रांची: भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की समिति 24 जून, 2017 से कार्य करना शुरू किया था. भारत सरकार की ओर से डॉ. के कस्तुरीरंगन की अध्यक्षता में गठित आठ सदस्यीय समिति के डॉ. आरएस कुरील मानद सदस्य रह चुके है. बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुमोदन के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखारियाल ने डॉ. कुरील को बधाई दी और प्रधानमंत्री की ओर से आभार जताया है. डॉ कुरील, देश के दो विश्वविद्यालयों के पूर्णकालिक कुलपति और बीएयू के पूर्व प्रभारी कुलपति रह चुके है. साथ ही वर्तमान में बीएयू के अपर निदेशक प्रसार शिक्षा के पद पर काबिज हैं.
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डॉ. कुरील ने कहा कि देश के सभी विश्वविद्यालयों को अध्ययन-अध्यापन के साथ–साथ अनुसंधान और अनुसंधान से प्राप्त तकनीकी एवं ज्ञान को लोगों तक पहुंचाना सुनिश्चित करना होगा. इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान के लिए धन की उपलब्धता और अनुसंधान प्रतिष्ठान गठित होगी. जो केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं कॉर्पोरेट जगत से धन संग्रह कर सभी विश्वविद्यालयों को राशि उपलब्ध कराएगी. पूरे देश में बेहतर शिक्षा के लिए एक समान शिक्षा प्रणाली के तहत कॉमन इंट्रेंस एग्जाम, कॉमन सेशन, कॉमन कोर्स और कॉमन एग्जाम की व्यवस्था होगी. देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 25 सदस्यों वाली राष्ट्रीय शिक्षा आयोग और राज्यों में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 25 सदस्यों वाली राज्य शिक्षा आयोग का गठन किया जायेगा.
नई शिक्षा प्रणाली चॉइस आधारित होगी. हाई स्कूल तक कला पढने वाले छात्र आगे विज्ञान विषयों की पढाई कर सकेंगे. कोर्स पूरा नहीं होने पर और बीच में पढाई छोड़ने पर डिप्लोमा या सर्टिफिकेट्स दिए जायेंगे. साल 2022 तक सभी विश्वविद्यालयों के सभी शिक्षकों के लिए सबंधित विषय में पीएचडी की अहर्ता पूरा करना अनिवार्य रखा गया है. साल 2035 तक पूरे देश में 100 प्रतिशत साक्षरता को पूरा करने पर जोर दिया गया है.