कॉमर्स कंपनी, मोबाइल कंपनी और बैंकों की वेबसाइट और ऐप का क्लोन बना लिया है. इंटरनेट पर ऐसी फर्जी वेबसाइट और हेल्पलाइन नंबरों की भरमार है. साइबर अपराधियों की ओर से बनाए गए वेबसाइट आपको ओरिजिनल वेबसाइट के जैसे ही लगेंगे. रांची के सिटी एसपी सौरभ ने बताया कि साइबर अपराधी गूगल एडवर्ड्स के जरिए अपने फर्जी साइट्स और हेल्पलाइन नंबरों को ट्रेंड करा देते हैं. ऐसे में आप जब भी इंटरनेट पर सर्च कर हेल्पलाइन नंबर या फिर किसी की जानकारी लेते हैं तो उसमें आपको साइबर अपराधियों की ओर से बनाए गए हेल्पलाइन नंबर और ऐप्स भी नजर आते हैं. जैसे ही फर्जी हेल्पलाइन नंबर पर किसी बात की जानकारी के लिए या फिर मदद के लिए फोन किया जाता है. साइबर अपराधी उधर से स्क्रीन शेयरिंग के लिए बोलते हैं. स्क्रीन शेयरिंग करते ही आपके हाथों से संबंधित जानकारी साइबर अपराधियों के हाथ लग जाती है और वे आप के खातों से पैसे गायब कर देते हैं.

जानकारी देते एसपी सिटी सौरभ

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क्या-क्या बरतें सावधानी

अगर वेबसाइट के आगे https नहीं लगा है तो समझ जाइए यह फर्जी वेबसाइट है. सिर्फ उन्हीं ऑनलाइन वेबसाइट से खरीदारी करें जो सुरक्षित हो. रजिस्टर्ड वेबसाइट के यूआरएल के सामने हमेशा लॉक लगा होता है. इसे जरूर चेक कर लें. रजिस्टर्ड वेबसाइट के होम पेज पर जाकर कांटेक्ट पर क्लिक करें, अगर यहां आपको एड्रेस जैसी जानकारी ना मिले तो ऐसी साइट से शॉपिंग करने से बचें. खरीदारी करते वक्त कार्ड की जानकारी शेयर ना करें. कार्ड डिटेल शेयर होने से सबसे ज्यादा खतरा रहता है. बैंक या फिर किसी भी तरह के हेल्पलाइन नंबर की तलाश इंटरनेट से ना करें.

ये बरतें सावधानी

आपके एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड या फिर पासबुक पर बैंकों से संबंधित टोल फ्री नंबर मौजूद रहते हैं, हमेशा उनका प्रयोग करें. विशेष परिस्थिति में बैंक का नंबर रखें. अगर जरूरत पड़े तो वहां फोन करके हेल्पलाइन नंबर प्राप्त करें. ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करते समय साइट के सुरक्षित होने का संकेत भी देख लें. जैसे ब्राउजजर स्टेटस बार पर लॉक आइकन या 'https' यूआरएल, जहां 'एस' उनके सुरक्षित होने की पहचान है. अनजान व्यक्ति के सिस्टम से लेनदेन ना करें.

बैंक में मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी जरूर कराएं रजिस्टर

बैंक में अपना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी जरूर रजिस्टरर्ड करवाएं और इसे बीच-बीच में चेक करते रहें. डेबिट कार्ड से रकम निकासी या किसी खरीदारी पर मैसेज और ईमेल आते रहे, इसका विशेष ध्यान रखें. अपने बैंक स्टेटमेंट को नियमित रूप से चेक करें. खाता अपडेट कराएं. नेट बैंकिंग में 13 डिजिट का सिक्योर पासवर्ड जरूर रखें. थोड़ा सा भी संदेह होने पर अपना पासवर्ड बदलते रहे. पासवर्ड को याद रखें. उसे कहीं लिखकर ना रखें. अगर आपके अकाउंट में कोई ऐसा ट्रांजैक्शन दिखता है, जो आपने नहीं किया है तो उस बारे में तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें.

Last Updated : Dec 12, 2020, 10:42 AM IST
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