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कोरोना ने राखी के रंग को किया फीका, बाजारों से रौनक गायब

झारखंड में कोरोना का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. जिसका असर रक्षाबंधन के त्योहार पर भी पड़ा है. हर साल रक्षाबंधन के अवसर पर बाजार राखियों से गुलजार रहता था, लेकिन इस बार बाजार में सन्नाटा पसरा है. दुकानों में ग्राहक नहीं पहुंचने से दुकानदार परेशान हैं. वहीं बहनें इस बार अपने भाइयों को राखी भेजने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रही हैं.

Corona effect on Rakshabandhan in ranchi
रक्षाबंधन पर कोरोना का असर
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Published : Jul 24, 2020, 6:06 AM IST

रांची: कोरोना के कारण साल 2020 का सभी पर्व त्यौहारों के रंग फीके हो गए हैं. आने वाले पर्व त्यौहार भी हालात को देखते हुए फीका ही होने की उम्मीद है. भाई-बहन के पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन पर भी कोरोना का साया मंडरा रहा है. परिवहन सेवाओं पर असर पड़ने से डाक सेवा भी प्रभावित है. कुरियर से भी राखी भेजना मुश्किल है. जबकि रक्षाबंधन महज कुछ ही दिन बचे हैं. इस साल रक्षाबंधन के मौके पर भी बाजारों में करोड़ों रुपये के लॉस होने की आशंका जताई जा रही है.

देखें स्पेशल स्टोरी

डाक-कुरियर सेवा प्रभावित

भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व रक्षाबंधन इस 3 अगस्त को मनाया जाएगा, लेकिन इस बार रक्षाबंधन पर कोरोना वायरस महामारी का असर साफ साफ दिख रहा है. ऐसे में भाई की कलाई पर बांधी जाने वाली राखी का बाजार पूरी तरह ठंडा पड़ा है. इसका मुख्य कारण है देशभर में लॉकडाउन के कारण यातायात सेवा बाधित होना. रक्षाबंधन के अवसर पर हर साल बाजारों में काफी भीड़ उमड़ती है. बहनें अपने भाइयों के कलाई में बांधी जाने वाली राखियों की खरीदारी करती हैं. डाक सेवा के अलावा कुरियर सेवा के जरिए राखियां विभिन्न प्रदेशों में भेजी जाती है, लेकिन इस साल सब कुछ थम सा गया है. यातायात की बेहतर सुविधा नहीं होने के कारण डाक सेवा पर प्रभावित है. वहीं रांची के मुख्य डाकघर में कोरोना वायरस संक्रमित एक मरीज की पुष्टि होने के बाद तो डाक सेवा पर काफी असर पड़ा है. डाकघर बंद है, कुरियर सेवाएं प्रभावित है और बाजार में सन्नाटा पसरा है.

व्यावसायियों को नुकसान

रक्षाबंधन के अवसर पर हर साल शहर के बाजारों और गलियों की दुकानें राखियों से पटी होती थी, लेकिन इस साल बाजारों में रौनक नहीं दिख रही है. इस बार राखी का 10 से 15 करोड रुपए का व्यवसाय चौपट होने की आशंका है. कोविड-19 को लेकर लगातार जारी हो रहे गाइडलाइन के मद्देनजर भी बाजार में असर साफ- साफ दिख रहा है. कारोबारी पूरी तरह मंदी के दौर से गुजर रहे हैं. राखी के थोक कारोबारियों ने अब तक मात्र 10 फीसदी कारोबार किया है. कोलकाता, दिल्ली से आने वाली राखियां बाजारों में इस साल बहुत कम दिख रह है. जबकि फरवरी महीने में ही राखियों का थोक, बाजारों तक पहुंच चुका था, लेकिन अब इन राखियों को बाजार में खपाने व्यवसायियों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है. पिछले साल राखी के थोक कारोबारियों ने लगभग 10 से 15 करोड़ रुपये का कारोबार राजधानी रांची समेत आसपास के क्षेत्रों में किया था, लेकिन इस बार इस आंकड़े का 10 फीसदी भी कारोबार होना मुश्किल लग रहा है. मार्च से कोरोना के कारण लॉकडाउन की वजह से राखी का बाजार पूरी तरह बर्बाद हो गया है.

इसे भी पढे़ं:- कोरोना के खौफ के बीच झारखंड में शुरू हुआ 'मिशन एडमिशन', बाहरी संस्थानों में नहीं करना चाहते पढ़ाई

70 से 80 करोड़ का व्यवसाय चौपट

रांची के राखी बाजार में ज्वेलरी से लेकर गिफ्ट आइटम्स और कई समान तक शामिल हैं. यहां हर साल लगभग 70 से 80 करोड़ रुपये का बाजार होता है, लेकिन इस बार यह पूरा बाजार ही चौपट हो गया है. व्यवसायियों की मानें तो इस बाजार में इस साल कोरोना का ग्रहण लग गया है और इससे व्यवसायियों को उभरने में काफी समय लग जाएगा.

