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पीसीसी गठन के बाद से कांग्रेस में घमासान जारी, राकेश सिन्हा ने कहा- पार्टी में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं

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Published : Dec 13, 2022, 8:00 AM IST

Updated : Dec 13, 2022, 1:55 PM IST

झारखंड में कांग्रेस ने सांगठनिक मजबूती तो देखते हुए प्रदेश कमिटी का गठन किया. लेकिन कमिटी के गठन के साथ ही पार्टी में विवाद शुरू हो गया(Controversy in Congress since PCC formation). पार्टी नेताओं ने भेदभाव और उपेक्षा का आरोप लगाया है. वहीं आज पार्टी में उठे विवादों के बीच अनुशासन समिति की बैठक होगी. इस बैठक के जरिए विरोध के स्वर को दबाने की कोशिश होगी.

Controversy continues in Congress
Controversy continues in Congress
देखेंं पूरी खबर

रांचीः उदयपुर चिंतन शिविर में लिए फैसले को भूलकर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के गठन करने का आरोप कांग्रेस के युवा और बुजुर्ग दोनों तरह के कांग्रेसी लगा रहे(Controversy in Congress since PCC formation) हैं. झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ये चारों नेता विरोध के केंद्र में हैं. विरोध के स्वर तेज करने वाले नेताओं का सीधा आरोप है कि उदयपुर चिंतन शिविर जिसमें देशभर के चार सौ से ज्यादा कांग्रेस जनों की उपस्थिति में पार्टी संगठन को मजबूत करने का फैसला लिया गया था, उसको झारखंड में ताक पर रख दिया गया.

ये भी पढ़ेंः झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के तीन प्रदेश सचिव ने दिया इस्तीफा, निशाने पर प्रदेश प्रभारी

झारखंड कांग्रेस की नई प्रदेश कमिटी का विरोध कर रहे नेताओं ने कहा कि जब उदयपुर चिंतन शिविर में फैसला हुआ था कि एक ही परिवार के दो लोग महत्वपूर्ण पदों पर नहीं रहेंगे, तब कांग्रेस विधायक दल के नेता, सरकार में मंत्री आलमगीर आलम के बेटे प्रदेश कांग्रेस कमिटी में महासचिव कैसे बन गए ? उदयपुर चिंतन शिविर में जब फैसला हुआ था कि एक व्यक्ति एक पद की रणनीति पर पार्टी आगे बढ़ेगी तो फिर प्रदेश अध्यक्ष खुद अध्यक्ष भी हैं, सरकार के समन्वय समिति के सदस्य बनकर मंत्री का दर्जा का लाभ भी ले रहे हैं और प्रदेश कांग्रेस के संसदीय कमिटी में भी हैं.

कांग्रेस के आक्रोशित नेताओं ने कहा कि उदयपुर चिंतन शिविर में यह फैसला लिया गया था कि एक बार संगठन में किसी पद पर काम करने के बाद 05 साल का कूलिंग पीरियड होगा. इस दौरान उन्हें आम कांग्रेसी कार्यकर्ता की तरह पार्टी संगठन की सेवा करनी होगी, लेकिन नई कमिटी में एक नहीं, कई ऐसे नाम हैं जो पिछली प्रदेश कांग्रेस कमिटी में महत्वपूर्ण पद पर थे और इस बार भी उन्हें जगह मिली है.


कांग्रेस संगठन में अपना सारा जीवन दे देने वाले जिन्हें इंदिरा गांधी तक ने सम्मानित किया था उनमें से मुंजी सिंह और देवराज खत्री जैसे नेता आज झारखंड कांग्रेस की स्थिति से दुखी हैं. वह कहते हैं कि पार्टी के हित में सवाल उठाने पर प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि जिनका जनाधार नहीं है, वही विरोध कर रहे हैं. ऐसे में ये बुजुर्ग नेता कहते हैं कि जिन्हें खुद विधानसभा चुनाव में दो हजार वोट नहीं आता वह जनाधार की बात करते हैं, प्रदेश प्रभारी को चाटुकारों से घिरे होने का आरोप लगाते हुए मुंजी सिंह कहते हैं कि कांग्रेस की वर्तमान दशा देख दुख होता है. कांग्रेस के सुनील सिंह कहते हैं कि उदयपुर चिंतन शिविर के फैसले को ताक पर रखकर प्रदेश प्रभारी और अन्य बड़े नेताओं ने परिवारवाद, परिक्रमा करने वाले लोगों, जातिवाद को बढ़ावा दिया है.

