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नक्सल पर नकेल: सुरक्षा बलों ने तोड़ दी नक्सलियों की सप्लाई चेन, खाना, कपड़ा और दवाई को हो गए मोहताज - Naxal News

2022 झारखंड के नक्सली संगठनों को लिए माकूल साल नहीं रहा (Crackdown on Naxalites). सुरक्षा बलों ने जिस तरह की गोलबंदी की उससे नक्सलियों की पूरी सल्तनत ही बिखर गई. गोला बारूद के साथ ही कैंपो में रखे अनाज और कपड़े तक पुलिस ने जब्त कर लिए Naxalites crises food cloth and medicine. नक्सल पर नकेल कसने की पुलिस की बड़ी योजना पूरी तरह सफल रही. Naxal Operation 2022

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Published : Jan 10, 2023, 7:10 PM IST

रांची: झारखंड में सक्रिय नक्सली संगठनों के लिए साल 2022 किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा (Naxal Operation 2022). इस दौरान ना सिर्फ उनके हथियार और गोला बारूद पकड़े गए , बल्कि उन तक पहुंचने वाली रसद पर भी ब्रेक लग गया .नक्सली कैंपों में रखें अनाज, कंबल, दवाइयां और दूसरी रोजमर्रा में प्रयोग आने वाले सामान भी पुलिस के द्वारा जब्त किए गए हैं (Naxalites crises food cloth and medicine). झारखंड पुलिस द्वारा नक्सली संगठनों की रसद को जंगल तक पहुंचने से रोक देना भी उनके बैकफुट पर जाने की एक बड़ी वजह बनी है और नक्सल पर लगाम लगाने की पुलिस की एक बड़ी योजना सफल रही है.

ये भी पढ़ें- तीन महिला नक्सलियों के साथ आठ ने किया आत्मसमर्पण, आईजी अभियान के सामने किया सरेंडर

रसद पर लग गई है ब्रेक: जंगलों और बीहड़ो में रहकर पुलिस से मुकाबला करने की कोशिश में लगे नक्सलियों के सामने कई तरह की मुश्किलें खड़ी हो गई है, आमतौर पर हम पुलिस की सफलता का आकलन उनके द्वारा गिरफ्तार किए गए, एनकाउंटर में मारे गए नक्सलियो के अलावा छापेमारी में बरामद असलहे और गोला बारूद को लेकर करते है, यह सही है कि किसी भी संगठन के अत्याधुनिक हथियार और गोला बारूद बड़ी संख्या में अगर पुलिस जप्त कर ले तो संगठन कमजोर हो जाता है लेकिन सच्चाई यह भी है कि अगर संगठन के बीच अनाज ,कपड़े और मेडिसिन की कमी हो जाय तो ये उनके लिए बड़ी मुसीबत है (Naxalites crises food cloth and medicine). झारखंड पुलिस के तरफ से नक्सलियों के मजबूत गढ़ माने जाने वाले कई स्थानों पर उनकी रसद को ही रोक दिया गया है. जो रोजमर्रा के सामान नक्सलियों ने बंकर में छुपा कर रखा था वह भी पुलिस की नजर में आ गए और पुलिस ने उन बंकरों को ध्वस्त कर दिया.



सैकड़ों की संख्या में रोजमर्रा के सामान हुए जब्त: झारखंड में नक्सलियों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है आंकड़े बताते हैं कि पुलिस के द्वारा ध्वस्त किए गए दर्जनों कैंपों और बंकरों में नक्सलियों ने सैकड़ो की संख्या में रोजमर्रा के समान जमा कर रखे थे, जिसमें अनाज, दवाइयां, कपड़े, कम्बल ,दर्जनों मच्छरदानी ,छाता आदि शामिल है. पुलिस ने जब बंकरों और कैंपों को ध्वस्त किया तो उसमें रखे सभी सामान को भी जब्त कर लिया. नतीजा नक्सलियों जो जंगलों में रहते हुए अब खाना भी नसीब बहुत मुश्किल से हो रहा है.

क्या हैं आंकड़े: झारखंड पुलिस के आंकड़ों के अनुसार पिछले 1 साल के दौरान चलाए गए अभियान में नक्सलियों के द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले 4 दर्जन से ज्यादा सोलर प्लेट,3 हजार के करीब बर्तन ,200 से अधिक कम्बल ,200 से ज्यादा वर्दी और दूसरे ड्रेस ,लाखो रुपये मूल्य की दवाइयां जब्त किए है.



