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नई शिक्षा नीति से मिलेगा फायदा, गांवों तक पहुंचेगी गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षाः बीएयू, अपर निदेशक

केंद्र सरकार ने देश की शिक्षा नीति में अहम बदलाव किया है. देश में प्रचलित 34 साल पुरानी शिक्षा नीति में बदलाव करके अब नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी गई है. भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की समिति 24 जून 2017 से कार्य करना शुरू किया था. डॉ. के कस्तुरीरंगन की अध्यक्षता में गठित आठ सदस्यीय समिति के डॉ. आरएस कुरील मानद सदस्य रह चुके है, जो वर्तमान में बीएयू के अपर निदेशक प्रसार शिक्षा के पद पर काबिज हैं.

country will benefit from New Education Policy 2020
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Published : Jul 31, 2020, 12:22 PM IST

रांची: भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की समिति 24 जून, 2017 से कार्य करना शुरू किया था. भारत सरकार की ओर से डॉ. के कस्तुरीरंगन की अध्यक्षता में गठित आठ सदस्यीय समिति के डॉ. आरएस कुरील मानद सदस्य रह चुके है. बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुमोदन के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखारियाल ने डॉ. कुरील को बधाई दी और प्रधानमंत्री की ओर से आभार जताया है. डॉ कुरील, देश के दो विश्वविद्यालयों के पूर्णकालिक कुलपति और बीएयू के पूर्व प्रभारी कुलपति रह चुके है. साथ ही वर्तमान में बीएयू के अपर निदेशक प्रसार शिक्षा के पद पर काबिज हैं.

country will benefit from New Education Policy 2020
डॉ आरएस कुरील
डॉ. आरएस कुरील ने बताया कि समिति ने 31 मई, 2019 को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप सौंपा था. समिति ने दो वर्ष में 24 बैठकें की, 36 हजार लोगों से परामर्श किया और 10 लाख से अधिक लोगों की राय ली. डॉं कुरील ने बताया कि इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में देश के सूदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा पहुंचाने पर जोर दिया गया है. साथ ही शिक्षा में वैज्ञानिक सोच, व्यावसायिक शिक्षा, प्रावैधिक शिक्षा एवं रोजगार उन्मुख शिक्षा प्रणाली को प्राथमिकता एवं बढ़ावा देने पर जोर होगा. इस समिति में डॉं कुरील ने उच्च शिक्षा का प्रारूप तैयार किया है. इस प्रारूप के अनुसार अब सामान्य विश्वविद्यालयों में अनुसंधान को बढ़ावा देनी होगी. प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों जैसे आईआईटी और आईआईएम में बहुउदेशीय और बहुप्रणाली शिक्षा को बढ़ावा देना होगा. उन्हें विकसित तकनीकी ज्ञान और प्रबंधन की कला को पूरे देश में ग्रामीण स्तर तक प्रचार–प्रसार का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना होगा.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में 140 नए डॉक्टर की नियुक्ति, मेडिकल कॉलेज में देंगे सेवा

डॉ. कुरील ने कहा कि देश के सभी विश्वविद्यालयों को अध्ययन-अध्यापन के साथ–साथ अनुसंधान और अनुसंधान से प्राप्त तकनीकी एवं ज्ञान को लोगों तक पहुंचाना सुनिश्चित करना होगा. इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान के लिए धन की उपलब्धता और अनुसंधान प्रतिष्ठान गठित होगी. जो केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं कॉर्पोरेट जगत से धन संग्रह कर सभी विश्वविद्यालयों को राशि उपलब्ध कराएगी. पूरे देश में बेहतर शिक्षा के लिए एक समान शिक्षा प्रणाली के तहत कॉमन इंट्रेंस एग्जाम, कॉमन सेशन, कॉमन कोर्स और कॉमन एग्जाम की व्यवस्था होगी. देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 25 सदस्यों वाली राष्ट्रीय शिक्षा आयोग और राज्यों में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 25 सदस्यों वाली राज्य शिक्षा आयोग का गठन किया जायेगा.

