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कांग्रेस ने किया 'नेहरूवादी विचारधारा और राष्ट्र निर्माण' के विषय पर संगोष्ठी का आयोजन, नेताओं ने रखे अपने-अपने विचार

रांची में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती से पहले कांग्रेस पार्टी ने नेहरूवादी विचारधारा और राष्ट्र निर्माण के विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया. इस दौरान मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास इतना समृद्ध और मजबूत है कि इसे भावी पीढी के साथ साझा करने से ही कांग्रेस को मजबूती दी जा सकती है.

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संगोष्ठी का आयोजन
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Published : Nov 13, 2020, 4:43 PM IST

रांची: देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती के पहले शुक्रवार को कांग्रेसी स्टेट हेड क्वार्टर में 'नेहरूवादी विचारधारा और राष्ट्र निर्माण' के विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन प्रदेश के कृषि पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख ने दीप प्रज्वलन कर किया. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश की अध्यक्षता में हुई इस संगोष्ठी के विषय पर प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष संजय लाल पासवान ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू की विचारधारा, नेतृत्व क्षमता, दूरदर्शिता और ऐतिहासिक योगदान पर परिचर्चा देश के स्वर्णिम भविष्य गढ़ने के लिए आवश्यक है.


मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास इतना समृद्ध और मजबूत है कि इसे भावी पीढी के साथ साझा करने से ही कांग्रेस को मजबूती दी जा सकती है, आज हम सभी पंडित जवाहर लाल नेहरू को उनकी जयंती की पूर्व संघ्या पर याद कर रहें हैं और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान की चर्चा कर रहें हैं. उन्होंने कहा कि युगद्रष्टा प्रशासक के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरू के योगदान को हम याद कर रहें हैं, उन्होंने ऐसे समय में देश की बागडोर संभाली, जब देश में एक सुई का निर्माण नहीं होता था, ऐसे समय में नवरत्न कंपनियों को देश को समर्पित किया. उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू ने प्रथम पंचवर्षीय योजना और द्वितीय पंचवर्षीय योजना में ही 1951 से लेकर 1961 के बीच एक लंबी लकीर खिंची थी, उन्होंने भाखडा नंगल, रिहंद डैम, एचईसी, बोकारो स्टील प्लाॅट, भिलाई जैसे संस्थानों को देश को समर्पित किया, आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरू को हमेशा याद किया जाएगा.

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वहीं, मुख्य वक्ता डाॅ आरसी झा ने कहा कि आज देश को ये सोचना पड़ेगा अगर 1100 वर्षो के गुलामी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जिम्मेवारी न ली होती तो क्या होता, ये अलग बात है कि आज नीहित राजनीतिक स्वार्थ पूर्ति के लिए लोग पंडित नेहरू के कार्यकाल को गलत तरीके से भावी पीढी के सामने रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने मजबूत लोकतंत्र की बुनियाद रखने का काम किया, 1962 में चीन से युद्व के बाद विपक्ष की मांग को स्वीकारते हुए संपूर्ण सत्य को देश के सामने संसद के माघ्यम से साझा किया, जबकि वर्तमान 6 महीने से भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के विषय में तथ्य छुपाए जा रहें हैं.

रांची: देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती के पहले शुक्रवार को कांग्रेसी स्टेट हेड क्वार्टर में 'नेहरूवादी विचारधारा और राष्ट्र निर्माण' के विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन प्रदेश के कृषि पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख ने दीप प्रज्वलन कर किया. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश की अध्यक्षता में हुई इस संगोष्ठी के विषय पर प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष संजय लाल पासवान ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू की विचारधारा, नेतृत्व क्षमता, दूरदर्शिता और ऐतिहासिक योगदान पर परिचर्चा देश के स्वर्णिम भविष्य गढ़ने के लिए आवश्यक है.


मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास इतना समृद्ध और मजबूत है कि इसे भावी पीढी के साथ साझा करने से ही कांग्रेस को मजबूती दी जा सकती है, आज हम सभी पंडित जवाहर लाल नेहरू को उनकी जयंती की पूर्व संघ्या पर याद कर रहें हैं और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान की चर्चा कर रहें हैं. उन्होंने कहा कि युगद्रष्टा प्रशासक के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरू के योगदान को हम याद कर रहें हैं, उन्होंने ऐसे समय में देश की बागडोर संभाली, जब देश में एक सुई का निर्माण नहीं होता था, ऐसे समय में नवरत्न कंपनियों को देश को समर्पित किया. उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू ने प्रथम पंचवर्षीय योजना और द्वितीय पंचवर्षीय योजना में ही 1951 से लेकर 1961 के बीच एक लंबी लकीर खिंची थी, उन्होंने भाखडा नंगल, रिहंद डैम, एचईसी, बोकारो स्टील प्लाॅट, भिलाई जैसे संस्थानों को देश को समर्पित किया, आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरू को हमेशा याद किया जाएगा.

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वहीं, मुख्य वक्ता डाॅ आरसी झा ने कहा कि आज देश को ये सोचना पड़ेगा अगर 1100 वर्षो के गुलामी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जिम्मेवारी न ली होती तो क्या होता, ये अलग बात है कि आज नीहित राजनीतिक स्वार्थ पूर्ति के लिए लोग पंडित नेहरू के कार्यकाल को गलत तरीके से भावी पीढी के सामने रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने मजबूत लोकतंत्र की बुनियाद रखने का काम किया, 1962 में चीन से युद्व के बाद विपक्ष की मांग को स्वीकारते हुए संपूर्ण सत्य को देश के सामने संसद के माघ्यम से साझा किया, जबकि वर्तमान 6 महीने से भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के विषय में तथ्य छुपाए जा रहें हैं.

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