कांग्रेस के अंदर उभरे विरोध के स्वर को लेकर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि विरोध यह दर्शाता है कि पार्टी में लोकतंत्र है, सभी को अपनी बात रखने की आजादी है परंतु अनुशासन की सीमा को कोई लांघता है तो वह बर्दाश्त नहीं होगा.

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रांचीः उदयपुर चिंतन शिविर में लिए फैसले को भूलकर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के गठन करने का आरोप कांग्रेस के युवा और बुजुर्ग दोनों तरह के कांग्रेसी लगा रहे(Controversy in Congress since PCC formation) हैं. झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ये चारों नेता विरोध के केंद्र में हैं. विरोध के स्वर तेज करने वाले नेताओं का सीधा आरोप है कि उदयपुर चिंतन शिविर जिसमें देशभर के चार सौ से ज्यादा कांग्रेस जनों की उपस्थिति में पार्टी संगठन को मजबूत करने का फैसला लिया गया था, उसको झारखंड में ताक पर रख दिया गया.

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झारखंड कांग्रेस की नई प्रदेश कमिटी का विरोध कर रहे नेताओं ने कहा कि जब उदयपुर चिंतन शिविर में फैसला हुआ था कि एक ही परिवार के दो लोग महत्वपूर्ण पदों पर नहीं रहेंगे, तब कांग्रेस विधायक दल के नेता, सरकार में मंत्री आलमगीर आलम के बेटे प्रदेश कांग्रेस कमिटी में महासचिव कैसे बन गए ? उदयपुर चिंतन शिविर में जब फैसला हुआ था कि एक व्यक्ति एक पद की रणनीति पर पार्टी आगे बढ़ेगी तो फिर प्रदेश अध्यक्ष खुद अध्यक्ष भी हैं, सरकार के समन्वय समिति के सदस्य बनकर मंत्री का दर्जा का लाभ भी ले रहे हैं और प्रदेश कांग्रेस के संसदीय कमिटी में भी हैं.

कांग्रेस के आक्रोशित नेताओं ने कहा कि उदयपुर चिंतन शिविर में यह फैसला लिया गया था कि एक बार संगठन में किसी पद पर काम करने के बाद 05 साल का कूलिंग पीरियड होगा. इस दौरान उन्हें आम कांग्रेसी कार्यकर्ता की तरह पार्टी संगठन की सेवा करनी होगी, लेकिन नई कमिटी में एक नहीं, कई ऐसे नाम हैं जो पिछली प्रदेश कांग्रेस कमिटी में महत्वपूर्ण पद पर थे और इस बार भी उन्हें जगह मिली है.


कांग्रेस संगठन में अपना सारा जीवन दे देने वाले जिन्हें इंदिरा गांधी तक ने सम्मानित किया था उनमें से मुंजी सिंह और देवराज खत्री जैसे नेता आज झारखंड कांग्रेस की स्थिति से दुखी हैं. वह कहते हैं कि पार्टी के हित में सवाल उठाने पर प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि जिनका जनाधार नहीं है, वही विरोध कर रहे हैं. ऐसे में ये बुजुर्ग नेता कहते हैं कि जिन्हें खुद विधानसभा चुनाव में दो हजार वोट नहीं आता वह जनाधार की बात करते हैं, प्रदेश प्रभारी को चाटुकारों से घिरे होने का आरोप लगाते हुए मुंजी सिंह कहते हैं कि कांग्रेस की वर्तमान दशा देख दुख होता है. कांग्रेस के सुनील सिंह कहते हैं कि उदयपुर चिंतन शिविर के फैसले को ताक पर रखकर प्रदेश प्रभारी और अन्य बड़े नेताओं ने परिवारवाद, परिक्रमा करने वाले लोगों, जातिवाद को बढ़ावा दिया है.

कांग्रेस के अंदर उभरे विरोध के स्वर को लेकर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि विरोध यह दर्शाता है कि पार्टी में लोकतंत्र है, सभी को अपनी बात रखने की आजादी है परंतु अनुशासन की सीमा को कोई लांघता है तो वह बर्दाश्त नहीं होगा.

Last Updated : Dec 13, 2022, 1:55 PM IST
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