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क्यों विवादों में है झारखंड का मॉब लिंचिंग बिल, जानिए पूरी खबर

झारखंड में मॉब लिंचिंग बिल को राजभवन के द्वारा लौटाने के बाद एक बार फिर ये चर्चा में है. झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में इसको लेकर हंगामे के आसार हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बिल मे ऐसा क्या है कि ये शुरुआत से ही विवादों में रहा.

mob lynching bill in jharkhand
झारखंड में मॉब लिंचिंग बिल
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Published : Mar 21, 2022, 10:39 AM IST

रांची: झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार के द्वारा मॉब लिंचिंग की घटना को रोकने के लिए विधानसभा के शीतकालीन सत्र 2021 को द झारखंड प्रिवेंशन ऑफ मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग बिल को पास कराया गया था. जिसे राजभवन के द्वारा 2 बिंदुओं पर आपत्ति जताते हुए सरकार को लौटा दिया गया है. अब इस बिल पर झारखंड में फिर सियासत शुरू हो गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि इस बिल में ऐसा क्या है कि शुरुआत से ही ये विवादों में घिरा रहा.

ये भी पढ़ें- राजभवन ने मॉब लिंचिंग प्रीवेंशन बिल सरकार को लौटाया, दो बिंदुओं पर जताई आपत्ति

बिल के दो बिंदुओं पर राजभवन ने जताई आपत्ति

झारखंड राजभवन के द्वारा बिल के दो बिंदुओं पर आपत्ति जताई गई है और राजभवन के द्वारा सुझाव दिया गया है कि कि विधेयक की धारा 2 (vi) में भीड़ की जो परिभाषा दी गई है वो कानूनी शब्दावली के अनुरूप नहीं है. राजभवन के अनुसार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के भीड़ को अशांत भीड़ नहीं कहा जा सकता. राजभवन की दूसरी आपत्ति गवाह संरक्षण योजना को लेकर है. इसका जिक्र विधेयक के अंग्रेजी संस्करण में किया गया है लेकिन हिंदी संस्करण में नहीं है. लिहाजा दोनों संस्करण में समानता का हवाला देते हुए इसमें सुधार की आवश्यकता बताई गई है.

ये भी पढ़ें- Jharkhand Assembly Winter Session: सदन से झारखंड मॉब लिंचिंग प्रिवेंशन बिल 2021 पास

शीतकालीन सत्र में हुआ था पास

विधानसभा के पिछले शीतकालीन सत्र के दौरान 21 दिसंबर को सदन के पटल पर यह बिल राज्य सरकार की ओर से लाया गया था. इस बिल के प्रावधानों को लेकर झारखंड में विवाद शुरुआत से ही रहा है.

मॉब लिंचिंग बिल के प्रावधान

  • अगर कोई मॉब लिंचिंग में शामिल रहता है और ऐसी घटना में पीड़ित की मौत हो जाती है तो दोषी को सश्रम आजीवन कारावास के साथ 25 लाख रुपये तक जुर्माना देना होगा.
  • लिंचिंग का माहौल बनाने में सहयोग करने वाले ऐसे व्यक्ति को 3 साल की सजा और एक से 3 लाख तक जुर्माना होगा.
  • विधेयक में उकसाने वालों को भी दोषी माना गया है और उन्हें 3 साल की सजा और एक से 3 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
  • मॉब लिंचिंग की रोकथाम के लिए पुलिस महानिदेशक स्तर के पदाधिकारी को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है.
  • मॉब लिंचिंग में गंभीर रुप से घायल होने पर इस घटना के दोषी को 10 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा होगी. इसके साथ ही 3 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.
  • बिल में 2 या 2 से आधिक लोगों को मॉब माना गया.
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में इस बिल को लाया गया.

ये भी पढ़ें- Jharkhand Mob Lynching Bill: विधानसभा से पारित मॉब लिंचिंग बिल पहुंचा राजभवन

मॉब लिंचिंग बिल पर सियासत: झारखंड विधानसभा से पारित इस बिल पर खूब सियासत हुआ था. बीजेपी शुरू से ही इस बिल का विरोध कर रही है. पार्टी के मुताबिक मॉब लिंचिंग बिल सिर्फ राजनीतिक फायदा लेने के लिए लाया गया है. . इस बिल में मॉब की जो परिभाषा दी गई है उस पर आपत्ति जताते हुए बीजेपी ने कहा कि इससे अभिव्यक्ति की आजादी प्रभावित होगी. दो या दो से अधिक व्यक्ति के किसी कांड में शामिल होने पर उसे मॉब कहना गलत है. इसी प्रावधानों को लेकर में बीजेपी ने राज्यपाल से मिलकर इसकी मंजूरी नहीं देने की अपील की थी. तो इधर सत्ता में शामिल दलों ने बीजेपी पर मॉब लिंचिंग को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.

