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नक्सलियों पर कहर बरपा रहा कोरोना, संगठन में अफरा-तफरी, दो कमांडरों की मौत की खबर

झारखंड में कोरोना कहर बनकर टूट रहा है. समाज के सभी वर्ग इससे प्रभावित हो रहे हैं. नक्सली भी इससे अछूते नहीं हैं. पुलिस के मुताबिक झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादी पर इसका असर पड़ा है. दो माओवादी जोनल कमांडर की मौत भी हो चुकी है.

नक्सली
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Published : May 18, 2021, 1:58 AM IST

रांचीः झारखंड में कुल में संक्रमण की वजह से हजारों लोगों की जान जा चुकी हैं, वहीं अब कोरोना ने झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों को भी अपने चपेट में ले लिया है. झारखंड में भाकपा माओवादियों को कोरोना संक्रमण के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

रिपोर्ट में खुलासा

हाल में ही झारखंड सहित दूसरे नक्सल प्रभावित राज्यों में काम कर रही खुफिया एजेंसियों द्वारा कोरोना संक्रमण के माओवादी संगठन पर प्रभाव को लेकर एक रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी है.

यह भी पढ़ेंः रुक्का डैम में डूबने से एक ही परिवार के तीन युवकों की मौत, एक दूसरे के बचाने के चक्कर में हुआ हादसा

रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में सरायकेला- खरसांवा, रांची और चाईबासा के ट्राइजंक्सन में कोरोना के कारण दो माओवादी जोनल कमांडर की मौत हो चुकी है.

वहीं एक दर्जन से अधिक माओवादी कैडर कोविड पॉजिटिव हैं. जानकारी के मुताबिक, कोविड के कारण छतीसगढ़ और झारखंड में माओवादी संगठन को बड़ा नुकसान हुआ है. बस्तर में कोविड के कारण अब तक 10 से अधिक माओवादी अपनी जान गवां चुके हैं.

कैडरों से नहीं मिल रहे नेता

खुफिया एजेंसियों के मुताबिक कोरोना के दूसरे म्यूटेंट के बाद माओवादियों के बड़े नेता अपने छोटे कैडरों से मिल नहीं रहे. माओवादियों के नेताओं ने कैडरों से मुलाकात बंद कर दी है. जानकारी के मुताबिक माओवादियों ने कोविड खतरे को लेकर दस्तों के स्वरूप में भी बदलाव की है.

हाल के दिनों में माओवादियों ने लांजी में बड़ा समूह जमा था. पुलिस बलों पर हमला किया गया था, जिसमें तीन पुलिसकर्मी शहीद भी हुए थे, लेकिन अब पुलिसकर्मी लांजी या ऐसी ही दुरूह जगहों के बजाय छोटी-छोटी टुकड़ियों में चांडिल, चौका या फिर रांची के तमाड़, विजयगिरी जैसे इलाकों में रह रहें, जहां से सड़क संचार की बेहतर सुविधा उपलब्ध है.

लेवी देने वालों से भी संपर्क नहीं

खुफिया एजेंसियों की रिपेार्ट के मुताबिक, भाकपा माओवादी न सिर्फ अपने कैडर बल्कि लेवी देने वालों के भी संपर्क में नहीं आ रहे, जिससे संगठन को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है.

खुफिया एजेंसियों को मिले इनपुट के मुताबिक, सरायकेला- खरसावां, चाईबासा और रांची के अलग-अलग ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पताल में माओवादियों ने अपना इलाज भी कराया है.

केंद्रीय खुफिया विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना संक्रमण के कारण मृत व संक्रमित पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ भी सकती है. राज्य पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक, मृत माओवादियों की संख्या के बारे में सत्यापन किया जा रहा है.

अस्पतालों पर नजर

दो महीने पहले कोरोना संक्रमण से ग्रसित एक माओवादी कमांडर चतरा के एक अस्पताल में इलाज करवाने के लिए पहुंचा था, जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था. झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस की विशेष नजर अस्पतालों पर है. अस्पतालों के आसपास सादे लिबास में पुलिसकर्मी भी तैनात किए गए हैं ताकि अगर कोई नक्सली अपना इलाज करवाने आता है तो उसे दबोचा जा सके.

रांचीः झारखंड में कुल में संक्रमण की वजह से हजारों लोगों की जान जा चुकी हैं, वहीं अब कोरोना ने झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों को भी अपने चपेट में ले लिया है. झारखंड में भाकपा माओवादियों को कोरोना संक्रमण के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

रिपोर्ट में खुलासा

हाल में ही झारखंड सहित दूसरे नक्सल प्रभावित राज्यों में काम कर रही खुफिया एजेंसियों द्वारा कोरोना संक्रमण के माओवादी संगठन पर प्रभाव को लेकर एक रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी है.

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रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में सरायकेला- खरसांवा, रांची और चाईबासा के ट्राइजंक्सन में कोरोना के कारण दो माओवादी जोनल कमांडर की मौत हो चुकी है.

वहीं एक दर्जन से अधिक माओवादी कैडर कोविड पॉजिटिव हैं. जानकारी के मुताबिक, कोविड के कारण छतीसगढ़ और झारखंड में माओवादी संगठन को बड़ा नुकसान हुआ है. बस्तर में कोविड के कारण अब तक 10 से अधिक माओवादी अपनी जान गवां चुके हैं.

कैडरों से नहीं मिल रहे नेता

खुफिया एजेंसियों के मुताबिक कोरोना के दूसरे म्यूटेंट के बाद माओवादियों के बड़े नेता अपने छोटे कैडरों से मिल नहीं रहे. माओवादियों के नेताओं ने कैडरों से मुलाकात बंद कर दी है. जानकारी के मुताबिक माओवादियों ने कोविड खतरे को लेकर दस्तों के स्वरूप में भी बदलाव की है.

हाल के दिनों में माओवादियों ने लांजी में बड़ा समूह जमा था. पुलिस बलों पर हमला किया गया था, जिसमें तीन पुलिसकर्मी शहीद भी हुए थे, लेकिन अब पुलिसकर्मी लांजी या ऐसी ही दुरूह जगहों के बजाय छोटी-छोटी टुकड़ियों में चांडिल, चौका या फिर रांची के तमाड़, विजयगिरी जैसे इलाकों में रह रहें, जहां से सड़क संचार की बेहतर सुविधा उपलब्ध है.

लेवी देने वालों से भी संपर्क नहीं

खुफिया एजेंसियों की रिपेार्ट के मुताबिक, भाकपा माओवादी न सिर्फ अपने कैडर बल्कि लेवी देने वालों के भी संपर्क में नहीं आ रहे, जिससे संगठन को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है.

खुफिया एजेंसियों को मिले इनपुट के मुताबिक, सरायकेला- खरसावां, चाईबासा और रांची के अलग-अलग ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पताल में माओवादियों ने अपना इलाज भी कराया है.

केंद्रीय खुफिया विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना संक्रमण के कारण मृत व संक्रमित पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ भी सकती है. राज्य पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक, मृत माओवादियों की संख्या के बारे में सत्यापन किया जा रहा है.

अस्पतालों पर नजर

दो महीने पहले कोरोना संक्रमण से ग्रसित एक माओवादी कमांडर चतरा के एक अस्पताल में इलाज करवाने के लिए पहुंचा था, जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था. झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस की विशेष नजर अस्पतालों पर है. अस्पतालों के आसपास सादे लिबास में पुलिसकर्मी भी तैनात किए गए हैं ताकि अगर कोई नक्सली अपना इलाज करवाने आता है तो उसे दबोचा जा सके.

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