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झारखंड की जेलों के जैमर नहीं हो रहे अपग्रेड, जेल से चल रहा कुख्यातों का राज पाठ! - jammer in palamu jail

झारखंड के तमाम बड़े और कुख्यात अपराधी जेल में बंद हैं. बावजूद इसके उनके गैंग्स धड़ल्ले से अपराध की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. इसका कारण है कि जेल से ही उनके सरगना आदेश देते रहते हैं. इसके पीछे की बड़ी वजह झारखंड की जेलों में जैमर अपडेट नहीं है. जिस कारण सभी अपराधी जेल से ही अपने गैंग को फोन के जरिए ऑपरेट कर रहे हैं.

Jammers of Jharkhand jails
Jammers of Jharkhand jails
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Published : Jun 24, 2023, 8:33 AM IST

देखें पूरी खबर

रांची: झारखंड के संगठित आपराधिक गिरोहों के 90 प्रतिशत मुखिया सलाखों के पीछे हैं. यह झारखंड पुलिस की कामयाबी है. लेकिन जेल में बंद वही 90 प्रतिशत गैंगस्टर वहीं से अपनी सल्तनत चला रहे हैं. यह भी एक बड़ी हकीकत है. जेल में बैठे-बैठे गैंगस्टर किसी की भी हत्या करवा देते हैं. यह उससे भी बड़ी हकीकत है. दरअसल, जेल की दुनिया बड़े अपराधियों के लिए स्वर्ग जैसा है. झारखंड के जेलों में 4G-5G जैमर लगाने की घोषणा रघुवर दास से लेकर हेमंत सरकार तक कर चुकी है, लेकिन जैमर अपडेट का काम कब पूरा होगा यह किसी को नहीं पता.

यह भी पढ़ें: Jharkhand News: झारखंड में संगठित आपराधिक गिरोहों पर कसेगा नकेल, सीआईडी अपराधियों की तैयार रही कुंडली

जैमर को लेकर प्रयास कागजों पर ही सिमटा: झारखंड के सभी जिलों में सभी प्रकार के मोबाइल नेटवर्क को बंद करने के लिए अत्याधुनिक जैमर लगाने का काम अब तक फाइलों में ही सिमटा हुआ है. नतीजा जेल के अंदर से ही कुख्यात अपराधी से लेकर छोटे-छोटे अपराधी भी जेल के बाहर अपने गुर्गो से घटनाओं को अंजाम दिलवा रहे हैं. अगर झारखंड के सभी जिलों में अत्याधुनिक जैमर लगाने का काम पूरा कर लिया जाता तो शायद बहुत हद तक जेल से चल रहे संगठित अपराधी गिरोहों पर नकेल कस जाता.

इस योजना पर हो रहा काम: ऐसा नहीं है कि अत्याधुनिक जैमर लगाने के लिए सरकार की तरफ से प्रयास नहीं किया गया है. जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, झारखंड के जेलों में सभी प्रकार के मोबाइल नेटवर्क को बंद करने के लिए टावर ऑफ हारमोनियम कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाना है. झारखंड के रामगढ़ जिले में इस तरह के जैमर का सफल डेमो भी हो चुका है, जिसमें जेल के अंदर जैमर की क्वालिटी भी टेस्ट हो चुकी है.

जैमर की हो चुकी है टेस्टिंग: केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा सर्टिफाइड बीईएएलएल (BELL) और ईसीआईएल (ECIL) के जैमर की टेस्टिंग भी हुई है. बेल की तरफ से तो रेट का कोटेशन भी दिया जा चुका है तो वहीं जेल प्रशासन को ECIL के कोटेशन का इंतजार है. जिसके आने के साथ ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट के पास भेजा जाएगा. शुरुआती चरण में इसे रांची स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार होटवार में इंस्टॉल किया जाएगा, जिसके बाद दो महीने के सफल संचालन के बाद ही झारखंड के दूसरे जेलों में इन जैमरो को इंस्टॉल करने का काम शुरू किया जाएगा.

सर्टिफाइड कंपनियों से करनी होती है जैमर की खरीद: जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, जैमर की खरीद केंद्रीय गृह मंत्रालय के ही सर्टिफाइड कंपनियों से करनी होती है और इसके लिए मात्र दो ही एजेंसियां हैं- BELL और ECIL. इन जैमरो से सिर्फ जेल की चहारदीवारी के अंदर का ही नेटवर्क जाम करना होता है. जेल के बाहर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता. इसे भी डेमो के दौरान भली भांति चेक किया गया है. इन जैमरो से मोबाइल नेटवर्क के किसी भी तरह के कॉल चाहे वो इंटरनेट कॉल हो या फिर बेसिक कॉल दोनों बाधित हो जाएंगी.

'प्रयास जारी है, जल्द होगा जैमर अपडेट': झारखंड के डीजीपी अजय कुमार सिंह यह भली भांति जानते हैं कि जेल में बंद कुख्यात अपराधी पुराना जैमर होने का फायदा उठाकर जेल से ही अपराधिक वारदातों को अंजाम दिलवा रहे हैं. डीजीपी अजय कुमार सिंह के अनुसार जैमर अपग्रेडेशन के काम के लिए जरूरी निविदाएं निपटाई जा रही है. पुलिस मुख्यालय और सरकार के लेवल से इसमें जोर शोर से काम हो रहा है. जल्द ही इसका परिणाम देखने को मिलेगा.

