रांचीः कांग्रेस ने अडाणी प्रकरण पर केंद्र सरकार की चौतरफा घेराबंदी शुरू कर दी है. रांची में शुक्रवार को संवाददादा सम्मेलन करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अतुल लोंढे पाटिल और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार अपने पूंजीपति मित्र को सरकारी खजाने की लूट की छूट दे दी है. उन्होंने कहा कि अडानी के हैं कौन के नाम से पोल खोल अभियान राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किया गया है.
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कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि देश में महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है. देशवासी जानना चाहते हैं कि कैसे एक संदिग्ध साख वाला समूह, जिसपर टैक्स हेवन देशों से संचालित शेल कंपनियों से संबंध होने का आरोप लगा है. वहीं समूह केंद्र सरकार की मदद से भारत की संपत्तियों पर अधिकार स्थापित कर रहा है. भ्रष्टाचार और घोटाला का आरोप लगा है. इसके बावजूद जांच से केंद्र सरकार पीछे हट रही है.
कांग्रेस ने कहा कि स्विट्ज़रलैंड के केंद्रीय बैंक के पिछले वार्षिक डेटा के मुताबिक 2021 में स्विस बैंकों में जमा भारतीय व्यक्तियों और कंपनियों का पैसा 14 वर्षों के उच्चतम स्तर 3.83 बिलियन से अधिक हो गया है. उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा है कि टैक्स हेवन देशों से संचालित होने वाली शेल कंपनियों से भारत आने वाले काले धन का मालिक कौन है.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि 1992 में शेयर बाजार घोटाला हुआ था, जिसमें आरोपी हर्षद मेहता था. इस मामले में जेपीसी ने जांच की थी. उन्होंने कहा कि साल 2001 में जेपीसी ने केतन पारेख मामले की जांच की. लेकिन अडानी मामले में जेपीसी का गठन नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी किस बात से डर रहे हैं.
कांग्रेस के मोदी सरकार से सवाल
1. 24 जनवरी और 15 फरवरी 2023 के बीच अडानी समूह के शेयरों के मूल्य में 10,50,000 करोड़ रु. की गिरावट आई. 19 जुलाई 2021 को वित्त मंत्रालय ने संसद में स्वीकार किया था कि अडानी समूह सेबी के नियमों का उल्लंघन करने के लिए जांच के दायरे में है. फिर भी अडानी समूह के शेयरों की कीमतों में उछाल आने दिया गया.
2. एलआईसी द्वारा खरीदे गए अडानी समूह के शेयरों का मूल्य 30 दिसंबर 2022 को 83,000 करोड़ रुपए था, जो 15 फरवरी 2023 में घट कर 39 हजार करोड़ रह गया. शेयरों के मूल्यों में कमी और समूह द्वारा धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के बाद भी मोदी सरकार ने एलआईसी को अडानी एंटरप्राइजेज़ के फॉलो-आन पब्लिक ऑफर के तहत 300 करोड़ क्यों निवेश किया गया.
3. 2001 के केतन पारेख घोटाले में सेबी ने पता लगाया था तो अडानी समूह की गड़बड़ी को क्यों नहीं पकड़ा.
4. 14 जून 2022 को अडानी समूह ने घोषणा की थी कि फ्रांस की टोटल एनर्जी के साथ साझेदारी के तहत ग्रीन हाइड्रोजन में 50 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा. 4 जनवरी 2023 को ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19,744 करोड़ रुपये की लागत के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी. टोटल एनर्जी ने इस उद्यम में अपनी भागीदारी को रोक दिया है. क्या करदाताओं के पैसों से सब्सिडी प्रदान नहीं की गई.
1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि अगले चरण में 50 और हवाई अड्डे, हेलीपोर्ट और वाटर एयरोड्रम को पुनर्जीवित किया जाएगा. इनमें से कितने अडानी को लाभ पहुंचाएंगे?
कांग्रेस ने कहा कि अडानी समूह बहुत कम समय में भारत के हवाई अड्डों का सबसे बड़ा संचालक बन गया है. उन्होंने कहा कि साल 2019 में केंद्र सरकार ने छह हवाई अड्डों के संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी. इसके साथ ही मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी काबिज हो गया. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में अडानी समूह की ओर से 13 बंदरगाहों और टर्मिनल्स को संचालित किया जा रहा है.
कांग्रेस ने कहा कि 4-6 जुलाई 2017 की इजराइल यात्रा के बाद अडानी ग्रुप को भारत-इजराइल रक्षा संबंधों के संदर्भ में एक लाभ दिलाने वाली भूमिका सौंप दी गई है. कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, छोटे हथियार और विमान रखरखाव जैसे क्षेत्रों में संयुक्त उपक्रम स्थापित किए. लेकिन देश में कई स्टार्टअप कंपनियां और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पास वर्षों का अनुभव था.