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'डिजिटल डकैत' की नई चाल, हॉस्पिटल का फोन नंबर हैक कर लगा रहे लोगों को चूना

रांची के लालपुर स्थित केसी रॉय मेमोरियल हॉस्पिटल के फोन नंबर को हैक कर लिया गया था. इसका खुलासा ईटीवी भारत की टीम ने किया है. खास बात है कि अस्पताल प्रबंधन को इसकी जानकारी तक नहीं थी.

Cyber criminals, साइबर अपराधी
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Published : Feb 22, 2020, 10:57 PM IST

Updated : Feb 22, 2020, 11:51 PM IST

रांची: डिजिटल क्रांति के दौर में साइबर अपराधियों का नया पैंतरा सामने आया है.साइबर अपराधी अब अस्पतालों के फोन नंबर को भी हैक करने लगे हैं. रांची के लालपुर स्थित केसी रॉय मेमोरियल हॉस्पिटल के फोन नंबर को हैक कर लिया गया था. इसका खुलासा ईटीवी भारत की टीम ने किया है. खास बात है कि अस्पताल प्रबंधन को इसकी जानकारी तक नहीं थी.

देखें पूरी खबर

अस्पताल प्रबंधन के उड़े होश

दरअसल, 22 फरवरी की सुबह ईटीवी भारत के वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने अपने परिजन के इलाज के लिए केसी रॉय मेमोरियल हॉस्पिटल को फोन किया. फोन किसी शख्स ने उठाया और कहा कि डॉक्टर का अपॉइंटमेंट लेने से पहले आपको ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा इसके लिए आपको सिर्फ 5 रूपए देने होंगे. उसने यह भी कहा कि आपको 5 रूपए देने के लिए पेटीएम या गूगल पे का इस्तेमाल करना होगा. साइबर अपराधी ने बताया कि आपको एक लिंक भेजा जाएगा और लिंक खोलकर आप जैसे ही 5 रूपए ट्रांसफर करेंगे, आपका अस्पताल में रजिस्ट्रेशन हो जाएगा और आप मनचाहे डॉक्टर से इलाज करा सकेंगे. यह बात थोड़ी अटपटी लगी, शक होने पर हमारे वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह सीधे केसी रॉय मेमोरियल हॉस्पिटल जा पहुंचे. जब उन्होंने वहां पड़ताल की तो पता चला कि ऐसी कोई व्यवस्था यहां है ही नहीं.

ये भी पढ़ें- यहां की मिट्टी उगल रही 'सोना', मृदा स्वास्थ्य कार्ड से किसान हो रहे उन्नत

अस्पताल प्रबंधन ने की थाने में शिकायत

फिर उन्होंने अस्पताल के रजिस्टर्ड नंबर पर अपने मोबाइल से फोन किया. उस वक्त अस्पताल प्रबंधन के कर्मचारी मौजूद थे. उस समय भी अस्पताल का मोबाइल रिंग होने के बजाय कहीं और रिंग हुआ. दूसरी तरफ से एक शख्स ने फोन उठाया और वही बात कही. तब अस्पताल प्रबंधन को विश्वास हुआ कि उनके रिसेप्शन का रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर हैक हो चुका है. इसके बाद फौरन अस्पताल प्रबंधन ने वोडाफोन कंपनी से संपर्क किया और मेल भेजकर मोबाइल को लॉक कराने का आग्रह किया. इसके साथ ही अस्पताल प्रबंधन ने इसकी लिखित शिकायत लालपुर थाने को भी दी.

क्या हो सकता है मकसद ?

आमतौर पर लोग अस्पतालों में डॉक्टरों की उपलब्धता की जानकारी लेने के लिए फोन करते हैं. साइबर अपराधी बखूबी जानते हैं कि किसी राय मेमोरियल हॉस्पिटल एक ट्रस्ट का दिन चलता है पर यहां बहुत कम पैसे में इलाज होता है. इसलिए अस्पताल के रजिस्टर्ड नंबर को हैक किया गया और सिर्फ 5 रूपए ट्रांसफर करने की मांग रखी ताकि लोगों को शक भी ना हो. आमतौर पर लोग पेटीएम या गूगल पे पर सामान्य खरीदारी के लिए कुछ पैसे रखते हैं. अंदेशा है कि जैसे ही साइबर अपराधियों की तरफ से भेजे गए लिंक पर 5 रूपए ट्रांसफर किए जाते तो उन्हें पेटीएम या गूगल पे की पूरी जानकारी मिल जाती और पैसे उड़ा लिए जाते.

ये भी पढ़ें- कितना बढ़िया 'नया झरिया', जानिए बेलगड़िया टाउनशिप की 'हकीकत'

ईटीवी भारत को अस्पताल प्रबंधन ने दिया धन्यवाद

केसी राय मेमोरियल अस्पताल प्रबंधन ने ईटीवी भारत को इस पहल के लिए धन्यवाद दिया. प्रबंधन की ओर से बताया गया कि उन्हें थोड़ी सी भी इसकी जानकारी नहीं थी. कहा गया कि अगर ईटीवी भारत की ओर से पहल नहीं की गई होती तो पता नहीं कितने मरीजों को साइबर अपराधी चूना लगा जाते.