जेल कर्मियों को बदला गया: डीजीपी अजय कुमार सिंह ने बताया कि एक ही जेल में लंबे समय से तैनात कर्मियों को भी अब वहां से हटाया जा रहा है, ताकि अपराधी और जेल कर्मियों के नेटवर्क को तोड़ा जा सके. रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार से इसकी शुरुआत हो चुकी है. धीरे-धीरे सभी जिलों में इसे लागू किया जाएगा.

बड़े बड़े गैंगस्टर्स सलाखों के पीछे: डॉन अखिलेश सिंह, गैंगस्टर अमन साव, अमन श्रीवास्तव, अनिल शर्मा, सुजीत सिन्हा, अमन सिंह, गेंदा सिंह, विकाश तिवारी और लव कुश शर्मा यह वह नाम हैं, जिसे सुनते ही झारखंड का शायद ही कोई कारोबारी हो जो अंदर से कांप ना जाता हो. सबसे हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि यह सभी झारखंड के विभिन्न जेलों में बंद हैं. लेकिन जेल में बंद रहने के बावजूद इनके आतंक का सिक्का अभी भी चल रहा है. जेल के अंदर इन्हें वे तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो जेल के बाहर रहने पर भी मिलते हैं. समय-समय पर इन गैंगस्टर्स की जेल के अंदर से तस्वीरें और वीडियो भी वायरल होती है, जिनमें यह जेल में पार्टी करते हुए नजर आते हैं.

यह भी पढ़ें: नक्सलियों के बाद झारखंड के बदनाम गैंग्स पुलिस के रडार पर, कार्रवाई के लिए बनाई गई स्पेशल टीम

दरअसल, यह सब कुछ इसलिए हो रहा है, क्योंकि जेल कर्मियों से इनकी जबरदस्त सांठगांठ होती है. समय-समय पर जिला प्रशासन की तरफ से जेल के अंदर छापेमारी भी होती है, लेकिन उस समय मिलता कुछ नहीं है. क्योंकि प्रशासन की छापेमारी से पहले ही मोबाइल से लेकर तमाम तरह की वस्तुएं छुपा दी जाती हैं.

जैमर अपग्रेड से लगेगा ब्रेक: एक बात तो साफ है कि जब तक झारखंड के सभी जिलों में जैमर अपग्रेड का काम पूरा नहीं होगा, तब तक जेल के अंदर से अपराधियों के सल्तनत को खत्म कर पाना बेहद मुश्किल है. हाल के दिनों में अमन साव, राज वर्मा और अमन सिंह जैसे कुख्यात अपराधियों ने जेल के अंदर से ही रांची और हजारीबाग जैसे शहरों में हत्या की वारदातों को अंजाम दिलवाया है.

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रांची: झारखंड के संगठित आपराधिक गिरोहों के 90 प्रतिशत मुखिया सलाखों के पीछे हैं. यह झारखंड पुलिस की कामयाबी है. लेकिन जेल में बंद वही 90 प्रतिशत गैंगस्टर वहीं से अपनी सल्तनत चला रहे हैं. यह भी एक बड़ी हकीकत है. जेल में बैठे-बैठे गैंगस्टर किसी की भी हत्या करवा देते हैं. यह उससे भी बड़ी हकीकत है. दरअसल, जेल की दुनिया बड़े अपराधियों के लिए स्वर्ग जैसा है. झारखंड के जेलों में 4G-5G जैमर लगाने की घोषणा रघुवर दास से लेकर हेमंत सरकार तक कर चुकी है, लेकिन जैमर अपडेट का काम कब पूरा होगा यह किसी को नहीं पता.

यह भी पढ़ें: Jharkhand News: झारखंड में संगठित आपराधिक गिरोहों पर कसेगा नकेल, सीआईडी अपराधियों की तैयार रही कुंडली

जैमर को लेकर प्रयास कागजों पर ही सिमटा: झारखंड के सभी जिलों में सभी प्रकार के मोबाइल नेटवर्क को बंद करने के लिए अत्याधुनिक जैमर लगाने का काम अब तक फाइलों में ही सिमटा हुआ है. नतीजा जेल के अंदर से ही कुख्यात अपराधी से लेकर छोटे-छोटे अपराधी भी जेल के बाहर अपने गुर्गो से घटनाओं को अंजाम दिलवा रहे हैं. अगर झारखंड के सभी जिलों में अत्याधुनिक जैमर लगाने का काम पूरा कर लिया जाता तो शायद बहुत हद तक जेल से चल रहे संगठित अपराधी गिरोहों पर नकेल कस जाता.

इस योजना पर हो रहा काम: ऐसा नहीं है कि अत्याधुनिक जैमर लगाने के लिए सरकार की तरफ से प्रयास नहीं किया गया है. जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, झारखंड के जेलों में सभी प्रकार के मोबाइल नेटवर्क को बंद करने के लिए टावर ऑफ हारमोनियम कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाना है. झारखंड के रामगढ़ जिले में इस तरह के जैमर का सफल डेमो भी हो चुका है, जिसमें जेल के अंदर जैमर की क्वालिटी भी टेस्ट हो चुकी है.

