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कोरोना संक्रमण: झारखंड में वैक्सीन की 1 लाख 51 हजार 363 डोज बर्बाद, जानिए क्या है वजह? - Health department data on vaccine wastage

झारखंड में कोरोना वैक्सीन की किल्लत की खबरों के बीच स्वास्थ्य विभाग ने जो आंकड़ें पेश किए हैं वो काफी हैरान करने वाली है. आंकड़ों के मुताबिक राज्य में वैक्सीन की 1 लाख 51 हजार 363 डोज बर्बाद हो गई है. जो कुल वैक्सीनेशन का 2.60 फीसदी है. झारखंड का स्वास्थ्य विभाग जहां इसे सामान्य बर्बादी बता रहा है. वहीं केरल और पश्चिमबंगाल में निगेटिव लॉस की खबर है. दोनों राज्यों के आंकड़ों की तुलना में झारखंड में ज्यादा बर्बादी पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

Vaccines are being wasted in Jharkhand
झारखंड में बर्बाद हो रहे हैं वैक्सीन
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Published : Jun 13, 2021, 1:24 AM IST

रांची: झारखंड में वैक्सीन की किल्लत के बीच स्वास्थ्य विभाग ने जो आंकड़ें पेश किए हैं वो काफी चौकाने वाले हैं. विभाग के मुताबिक राज्य को मिले 58 लाख 17 हजार 250 डोज में से 1 लाख 51 हजार 363 डोज बर्बाद हो गए हैं. जो कुल डोज का 2.60 फीसदी है. विभाग ने बर्बादी के इस आंकड़े को संतोषजनक बताया है. लेकिन केरल और पश्चिमबंगाल में जिस तरह वैक्सीन का निगेटिव लॉस है उससे झारखंड में वैक्सीनेशन अभियान के तरीकों पर सवाल उठ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- कोरोना की दवा के लिए RIMS में ट्रायल, 300 मरीजों पर रिसर्च की तैयारी

क्यों बर्बाद हो रही हैं वैक्सीन?

स्वास्थ्य अधिकारी बीएन पोद्दार बताते हैं कि शुरूआत में ऐसा हुआ की 5 से 6 लोगों पर ही नया वायल खोल दिया गया. जिसकी वजह से जो दवा बची वह बर्बाद हो गई, उन्होंने कहा अब जो नई पॉलिसी बनी है उसके अनुसार 10 लाभुकों के आने पर ही वैक्सीन की वायल खोली जाएगी, जिससे बर्बादी थोड़ी कम हुई है. वहीं रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डीके सिन्हा ने वैक्सीनेशन करने वाले कर्मियों से थोड़ा अलर्ट रहने की अपील की है. उन्होंने कहा हरेक वायल से कम से कम 10 लोगों को टीका तो लगाया ही जा सकता है.

केरल और पश्चिम बंगाल में निगेटिव लॉस

स्वास्थ्य अधिकारी बीएन पोद्दार के मुताबिक कोरोना का वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनियां कोविशिल्ड और कोवैक्सीन के हर वायल में कुछ ज्यादा वैक्सीन होती है जिससे 10 लोगों की जगह 11 लोगों को टीका दिया जा सकता है, केरल-बंगाल जैसें राज्य में संभव है कि वैक्सीनेटर वैक्सीन देते समय सचेत रहते हो और हर वायल से 10 की जगह 11 को टीका दिया जा रहा हो. यही वजह है की इन राज्यों में वैक्सीन बर्बाद नहीं हो रही है.

आकंड़ों में झारखंड का वैक्सीनेशन अभियान

  • झारखंड को मिले वैक्सीन के 58 लाख 17 हजार 250 डोज
  • 49 लाख 05 हजार 232 लोगों को दी गई वैक्सीन
  • 7 लाख 60 हजार 65 डोज स्टॉक में उपलब्ध
  • 1 लाख 51 हजार 363 डोज बर्बाद

वैक्सीन की बर्बादी कम करने के उपाय

  • वैक्सीन को शीशी से निकाल कर लाभुक को लगाने तक अलर्ट रहें वैक्सीनेटर
  • हर डोज के दौरान सिरिंज से एयर निकालते समय यह रखें ध्यान की वैक्सीन की हर बूंद है कीमती
  • वैक्सीन निर्माता कंपनी द्वारा हर वायल में दी जा रही 0.5ml दवा का भी हो सदुपयोग
  • टीकाकरण बूथ पर 10 लाभुक हों तभी खोली जाए नई वायल

सिरिंज से भी पड़ता है फर्क

सदर अस्पताल की वैक्सीनेटर रीना राय की माने तो वैक्सीनेशन अभियान के दौरान सिरिंज से भी फर्क पड़ता है. उन्होंने बताया की किसी सिरिंज से हर वायल से 10 की जगह 11 लोगों को टीका लग जाता है तो किसी से 10 को ही लगता है. अगर ऐसा है तो स्वास्थ्य विभाग को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है. जाहिर है स्वास्थ्य विभाग भले ही 2.60 फीसदी की बर्बादी को समान्य बताए लेकिन इतना तो तय है की अगर एक लाख से ज्यादा वैक्सीन बर्बाद न हुई होती तो झारखंड सरकार को राजस्व का भी नुकसान नहीं होता और ज्यादा से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन भी हो जाता.

