रांचीः राज्य के सबसे बड़े सरकारी मेडिकल संस्थान रिम्स का ताजा विवाद लंबे समय तक एक ही पद पर सेवा देने वाले डॉक्टरों की पदोन्नति को लेकर है. रिम्स प्रबंधन ने रिम्स शासी परिषद की 55वीं बैठक में लिए फैसले को दरकिनार कर 17 एसोसिएट प्रोफेसर को एडिशनल प्रोफेसर और 12 असिस्टेंट प्रोफेसर को एसोसिएट प्रोफेसर बना दिया था. जबकि 40 अन्य डॉक्टरों को सभी अहर्ता पूरा करने के बाद भी प्रमोशन यह कहकर नहीं दिया गया कि उनका पब्लिकेशन जमा नहीं है.
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जिन 40 डॉक्टरों का प्रमोशन नहीं हुआ, उनका कहना है कि यह शासी परिषद में लिए फैसले का खुलेआम उल्लंघन है. क्योंकि उसमें यह प्रस्ताव पारित हुआ था कि प्रमोशन के लिए निर्धारित उम्र पूरा कर चुके और 2020 में शुरू हुई. प्रमोशन की प्रक्रिया में साक्षात्कार देने वाले सभी डॉक्टरों की पदोन्नति की जाएगी. लेकिन प्रमोशन को लेकर विवाद के बाद असंतुष्ट चिकित्सकों में खासा आक्रोश नजर आ रहा है.
स्वास्थ्य मंत्री ने करायी मध्यस्थताः कुछेक डॉक्टरों की पदोन्नति और बाकी को प्रमोशन के लायक नहीं समझने के प्रबंधन के फैसले को लेकर डॉक्टरों में आक्रोश है. इसकी जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने अपने डोरंडा स्थित आवास पर रिम्स के आक्रोशित डॉक्टरों और रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद के साथ बैठक की. स्वास्थ्य मंत्री ने निर्देश दिया कि पदोन्नति के मुद्दे पर रिम्स एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक बुलाकर इस समस्या का समाधान निकालें.
गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री आवास पर हुई बैठक में कई डॉक्टर शामिल हुए. इनमें डॉ. प्रभात कुमार, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. ऋषि गुड़िया, डॉ. पंकज बोदरा, डॉ. ब्रजेश मिश्रा, डॉ. जेनित, डॉ. आनंद प्रकाश, डॉ. सुनील महतो और रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद भी शामिल हुए.
रिम्स का विवादों से गहरा नाता रहा है. कभी विभाग के एचओडी के पद को रोटेशनल करने, कभी तृतीय और चतुर्थी श्रेणी के पदों पर नियुक्ति का मामला हो या उपकरण खरीद का. हर बार रिम्स विवादों में रहा है. ऐसे में पदोन्नति से चूक गए डॉक्टरों के आक्रोश को कम करने की कोशिश स्वास्थ्य मंत्री ने की है. अब देखना होगा कि रिम्स एग्जीक्यूटिव कमिटी की बैठक के बाद आने वाले दिनों में पदोन्नति का विवाद क्या रुख अख्तियार करता है.