पुलिस ने दी आर्थिक चोट :झारखंड पुलिस से मिले आंकड़ों के अनुसार न सिर्फ नक्सलियों के रसद पर ब्रेक लगा है बल्कि उनके द्वारा वसूले गए लेवी की एक बड़ी रकम भी पुलिस के द्वारा जप्त किया गया है. साल 2022 में झारखंड पुलिस के द्वारा विभिन्न स्थानों से नक्सलियों के द्वारा वसूली गई 99.41 लाख रुपये भी जब्त किए गए है.



पुलिस कैम्पो की संख्या बढ़ी : साल 2020 में जहां बूढ़ा पहाड़ में मात्र दो कैंप हुआ करते थे वहीं अब उसकी संख्या बढ़कर 9 हो गई है, वही पारसनाथ में मात्र एक कैंप था लेकिन वहां भी अब पुलिस और सीआरपीएफ के कुल 6 कैम्प बन गए है. इसी तरह ट्राई जंक्शन पर कुल 11,सारंडा- कोल्हान इलाके में 11 ,चतरा - गया बॉर्डर पर 04, बंगाल बॉर्डर पर 01, पोड़ैयाहाट जंगल में 02. झारखंड पुलिस से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में जहां झारखंड के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में मात्र 12 कैंप हुआ करते थे वहीं साल 2022 में उनकी संख्या बढ़कर 44 हो गई है.



ग्रामीणों की मदद मिलना हुआ बंद: घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस और सीआरपीएफ के कैम्पों के निर्माण की वजह से पुलिस ने ग्रामीणों का भरोसा जीता है, ग्रामीणों के अंदर इस वजह से नक्सलियों का भय कम हुआ है.नतीजा नक्सलियों को अब गांव से राशन न के बराबर मिल रहा है.



हथियार और गोला बारूद जब्त: जनवरी 2022 से लेकर अगर हम दिसंबर 2022 तक की बात करें तो नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए दर्जनों अभियान में पुलिस ने कुल 183 हथियार जब्त किए , जिनमें पुलिस से लूटे गए 53, रेगुलर 23, देसी 107 हथियार शामिल है. वहीं इस दौरान 16260 एम्युनेशन ,984 आईईडी ,625.66 किलोग्राम विस्फोटक जब्त किए है. इस दौरान पुलिस ने कुल 418 नक्सलियों को सलाखों के पीछे पहुंच गया , जबकि 16 ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया और 11 मुठभेड़ में मारे गए.

रांची: झारखंड में सक्रिय नक्सली संगठनों के लिए साल 2022 किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा (Naxal Operation 2022). इस दौरान ना सिर्फ उनके हथियार और गोला बारूद पकड़े गए , बल्कि उन तक पहुंचने वाली रसद पर भी ब्रेक लग गया .नक्सली कैंपों में रखें अनाज, कंबल, दवाइयां और दूसरी रोजमर्रा में प्रयोग आने वाले सामान भी पुलिस के द्वारा जब्त किए गए हैं (Naxalites crises food cloth and medicine). झारखंड पुलिस द्वारा नक्सली संगठनों की रसद को जंगल तक पहुंचने से रोक देना भी उनके बैकफुट पर जाने की एक बड़ी वजह बनी है और नक्सल पर लगाम लगाने की पुलिस की एक बड़ी योजना सफल रही है.

ये भी पढ़ें- तीन महिला नक्सलियों के साथ आठ ने किया आत्मसमर्पण, आईजी अभियान के सामने किया सरेंडर

रसद पर लग गई है ब्रेक: जंगलों और बीहड़ो में रहकर पुलिस से मुकाबला करने की कोशिश में लगे नक्सलियों के सामने कई तरह की मुश्किलें खड़ी हो गई है, आमतौर पर हम पुलिस की सफलता का आकलन उनके द्वारा गिरफ्तार किए गए, एनकाउंटर में मारे गए नक्सलियो के अलावा छापेमारी में बरामद असलहे और गोला बारूद को लेकर करते है, यह सही है कि किसी भी संगठन के अत्याधुनिक हथियार और गोला बारूद बड़ी संख्या में अगर पुलिस जप्त कर ले तो संगठन कमजोर हो जाता है लेकिन सच्चाई यह भी है कि अगर संगठन के बीच अनाज ,कपड़े और मेडिसिन की कमी हो जाय तो ये उनके लिए बड़ी मुसीबत है (Naxalites crises food cloth and medicine). झारखंड पुलिस के तरफ से नक्सलियों के मजबूत गढ़ माने जाने वाले कई स्थानों पर उनकी रसद को ही रोक दिया गया है. जो रोजमर्रा के सामान नक्सलियों ने बंकर में छुपा कर रखा था वह भी पुलिस की नजर में आ गए और पुलिस ने उन बंकरों को ध्वस्त कर दिया.



