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झारखंड में कोर्ट फीस वृद्धि का विवाद गहराया, बार काउंसिल और राज्य सरकार आमने-सामने

झारखंड में कोर्ट फीस में बढ़ोतरी को लेकर बवाल मचा हुआ है(Controversy over hike in court fees ). इसे लेकर बार काउंसिल और सरकार के बीच ठन गई है. हालांकि सीएम ने समस्या के समाधान के लिए उन्हें बुलाया है, लेकिन काउंसिल ने उसमें नहीं जाने का फैसला लिया है

Controversy over hike in court fees
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Published : Jan 5, 2023, 10:23 PM IST

रांचीः झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं(Controversy over hike in court fees ). इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है. बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है. गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा. काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया.

ये भी पढ़ेंः झारखंड के अधिवक्ता 6 जनवरी से न्यायिक कार्यों से रहेंगे दूर, जानें वजह


एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे. बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है. एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है.

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है.

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं.

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है. इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी. काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले. काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा. इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है.

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी. यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे. इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है. इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया. काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को. इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया.

इनपुट- आईएएनएस

रांचीः झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं(Controversy over hike in court fees ). इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है. बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है. गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा. काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया.

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एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे. बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है. एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है.

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है.

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं.

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है. इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी. काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले. काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा. इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है.

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी. यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे. इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है. इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया. काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को. इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया.

इनपुट- आईएएनएस

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