रांची: झारखंड में वैक्सीन की किल्लत के बीच स्वास्थ्य विभाग ने जो आंकड़ें पेश किए हैं वो काफी चौकाने वाले हैं. विभाग के मुताबिक राज्य को मिले 58 लाख 17 हजार 250 डोज में से 1 लाख 51 हजार 363 डोज बर्बाद हो गए हैं. जो कुल डोज का 2.60 फीसदी है. विभाग ने बर्बादी के इस आंकड़े को संतोषजनक बताया है. लेकिन केरल और पश्चिमबंगाल में जिस तरह वैक्सीन का निगेटिव लॉस है उससे झारखंड में वैक्सीनेशन अभियान के तरीकों पर सवाल उठ रहे हैं.

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क्यों बर्बाद हो रही हैं वैक्सीन?

स्वास्थ्य अधिकारी बीएन पोद्दार बताते हैं कि शुरूआत में ऐसा हुआ की 5 से 6 लोगों पर ही नया वायल खोल दिया गया. जिसकी वजह से जो दवा बची वह बर्बाद हो गई, उन्होंने कहा अब जो नई पॉलिसी बनी है उसके अनुसार 10 लाभुकों के आने पर ही वैक्सीन की वायल खोली जाएगी, जिससे बर्बादी थोड़ी कम हुई है. वहीं रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डीके सिन्हा ने वैक्सीनेशन करने वाले कर्मियों से थोड़ा अलर्ट रहने की अपील की है. उन्होंने कहा हरेक वायल से कम से कम 10 लोगों को टीका तो लगाया ही जा सकता है.

केरल और पश्चिम बंगाल में निगेटिव लॉस

स्वास्थ्य अधिकारी बीएन पोद्दार के मुताबिक कोरोना का वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनियां कोविशिल्ड और कोवैक्सीन के हर वायल में कुछ ज्यादा वैक्सीन होती है जिससे 10 लोगों की जगह 11 लोगों को टीका दिया जा सकता है, केरल-बंगाल जैसें राज्य में संभव है कि वैक्सीनेटर वैक्सीन देते समय सचेत रहते हो और हर वायल से 10 की जगह 11 को टीका दिया जा रहा हो. यही वजह है की इन राज्यों में वैक्सीन बर्बाद नहीं हो रही है.

आकंड़ों में झारखंड का वैक्सीनेशन अभियान

  • झारखंड को मिले वैक्सीन के 58 लाख 17 हजार 250 डोज
  • 49 लाख 05 हजार 232 लोगों को दी गई वैक्सीन
  • 7 लाख 60 हजार 65 डोज स्टॉक में उपलब्ध
  • 1 लाख 51 हजार 363 डोज बर्बाद

वैक्सीन की बर्बादी कम करने के उपाय

  • वैक्सीन को शीशी से निकाल कर लाभुक को लगाने तक अलर्ट रहें वैक्सीनेटर
  • हर डोज के दौरान सिरिंज से एयर निकालते समय यह रखें ध्यान की वैक्सीन की हर बूंद है कीमती
  • वैक्सीन निर्माता कंपनी द्वारा हर वायल में दी जा रही 0.5ml दवा का भी हो सदुपयोग
  • टीकाकरण बूथ पर 10 लाभुक हों तभी खोली जाए नई वायल

सिरिंज से भी पड़ता है फर्क

सदर अस्पताल की वैक्सीनेटर रीना राय की माने तो वैक्सीनेशन अभियान के दौरान सिरिंज से भी फर्क पड़ता है. उन्होंने बताया की किसी सिरिंज से हर वायल से 10 की जगह 11 लोगों को टीका लग जाता है तो किसी से 10 को ही लगता है. अगर ऐसा है तो स्वास्थ्य विभाग को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है. जाहिर है स्वास्थ्य विभाग भले ही 2.60 फीसदी की बर्बादी को समान्य बताए लेकिन इतना तो तय है की अगर एक लाख से ज्यादा वैक्सीन बर्बाद न हुई होती तो झारखंड सरकार को राजस्व का भी नुकसान नहीं होता और ज्यादा से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन भी हो जाता.

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