रांची: 24 जनवरी से आमरण अनशन पर बैठे राज्य में अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्यकर्मी अपनी मांगों को लेकर भिक्षाटन कर रहे हैं. अनुबंध पर बहाल सुरक्षाकर्मियों ने कहा कि सरकार ने उनकी मांगों को लेकर आंख बंद कर ली है. ऐसे में सरकार को जगाने के लिए वह भिक्षाठन कर रहे हैं.
स्वास्थ्यमंत्री के आश्वासन बाद भी कोई पहल नहीं: मंगलवार को सभी स्वास्थ्यकर्मी एप्रन पहनकर धरनास्थल से कचहरी चौक तक भिक्षाटन के लिए निकले. भिक्षाटन कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी मांगों को लेकर वह स्वास्थ्य सचिव एवं अन्य अधिकारियों से 7 फरवरी को मुलाकात करेंगे, लेकिन अभी तक स्वास्थ्य मंत्री की तरफ से कोई पहल नहीं की गई है. जिससे नाराज सभी स्वास्थ्यकर्मी भिक्षाटन के लिए निकल पड़े. उन्होंने कहा कि वे पिछले 25 दिनों से धरना पर बैठे हुए हैं, लेकिन सरकार और उनके अधिकारियों की नींद नहीं खुल रही है. इसलिए सभी स्वास्थ्यकर्मी आज सड़क पर भीख मांग कर सरकार को जगाने का प्रयास कर रहे हैं.
क्या है स्वास्थ्यकर्मियों की मांग: स्वास्थ्यकर्मियों ने कहा कि पिछले 15-20 सालों से वे सभी स्वास्थ्य विभाग में काम कर रहे हैं. कोरोना महामारी के समय में सभी स्वास्थ्यकर्मियों ने स्वास्थ्य विभाग का साथ दिया था, लेकिन आज जब अनुबंधकर्मियों को नियमितीकरण करने की बात कही जा रही है तो सरकार अपने पैर पीछे कर रही है, जो निश्चित रूप से स्वास्थ्यकर्मियों के साथ अन्याय है. स्वास्थ्यकर्मियों ने कहा कि उन्हें जिस तरह वेतन दिया जा रहा है कि वे सड़क पर भीख मांगने को मजबूर हो जाएंगे. उन्होंने बताया कि उस वेतन में उनका पूरा खर्चा भी नहीं चल पाता तो वह परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे. स्वास्थ्य कर्मियों ने मांग की है कि जल्द से जल्द उनकी मांगों पर विचार किया जाए नहीं तो आने वाले समय में उनका आंदोलन और भी उग्र होगा.