फुटपाथ बाजार पूरी तरह ठंडा

राजधानी रांची के मुख्य बाजारों के अलावा फुटपाथ में भी राखी का जबरदस्त बाजार होता है, लेकिन इस साल फुटपाथ में राखी का बाजार नहीं सज रहा है. लॉकडाउन की वजह से कोविड-19 के गाइडलाइन के तहत बाजारों में गैदरिंग नहीं करना है और इसका सीधा असर रक्षाबंधन के राखी बाजार पर पड़ा है. राजधानी के फुटपाथ बाजार में व्यवसायी दुकान सजाते हैं और खरीदार भी जमकर इन राखी बाजार में खरीददारी करते हैं, लेकिन इस साल हालात बिल्कुल ही अलग है. ऐसे में फुटपाथ बाजार भी पूरी तरह ठंडा है.

व्यवसायियों को पूंजी निकालना मुश्किल

व्यवसायियों की मानें तो इस साल पूंजी निकालना भी काफी मुश्किल हो गया है, इंटरनेट का जमाना है तो लोग कोरोना वायरस के कारण ऑनलाइन राखियों की खरीद बिक्री भी कर रहे हैं, जबकि बाजार में पिछले साल की तुलना में इस साल भारत में बनी राखियों की भरमार है. चीनी आइटम्स न के बराबर है और इन राखियों में क्रिस्टल के अलावा कई स्टोन जड़ित राखी भी मौजूद हैं और यह राखियां अब से 4 महीने पहले ही मंगवा कर रखा गया है.


ई-राखी बन रहा है सहारा

रक्षाबंधन में युवाओं के बीच राखी को लेकर एक नया ट्रेंड सामने आया है. पिछले साल भी इस क्षेत्र से काफी कमाई हुई थी और कोरोना वायरस में ऑनलाइन मार्केटिंग उपभोक्ताओं के लिए बेहतर साबित भी हो रहा है. युवतियां और महिलाएं विकल्प के तौर पर सोशल मीडिया का सहारा ले रही है. उनका कहना है कि संक्रमण तो राखी से भी आ सकता है, ऐसे में ई-राखी सुरक्षित उपाय है. अर्चना कहती है की राखी अगर भेज भी दें तो पहुंचना मुश्किल है, ऐसे में विकल्प के तौर पर फेसबुक और सोशल प्लेटफॉर्म पर राखी पोस्ट किया जाएगा.

मुंह बोले भाइयों का कलाई रह सकता है सुना

वहीं इस राखी में बहनें अपने मुंह बोले भाइयों के कलाई में राखी बांधने से परहेज करेंगी. घर में ही राखी त्यौहार मनाएंगे जरूर लेकिन अन्य सालों की तरह अपने मुंह बोले भाइयों के कलाई में राखी बांधने से डर रही हैं, क्योंकि कोरोना महामारी के कारण एक दूसरे को छूने से लोग दूर भाग रहे हैं और रक्षाबंधन हाथों में ही राखी बांधने का त्यौहार है.

रांची: कोरोना के कारण साल 2020 का सभी पर्व त्यौहारों के रंग फीके हो गए हैं. आने वाले पर्व त्यौहार भी हालात को देखते हुए फीका ही होने की उम्मीद है. भाई-बहन के पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन पर भी कोरोना का साया मंडरा रहा है. परिवहन सेवाओं पर असर पड़ने से डाक सेवा भी प्रभावित है. कुरियर से भी राखी भेजना मुश्किल है. जबकि रक्षाबंधन महज कुछ ही दिन बचे हैं. इस साल रक्षाबंधन के मौके पर भी बाजारों में करोड़ों रुपये के लॉस होने की आशंका जताई जा रही है.

देखें स्पेशल स्टोरी

डाक-कुरियर सेवा प्रभावित

भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व रक्षाबंधन इस 3 अगस्त को मनाया जाएगा, लेकिन इस बार रक्षाबंधन पर कोरोना वायरस महामारी का असर साफ साफ दिख रहा है. ऐसे में भाई की कलाई पर बांधी जाने वाली राखी का बाजार पूरी तरह ठंडा पड़ा है. इसका मुख्य कारण है देशभर में लॉकडाउन के कारण यातायात सेवा बाधित होना. रक्षाबंधन के अवसर पर हर साल बाजारों में काफी भीड़ उमड़ती है. बहनें अपने भाइयों के कलाई में बांधी जाने वाली राखियों की खरीदारी करती हैं. डाक सेवा के अलावा कुरियर सेवा के जरिए राखियां विभिन्न प्रदेशों में भेजी जाती है, लेकिन इस साल सब कुछ थम सा गया है. यातायात की बेहतर सुविधा नहीं होने के कारण डाक सेवा पर प्रभावित है. वहीं रांची के मुख्य डाकघर में कोरोना वायरस संक्रमित एक मरीज की पुष्टि होने के बाद तो डाक सेवा पर काफी असर पड़ा है. डाकघर बंद है, कुरियर सेवाएं प्रभावित है और बाजार में सन्नाटा पसरा है.