झारखंड में मॉब लिंचिंग: दरअसल झारखंड में मॉब लिंचिंग या भीड़ हिंसा के मामले अक्सर आते रहते हैं. कभी डायन बिसाही तो कभी चोरी-अवैध संबंध के मामलों में पिटाई के मामले सामने आते रहे है. इसी के रोकथाम को लेकर मॉब लिंचिंग बिल पास कर राजभवन भेजा गया था. लेकिन राजभवन के द्वारा इसे लौटाने के बाद झारखंड में इसको लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है.

रांची: झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार के द्वारा मॉब लिंचिंग की घटना को रोकने के लिए विधानसभा के शीतकालीन सत्र 2021 को द झारखंड प्रिवेंशन ऑफ मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग बिल को पास कराया गया था. जिसे राजभवन के द्वारा 2 बिंदुओं पर आपत्ति जताते हुए सरकार को लौटा दिया गया है. अब इस बिल पर झारखंड में फिर सियासत शुरू हो गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि इस बिल में ऐसा क्या है कि शुरुआत से ही ये विवादों में घिरा रहा.

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बिल के दो बिंदुओं पर राजभवन ने जताई आपत्ति

झारखंड राजभवन के द्वारा बिल के दो बिंदुओं पर आपत्ति जताई गई है और राजभवन के द्वारा सुझाव दिया गया है कि कि विधेयक की धारा 2 (vi) में भीड़ की जो परिभाषा दी गई है वो कानूनी शब्दावली के अनुरूप नहीं है. राजभवन के अनुसार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के भीड़ को अशांत भीड़ नहीं कहा जा सकता. राजभवन की दूसरी आपत्ति गवाह संरक्षण योजना को लेकर है. इसका जिक्र विधेयक के अंग्रेजी संस्करण में किया गया है लेकिन हिंदी संस्करण में नहीं है. लिहाजा दोनों संस्करण में समानता का हवाला देते हुए इसमें सुधार की आवश्यकता बताई गई है.

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शीतकालीन सत्र में हुआ था पास

विधानसभा के पिछले शीतकालीन सत्र के दौरान 21 दिसंबर को सदन के पटल पर यह बिल राज्य सरकार की ओर से लाया गया था. इस बिल के प्रावधानों को लेकर झारखंड में विवाद शुरुआत से ही रहा है.

मॉब लिंचिंग बिल के प्रावधान

  • अगर कोई मॉब लिंचिंग में शामिल रहता है और ऐसी घटना में पीड़ित की मौत हो जाती है तो दोषी को सश्रम आजीवन कारावास के साथ 25 लाख रुपये तक जुर्माना देना होगा.
  • लिंचिंग का माहौल बनाने में सहयोग करने वाले ऐसे व्यक्ति को 3 साल की सजा और एक से 3 लाख तक जुर्माना होगा.
  • विधेयक में उकसाने वालों को भी दोषी माना गया है और उन्हें 3 साल की सजा और एक से 3 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
  • मॉब लिंचिंग की रोकथाम के लिए पुलिस महानिदेशक स्तर के पदाधिकारी को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है.
  • मॉब लिंचिंग में गंभीर रुप से घायल होने पर इस घटना के दोषी को 10 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा होगी. इसके साथ ही 3 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.
  • बिल में 2 या 2 से आधिक लोगों को मॉब माना गया.
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में इस बिल को लाया गया.

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मॉब लिंचिंग बिल पर सियासत: झारखंड विधानसभा से पारित इस बिल पर खूब सियासत हुआ था. बीजेपी शुरू से ही इस बिल का विरोध कर रही है. पार्टी के मुताबिक मॉब लिंचिंग बिल सिर्फ राजनीतिक फायदा लेने के लिए लाया गया है. . इस बिल में मॉब की जो परिभाषा दी गई है उस पर आपत्ति जताते हुए बीजेपी ने कहा कि इससे अभिव्यक्ति की आजादी प्रभावित होगी. दो या दो से अधिक व्यक्ति के किसी कांड में शामिल होने पर उसे मॉब कहना गलत है. इसी प्रावधानों को लेकर में बीजेपी ने राज्यपाल से मिलकर इसकी मंजूरी नहीं देने की अपील की थी. तो इधर सत्ता में शामिल दलों ने बीजेपी पर मॉब लिंचिंग को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.

झारखंड में मॉब लिंचिंग: दरअसल झारखंड में मॉब लिंचिंग या भीड़ हिंसा के मामले अक्सर आते रहते हैं. कभी डायन बिसाही तो कभी चोरी-अवैध संबंध के मामलों में पिटाई के मामले सामने आते रहे है. इसी के रोकथाम को लेकर मॉब लिंचिंग बिल पास कर राजभवन भेजा गया था. लेकिन राजभवन के द्वारा इसे लौटाने के बाद झारखंड में इसको लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है.

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