अस्पतालों में फोन करने से पहले रहें सावधान

आमतौर पर मरीज के परिजन अस्पतालों में फोन कर डॉक्टरों की जानकारी लेते हैं और उसके बाद अस्पताल पहुंचते हैं. केसी रॉय मेमोरियल हॉस्पिटल की तरफ से बताया गया कि अगर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कहीं होता है तो वह उसके साइट पर होता है. इससे साफ है कि साइबर अपराधी अब मरीजों की मजबूरी का भी फायदा उठाने में जुटे हैं.

रांची: डिजिटल क्रांति के दौर में साइबर अपराधियों का नया पैंतरा सामने आया है.साइबर अपराधी अब अस्पतालों के फोन नंबर को भी हैक करने लगे हैं. रांची के लालपुर स्थित केसी रॉय मेमोरियल हॉस्पिटल के फोन नंबर को हैक कर लिया गया था. इसका खुलासा ईटीवी भारत की टीम ने किया है. खास बात है कि अस्पताल प्रबंधन को इसकी जानकारी तक नहीं थी.

देखें पूरी खबर

अस्पताल प्रबंधन के उड़े होश

दरअसल, 22 फरवरी की सुबह ईटीवी भारत के वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने अपने परिजन के इलाज के लिए केसी रॉय मेमोरियल हॉस्पिटल को फोन किया. फोन किसी शख्स ने उठाया और कहा कि डॉक्टर का अपॉइंटमेंट लेने से पहले आपको ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा इसके लिए आपको सिर्फ 5 रूपए देने होंगे. उसने यह भी कहा कि आपको 5 रूपए देने के लिए पेटीएम या गूगल पे का इस्तेमाल करना होगा. साइबर अपराधी ने बताया कि आपको एक लिंक भेजा जाएगा और लिंक खोलकर आप जैसे ही 5 रूपए ट्रांसफर करेंगे, आपका अस्पताल में रजिस्ट्रेशन हो जाएगा और आप मनचाहे डॉक्टर से इलाज करा सकेंगे. यह बात थोड़ी अटपटी लगी, शक होने पर हमारे वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह सीधे केसी रॉय मेमोरियल हॉस्पिटल जा पहुंचे. जब उन्होंने वहां पड़ताल की तो पता चला कि ऐसी कोई व्यवस्था यहां है ही नहीं.

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अस्पताल प्रबंधन ने की थाने में शिकायत

फिर उन्होंने अस्पताल के रजिस्टर्ड नंबर पर अपने मोबाइल से फोन किया. उस वक्त अस्पताल प्रबंधन के कर्मचारी मौजूद थे. उस समय भी अस्पताल का मोबाइल रिंग होने के बजाय कहीं और रिंग हुआ. दूसरी तरफ से एक शख्स ने फोन उठाया और वही बात कही. तब अस्पताल प्रबंधन को विश्वास हुआ कि उनके रिसेप्शन का रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर हैक हो चुका है. इसके बाद फौरन अस्पताल प्रबंधन ने वोडाफोन कंपनी से संपर्क किया और मेल भेजकर मोबाइल को लॉक कराने का आग्रह किया. इसके साथ ही अस्पताल प्रबंधन ने इसकी लिखित शिकायत लालपुर थाने को भी दी.

क्या हो सकता है मकसद ?

आमतौर पर लोग अस्पतालों में डॉक्टरों की उपलब्धता की जानकारी लेने के लिए फोन करते हैं. साइबर अपराधी बखूबी जानते हैं कि किसी राय मेमोरियल हॉस्पिटल एक ट्रस्ट का दिन चलता है पर यहां बहुत कम पैसे में इलाज होता है. इसलिए अस्पताल के रजिस्टर्ड नंबर को हैक किया गया और सिर्फ 5 रूपए ट्रांसफर करने की मांग रखी ताकि लोगों को शक भी ना हो. आमतौर पर लोग पेटीएम या गूगल पे पर सामान्य खरीदारी के लिए कुछ पैसे रखते हैं. अंदेशा है कि जैसे ही साइबर अपराधियों की तरफ से भेजे गए लिंक पर 5 रूपए ट्रांसफर किए जाते तो उन्हें पेटीएम या गूगल पे की पूरी जानकारी मिल जाती और पैसे उड़ा लिए जाते.

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ईटीवी भारत को अस्पताल प्रबंधन ने दिया धन्यवाद

केसी राय मेमोरियल अस्पताल प्रबंधन ने ईटीवी भारत को इस पहल के लिए धन्यवाद दिया. प्रबंधन की ओर से बताया गया कि उन्हें थोड़ी सी भी इसकी जानकारी नहीं थी. कहा गया कि अगर ईटीवी भारत की ओर से पहल नहीं की गई होती तो पता नहीं कितने मरीजों को साइबर अपराधी चूना लगा जाते.

अस्पतालों में फोन करने से पहले रहें सावधान

आमतौर पर मरीज के परिजन अस्पतालों में फोन कर डॉक्टरों की जानकारी लेते हैं और उसके बाद अस्पताल पहुंचते हैं. केसी रॉय मेमोरियल हॉस्पिटल की तरफ से बताया गया कि अगर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कहीं होता है तो वह उसके साइट पर होता है. इससे साफ है कि साइबर अपराधी अब मरीजों की मजबूरी का भी फायदा उठाने में जुटे हैं.

Last Updated : Feb 22, 2020, 11:51 PM IST
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