सैकड़ों की संख्या में रोजमर्रा के सामान हुए जब्त: झारखंड में नक्सलियों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है आंकड़े बताते हैं कि पुलिस के द्वारा ध्वस्त किए गए दर्जनों कैंपों और बंकरों में नक्सलियों ने सैकड़ो की संख्या में रोजमर्रा के समान जमा कर रखे थे, जिसमें अनाज, दवाइयां, कपड़े, कम्बल ,दर्जनों मच्छरदानी ,छाता आदि शामिल है. पुलिस ने जब बंकरों और कैंपों को ध्वस्त किया तो उसमें रखे सभी सामान को भी जब्त कर लिया. नतीजा नक्सलियों जो जंगलों में रहते हुए अब खाना भी नसीब बहुत मुश्किल से हो रहा है.

क्या हैं आंकड़े: झारखंड पुलिस के आंकड़ों के अनुसार पिछले 1 साल के दौरान चलाए गए अभियान में नक्सलियों के द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले 4 दर्जन से ज्यादा सोलर प्लेट,3 हजार के करीब बर्तन ,200 से अधिक कम्बल ,200 से ज्यादा वर्दी और दूसरे ड्रेस ,लाखो रुपये मूल्य की दवाइयां जब्त किए है.



पुलिस ने दी आर्थिक चोट :झारखंड पुलिस से मिले आंकड़ों के अनुसार न सिर्फ नक्सलियों के रसद पर ब्रेक लगा है बल्कि उनके द्वारा वसूले गए लेवी की एक बड़ी रकम भी पुलिस के द्वारा जप्त किया गया है. साल 2022 में झारखंड पुलिस के द्वारा विभिन्न स्थानों से नक्सलियों के द्वारा वसूली गई 99.41 लाख रुपये भी जब्त किए गए है.



पुलिस कैम्पो की संख्या बढ़ी : साल 2020 में जहां बूढ़ा पहाड़ में मात्र दो कैंप हुआ करते थे वहीं अब उसकी संख्या बढ़कर 9 हो गई है, वही पारसनाथ में मात्र एक कैंप था लेकिन वहां भी अब पुलिस और सीआरपीएफ के कुल 6 कैम्प बन गए है. इसी तरह ट्राई जंक्शन पर कुल 11,सारंडा- कोल्हान इलाके में 11 ,चतरा - गया बॉर्डर पर 04, बंगाल बॉर्डर पर 01, पोड़ैयाहाट जंगल में 02. झारखंड पुलिस से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में जहां झारखंड के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में मात्र 12 कैंप हुआ करते थे वहीं साल 2022 में उनकी संख्या बढ़कर 44 हो गई है.



ग्रामीणों की मदद मिलना हुआ बंद: घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस और सीआरपीएफ के कैम्पों के निर्माण की वजह से पुलिस ने ग्रामीणों का भरोसा जीता है, ग्रामीणों के अंदर इस वजह से नक्सलियों का भय कम हुआ है.नतीजा नक्सलियों को अब गांव से राशन न के बराबर मिल रहा है.



हथियार और गोला बारूद जब्त: जनवरी 2022 से लेकर अगर हम दिसंबर 2022 तक की बात करें तो नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए दर्जनों अभियान में पुलिस ने कुल 183 हथियार जब्त किए , जिनमें पुलिस से लूटे गए 53, रेगुलर 23, देसी 107 हथियार शामिल है. वहीं इस दौरान 16260 एम्युनेशन ,984 आईईडी ,625.66 किलोग्राम विस्फोटक जब्त किए है. इस दौरान पुलिस ने कुल 418 नक्सलियों को सलाखों के पीछे पहुंच गया , जबकि 16 ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया और 11 मुठभेड़ में मारे गए.

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