जैमर की हो चुकी है टेस्टिंग: केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा सर्टिफाइड बीईएएलएल (BELL) और ईसीआईएल (ECIL) के जैमर की टेस्टिंग भी हुई है. बेल की तरफ से तो रेट का कोटेशन भी दिया जा चुका है तो वहीं जेल प्रशासन को ECIL के कोटेशन का इंतजार है. जिसके आने के साथ ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट के पास भेजा जाएगा. शुरुआती चरण में इसे रांची स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार होटवार में इंस्टॉल किया जाएगा, जिसके बाद दो महीने के सफल संचालन के बाद ही झारखंड के दूसरे जेलों में इन जैमरो को इंस्टॉल करने का काम शुरू किया जाएगा.

सर्टिफाइड कंपनियों से करनी होती है जैमर की खरीद: जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, जैमर की खरीद केंद्रीय गृह मंत्रालय के ही सर्टिफाइड कंपनियों से करनी होती है और इसके लिए मात्र दो ही एजेंसियां हैं- BELL और ECIL. इन जैमरो से सिर्फ जेल की चहारदीवारी के अंदर का ही नेटवर्क जाम करना होता है. जेल के बाहर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता. इसे भी डेमो के दौरान भली भांति चेक किया गया है. इन जैमरो से मोबाइल नेटवर्क के किसी भी तरह के कॉल चाहे वो इंटरनेट कॉल हो या फिर बेसिक कॉल दोनों बाधित हो जाएंगी.

'प्रयास जारी है, जल्द होगा जैमर अपडेट': झारखंड के डीजीपी अजय कुमार सिंह यह भली भांति जानते हैं कि जेल में बंद कुख्यात अपराधी पुराना जैमर होने का फायदा उठाकर जेल से ही अपराधिक वारदातों को अंजाम दिलवा रहे हैं. डीजीपी अजय कुमार सिंह के अनुसार जैमर अपग्रेडेशन के काम के लिए जरूरी निविदाएं निपटाई जा रही है. पुलिस मुख्यालय और सरकार के लेवल से इसमें जोर शोर से काम हो रहा है. जल्द ही इसका परिणाम देखने को मिलेगा.

जेल कर्मियों को बदला गया: डीजीपी अजय कुमार सिंह ने बताया कि एक ही जेल में लंबे समय से तैनात कर्मियों को भी अब वहां से हटाया जा रहा है, ताकि अपराधी और जेल कर्मियों के नेटवर्क को तोड़ा जा सके. रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार से इसकी शुरुआत हो चुकी है. धीरे-धीरे सभी जिलों में इसे लागू किया जाएगा.

बड़े बड़े गैंगस्टर्स सलाखों के पीछे: डॉन अखिलेश सिंह, गैंगस्टर अमन साव, अमन श्रीवास्तव, अनिल शर्मा, सुजीत सिन्हा, अमन सिंह, गेंदा सिंह, विकाश तिवारी और लव कुश शर्मा यह वह नाम हैं, जिसे सुनते ही झारखंड का शायद ही कोई कारोबारी हो जो अंदर से कांप ना जाता हो. सबसे हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि यह सभी झारखंड के विभिन्न जेलों में बंद हैं. लेकिन जेल में बंद रहने के बावजूद इनके आतंक का सिक्का अभी भी चल रहा है. जेल के अंदर इन्हें वे तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो जेल के बाहर रहने पर भी मिलते हैं. समय-समय पर इन गैंगस्टर्स की जेल के अंदर से तस्वीरें और वीडियो भी वायरल होती है, जिनमें यह जेल में पार्टी करते हुए नजर आते हैं.

यह भी पढ़ें: नक्सलियों के बाद झारखंड के बदनाम गैंग्स पुलिस के रडार पर, कार्रवाई के लिए बनाई गई स्पेशल टीम

दरअसल, यह सब कुछ इसलिए हो रहा है, क्योंकि जेल कर्मियों से इनकी जबरदस्त सांठगांठ होती है. समय-समय पर जिला प्रशासन की तरफ से जेल के अंदर छापेमारी भी होती है, लेकिन उस समय मिलता कुछ नहीं है. क्योंकि प्रशासन की छापेमारी से पहले ही मोबाइल से लेकर तमाम तरह की वस्तुएं छुपा दी जाती हैं.

जैमर अपग्रेड से लगेगा ब्रेक: एक बात तो साफ है कि जब तक झारखंड के सभी जिलों में जैमर अपग्रेड का काम पूरा नहीं होगा, तब तक जेल के अंदर से अपराधियों के सल्तनत को खत्म कर पाना बेहद मुश्किल है. हाल के दिनों में अमन साव, राज वर्मा और अमन सिंह जैसे कुख्यात अपराधियों ने जेल के अंदर से ही रांची और हजारीबाग जैसे शहरों में हत्या की वारदातों को अंजाम दिलवाया है.

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