व्यावसायियों को नुकसान

रक्षाबंधन के अवसर पर हर साल शहर के बाजारों और गलियों की दुकानें राखियों से पटी होती थी, लेकिन इस साल बाजारों में रौनक नहीं दिख रही है. इस बार राखी का 10 से 15 करोड रुपए का व्यवसाय चौपट होने की आशंका है. कोविड-19 को लेकर लगातार जारी हो रहे गाइडलाइन के मद्देनजर भी बाजार में असर साफ- साफ दिख रहा है. कारोबारी पूरी तरह मंदी के दौर से गुजर रहे हैं. राखी के थोक कारोबारियों ने अब तक मात्र 10 फीसदी कारोबार किया है. कोलकाता, दिल्ली से आने वाली राखियां बाजारों में इस साल बहुत कम दिख रह है. जबकि फरवरी महीने में ही राखियों का थोक, बाजारों तक पहुंच चुका था, लेकिन अब इन राखियों को बाजार में खपाने व्यवसायियों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है. पिछले साल राखी के थोक कारोबारियों ने लगभग 10 से 15 करोड़ रुपये का कारोबार राजधानी रांची समेत आसपास के क्षेत्रों में किया था, लेकिन इस बार इस आंकड़े का 10 फीसदी भी कारोबार होना मुश्किल लग रहा है. मार्च से कोरोना के कारण लॉकडाउन की वजह से राखी का बाजार पूरी तरह बर्बाद हो गया है.

इसे भी पढे़ं:- कोरोना के खौफ के बीच झारखंड में शुरू हुआ 'मिशन एडमिशन', बाहरी संस्थानों में नहीं करना चाहते पढ़ाई

70 से 80 करोड़ का व्यवसाय चौपट

रांची के राखी बाजार में ज्वेलरी से लेकर गिफ्ट आइटम्स और कई समान तक शामिल हैं. यहां हर साल लगभग 70 से 80 करोड़ रुपये का बाजार होता है, लेकिन इस बार यह पूरा बाजार ही चौपट हो गया है. व्यवसायियों की मानें तो इस बाजार में इस साल कोरोना का ग्रहण लग गया है और इससे व्यवसायियों को उभरने में काफी समय लग जाएगा.

फुटपाथ बाजार पूरी तरह ठंडा

राजधानी रांची के मुख्य बाजारों के अलावा फुटपाथ में भी राखी का जबरदस्त बाजार होता है, लेकिन इस साल फुटपाथ में राखी का बाजार नहीं सज रहा है. लॉकडाउन की वजह से कोविड-19 के गाइडलाइन के तहत बाजारों में गैदरिंग नहीं करना है और इसका सीधा असर रक्षाबंधन के राखी बाजार पर पड़ा है. राजधानी के फुटपाथ बाजार में व्यवसायी दुकान सजाते हैं और खरीदार भी जमकर इन राखी बाजार में खरीददारी करते हैं, लेकिन इस साल हालात बिल्कुल ही अलग है. ऐसे में फुटपाथ बाजार भी पूरी तरह ठंडा है.

व्यवसायियों को पूंजी निकालना मुश्किल

व्यवसायियों की मानें तो इस साल पूंजी निकालना भी काफी मुश्किल हो गया है, इंटरनेट का जमाना है तो लोग कोरोना वायरस के कारण ऑनलाइन राखियों की खरीद बिक्री भी कर रहे हैं, जबकि बाजार में पिछले साल की तुलना में इस साल भारत में बनी राखियों की भरमार है. चीनी आइटम्स न के बराबर है और इन राखियों में क्रिस्टल के अलावा कई स्टोन जड़ित राखी भी मौजूद हैं और यह राखियां अब से 4 महीने पहले ही मंगवा कर रखा गया है.


ई-राखी बन रहा है सहारा

रक्षाबंधन में युवाओं के बीच राखी को लेकर एक नया ट्रेंड सामने आया है. पिछले साल भी इस क्षेत्र से काफी कमाई हुई थी और कोरोना वायरस में ऑनलाइन मार्केटिंग उपभोक्ताओं के लिए बेहतर साबित भी हो रहा है. युवतियां और महिलाएं विकल्प के तौर पर सोशल मीडिया का सहारा ले रही है. उनका कहना है कि संक्रमण तो राखी से भी आ सकता है, ऐसे में ई-राखी सुरक्षित उपाय है. अर्चना कहती है की राखी अगर भेज भी दें तो पहुंचना मुश्किल है, ऐसे में विकल्प के तौर पर फेसबुक और सोशल प्लेटफॉर्म पर राखी पोस्ट किया जाएगा.

मुंह बोले भाइयों का कलाई रह सकता है सुना

वहीं इस राखी में बहनें अपने मुंह बोले भाइयों के कलाई में राखी बांधने से परहेज करेंगी. घर में ही राखी त्यौहार मनाएंगे जरूर लेकिन अन्य सालों की तरह अपने मुंह बोले भाइयों के कलाई में राखी बांधने से डर रही हैं, क्योंकि कोरोना महामारी के कारण एक दूसरे को छूने से लोग दूर भाग रहे हैं और रक्षाबंधन हाथों में ही राखी बांधने का त्यौहार है.

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