रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश आनंद सेन की अदालत में नक्सली मुठभेड़ में ग्रामीण मंगल होनहांगा की माैत को लेकर दोबारा दर्ज की गई प्राथमिकी को निरस्त करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रार्थी सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट शंभू कुमार विश्वास के खिलाफ पीड़क कार्रवाई करने पर रोक लगा दी. वहीं राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दायर करने का निर्देश दिया है, साथ ही केस रिकॉर्ड, केस डायरी सहित अन्य सभी दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि घटना में चाईबासा के छोटा नगरा थाना में घटना को लेकर लगभग 20 महीने बाद दोबारा प्राथमिकी (09/2012) दर्ज की गई, जो दुर्भावना से प्रेरित है, इस मामले में 23 सितंबर 2020 को गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया है, सीआरपीएफ के कोर्ट मार्शल में क्लीन चिट दी गई है. इसमें ग्रामीण की माैत सीआरपीएफ की गोली से नहीं हुआ पाया गया. प्रार्थी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जिस गोली का जिक्र है, उस गोली का उपयोग सीआरपीएफ के ओर से नहीं की जाती है. उन्होंने दोबारा दर्ज की गई प्राथमिकी को निरस्त करने का आग्रह किया है. प्रार्थी शंभू कुमार विश्वास ने क्रिमिनल क्वैशिंग याचिका दायर की है. उन्होंने कांड संख्या 09/2012 के तहत दर्ज प्राथमिकी व आरोपों को निरसत करने की मांग की है.
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29 जून 2011 को सारंडा जंगल में नक्सली मुठभेड़ हुई थी. 30 जून 2011 को चाईबासा के छोटा नगरा थाना में घटना को लेकर कांड संख्या 06/2011 के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई थी. घटना की मजिस्ट्रेट जांच के बाद पुलिस ने फाइनल फार्म जमा कर दिया. छोटा नगरा थाना में ही कांड संख्या 09/2012 के तहत घटना को लेकर दोबारा प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसमें सीआरपीएफ के अधिकारियों और जवानों को आरोपी बनाया गया.