रांची: स्थापना अनुमति नहीं लेने और स्थापना अनुमति की नियमावली में अंकित किए गए प्रावधानों का पालन नहीं करने वाले झारखंड के 550 स्कूल-इंटर कॉलेज को मिलने वाला अनुदान बंद हो सकता है. इसे लेकर जैक की ओर से इशारा किया गया है. शिक्षा विभाग के निर्देश पर झारखंड एकेडमिक काउंसिल की ओर से ऐसे स्कूल-कॉलेजों की स्थापना अनुमति रद्द करने की तैयारी की जा रही है.
जैक अधिकारियों के साथ शिक्षा मंत्री राज्य में संबद्ध प्राप्त स्कूल-कॉलेजों के अलावा अनुदान पर भी स्कूल और इंटर कॉलेज संचालित हैं. ऐसे में 550 स्कूल और इंटर कॉलेजों के अनुदान पर संकट रहा है. कारण है ऐसे स्कूल और कॉलेज सरकार की ओर से जारी स्थापना अनुमति को रिन्युअल नहीं करना और नियमावली में अंकित प्रावधानों का उल्लंघन करना. राज्य में ऐसे 550 स्कूल और कॉलेज है जो पिछले 11 वर्षों से स्थापना अनुमति लिया ही नहीं है. ऐसे संस्थानों को सरकार ने चलाने से असमर्थता जताई है. साथ ही शिक्षा विभाग के निर्देश पर जैक ऐसे स्कूल कॉलेजों की स्थापना अनुमति रद्द करने की तैयारी में भी है.
हर साल दिया जाता है अनुदानसरकार स्थापना अनुमति प्राप्त स्कूल कॉलेजों को 14.4 लाख रुपए का सालाना अनुदान देती है. इसमें भी छात्रों की संख्या के अनुसार विभिन्न वर्गों के लिए अनुदान की राशि दी जाती है. जहां बच्चों की संख्या 500 से कम होती है, वहां करीब 6.4 लाख रुपये की सालाना राशि दी जाती है. शिक्षा विभाग की ओर से झारखंड एकेडमिक काउंसिल को विशेष दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा गया है कि बिना स्थापना की अनुमति के किसी भी स्कूल-कॉलेज को वित्तीय वर्ष 2020- 21 का अनुदान नहीं दिया जाएगा.
जैक ने दिया अंतिम मौकाऐसे स्कूल और कॉलेजों को जल्द से जल्द झारखंड एकेडमिक काउंसिल चिंहित करें. सरकार की ओर से सिर्फ वैसे ही हाई स्कूलों का अनुदान दिया जाएगा जो विभाग के नियमावली 2008 के तहत संचालित है. इधर जैक ने एक अधिसूचना जारी कर ऐसे संस्थानों को 25 अगस्त तक स्थापना अनुमति लेने के लिए अंतिम मौका दिया है.
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संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने जताया विरोध
इस पूरे मामले को लेकर झारखंड राज्य वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने विरोध जताया है. इनका मानना है कि कोरोना काल में स्कूल और कॉलेज फिलहाल बंद है. ऐसे में आवेदन देना भी कठिन है. स्थापना अनुमति के लिए आवेदन की प्रक्रिया जटिल है. इसे सरल किया जाए. ताकि समय पर स्थापना की अनुमति के लिए आवेदन दिया जा सकेगा. अगर बेवजह ऐसे स्कूल और कॉलेज को परेशान किया गया तो मोर्चा आंदोलन करने को बाध्य होगा.