रांची: साइबर अपराधी पुलिस के लिए हर दिन नई चुनौती पेश कर रहे है. झारखंड में पहले केवल जामताड़ा ही साइबर क्राइम को लेकर देश भर में बदनाम था, लेकिन अब धनबाद, देवघर और गिरिडीह जैसे शहरों से भी साइबर गिरोह का संचालन शुरू हो गया है. ऐसे में झारखंड में साइबर अपराध पर नकेल कसने के कवायद के तहत आठ नए जिलों में नए साइबर थाने खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
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फिलहाल छह साइबर थाने हैं राज्य में: झारखंड में साइबर अपराध से निपटने के लिए पूर्व से छह जिलों जामताड़ा, देवघर, गिरिडीह, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम जमशेदपुर और पलामू में साइबर क्राइम थाने 11 जनवरी 2013 से काम कर रहे हैं. लेकिन साइबर अपराध का दायरा हर दिन और व्यापक होता जा रहा है. ऐसे में झारखंड पुलिस मुख्यालय ने गृह विभाग को अन्य जिलों में भी साइबर थानों के सृजन का प्रस्ताव भेजा था. इस प्रस्ताव पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद सहमति मिल गई है. अब झारखंड के आठ जिलों रांची, लातेहार, हजारीबाग, दुमका, बोकारो, रामगढ़, चाईबासा और सरायकेला-खरसांवा में साइबर क्राइम थाने का गठन किया जाएगा.
क्या है प्रस्ताव में: झारखंड पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव में जिक्र है कि साइबर क्राइम थाने का प्रभारी जिलों के डीएसपी मुख्यालय को बनाया जाए. प्रत्येक जिले में डीएसपी मुख्यालय का पद होता है, ऐसे में प्रस्ताव में जिक्र है कि जिला में उपलब्ध पुलिस इंस्पेक्टरों को साइबर थाना में प्रतिनियुक्त, पदस्थापन या अतिरिक्त अनुसंधानकर्ता के तौर पर जिम्मेदारी देने का अधिकार जिलों के एसपी को होगा.
प्रस्ताव में सबसे खास बात यह है कि जिलों के एसपी को अधिकार होगा कि यदि आईटी एक्ट में दर्ज केस में आवश्यकता हो तो वह इसका अनुसंधान दारोगा रैंक के अफसर को भी दे सकते हैं, लेकिन इसके लिए जिलों के एसपी को डीजीपी से अनुमति लेकर इंस्पेक्टर रैंक में पेपर प्रमोशन दिया जाएगा. पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव में यह जिक्र है कि पेपर प्रमोशन लेकर जो दारोगा इंस्पेक्टर बनेंगे उनकी प्रोन्नति अस्थायी होगी. इसके अतिरिक्त उन्हें कोई अतिरिक्त वित्तीय लाभ देय नहीं होगा. साथ ही दारोगा रैंक के अधिकारियों की वरीयता सूची में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
एसपी को साइबर क्राइम थानों के लिए ये भी अधिकार: जिलों के एसपी के साथ सीआईडी के अधीन इन साइबर क्राइम थानों में अन्य अधिकारी भी होंगे. जिलों में उपलब्ध दारोगा, जमादार को अनुसंधान में सहयोग के लिए एसपी पदस्थापित करेंगे. इंस्पेक्टर रैंक के अनुसंधानकर्ताओं के साथ सहायक अनुसंधानकर्ता के रूप में भी ये पदाधिकारी काम करेंगे. वर्तमान में सीआईडी के अधीन आने वाले इन थानों में जिलों से पदाधिकारियों की पोस्टिंग नहीं होती है.
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क्यों पड़ी साइबर थाने की जरूरत: झारखंड सीआईडी के डीजी अनुराग गुप्ता के अनुसार वर्तमान में साइबर अपराध के मामले बढ़े हैं. ऐसे में साइबर अपराध पर लगाम रखने के लिए आठ नए साइबर थाने खोले जा रहे हैं. साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए बेहतर ट्रेनिंग दी जा रही है, जिसमें आईसी4 के अधिकारी हमारी पूरी मदद कर रहे हैं.
क्या है हाल के आंकड़े: झारखंड के अलग-अलग जिलों और राज्य के साइबर थाने में जनवरी 2023 से लेकर मई 2023 तक 346 मामले दर्ज हुए हैं. वहीं साल 2022 में 901, 2021 में 1018, 2020 में 1240 साइबर अपराध के केस दर्ज हुए थे. साइबर अपराध से जुड़े केस नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर भी दर्ज किए जाते हैं. इस पोर्टल पर मई 2023 तक 3361 केस दर्ज हुए हैं. वहीं साल 2022 में 7176, 2021 में 3757 और 2020 में 2781 साइबर अपराध के केस दर्ज हुए हैं.