नई शिक्षा प्रणाली चॉइस आधारित होगी. हाई स्कूल तक कला पढने वाले छात्र आगे विज्ञान विषयों की पढाई कर सकेंगे. कोर्स पूरा नहीं होने पर और बीच में पढाई छोड़ने पर डिप्लोमा या सर्टिफिकेट्स दिए जायेंगे. साल 2022 तक सभी विश्वविद्यालयों के सभी शिक्षकों के लिए सबंधित विषय में पीएचडी की अहर्ता पूरा करना अनिवार्य रखा गया है. साल 2035 तक पूरे देश में 100 प्रतिशत साक्षरता को पूरा करने पर जोर दिया गया है.

रांची: भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की समिति 24 जून, 2017 से कार्य करना शुरू किया था. भारत सरकार की ओर से डॉ. के कस्तुरीरंगन की अध्यक्षता में गठित आठ सदस्यीय समिति के डॉ. आरएस कुरील मानद सदस्य रह चुके है. बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुमोदन के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखारियाल ने डॉ. कुरील को बधाई दी और प्रधानमंत्री की ओर से आभार जताया है. डॉ कुरील, देश के दो विश्वविद्यालयों के पूर्णकालिक कुलपति और बीएयू के पूर्व प्रभारी कुलपति रह चुके है. साथ ही वर्तमान में बीएयू के अपर निदेशक प्रसार शिक्षा के पद पर काबिज हैं.

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डॉ आरएस कुरील
डॉ. आरएस कुरील ने बताया कि समिति ने 31 मई, 2019 को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप सौंपा था. समिति ने दो वर्ष में 24 बैठकें की, 36 हजार लोगों से परामर्श किया और 10 लाख से अधिक लोगों की राय ली. डॉं कुरील ने बताया कि इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में देश के सूदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा पहुंचाने पर जोर दिया गया है. साथ ही शिक्षा में वैज्ञानिक सोच, व्यावसायिक शिक्षा, प्रावैधिक शिक्षा एवं रोजगार उन्मुख शिक्षा प्रणाली को प्राथमिकता एवं बढ़ावा देने पर जोर होगा. इस समिति में डॉं कुरील ने उच्च शिक्षा का प्रारूप तैयार किया है. इस प्रारूप के अनुसार अब सामान्य विश्वविद्यालयों में अनुसंधान को बढ़ावा देनी होगी. प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों जैसे आईआईटी और आईआईएम में बहुउदेशीय और बहुप्रणाली शिक्षा को बढ़ावा देना होगा. उन्हें विकसित तकनीकी ज्ञान और प्रबंधन की कला को पूरे देश में ग्रामीण स्तर तक प्रचार–प्रसार का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना होगा.

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डॉ. कुरील ने कहा कि देश के सभी विश्वविद्यालयों को अध्ययन-अध्यापन के साथ–साथ अनुसंधान और अनुसंधान से प्राप्त तकनीकी एवं ज्ञान को लोगों तक पहुंचाना सुनिश्चित करना होगा. इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान के लिए धन की उपलब्धता और अनुसंधान प्रतिष्ठान गठित होगी. जो केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं कॉर्पोरेट जगत से धन संग्रह कर सभी विश्वविद्यालयों को राशि उपलब्ध कराएगी. पूरे देश में बेहतर शिक्षा के लिए एक समान शिक्षा प्रणाली के तहत कॉमन इंट्रेंस एग्जाम, कॉमन सेशन, कॉमन कोर्स और कॉमन एग्जाम की व्यवस्था होगी. देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 25 सदस्यों वाली राष्ट्रीय शिक्षा आयोग और राज्यों में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 25 सदस्यों वाली राज्य शिक्षा आयोग का गठन किया जायेगा.

नई शिक्षा प्रणाली चॉइस आधारित होगी. हाई स्कूल तक कला पढने वाले छात्र आगे विज्ञान विषयों की पढाई कर सकेंगे. कोर्स पूरा नहीं होने पर और बीच में पढाई छोड़ने पर डिप्लोमा या सर्टिफिकेट्स दिए जायेंगे. साल 2022 तक सभी विश्वविद्यालयों के सभी शिक्षकों के लिए सबंधित विषय में पीएचडी की अहर्ता पूरा करना अनिवार्य रखा गया है. साल 2035 तक पूरे देश में 100 प्रतिशत साक्षरता को पूरा करने पर जोर दिया गया है.

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