रांची: एचईसी की बदहाली का मामला लोकसभा में गूंजने लगा है. चाईबासा से कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा ने इस मामले को उठाया है. उन्होंने सदन में कहा कि भारी उद्योग के क्षेत्र में एचईसी की उपयोगिता हमेशा बनी रहेगी. इसके बावजूद देश का इतना प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित संस्थान आज ऐसे पड़ाव पर आ गया है, जहां के कर्मचारियों को वेतन के भी लाले पड़ गये हैं. पिछले कई माह से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है. इस संस्थान से जुड़े लोग कर्ज में डूब गये हैं. बच्चों की पढ़ाई बाधित होने लगी है. भूखों मरने की नौबत आ गई है.
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लोकसभा में एचईसी का मुद्दा
दूसरी तरफ कंपनी वेतन भुगतान करने में असमर्थता जता रही है. लाचार कर्मचारियों ने काम करना बंद कर दिया है. कर्मचारियों में आक्रोश है. इन बिंदुओं का जिक्र करते हुए लोकसभा में गीता कोड़ा ने अध्यक्ष के माध्यम से मांग की है कि केंद्र सरकार कामगारों का बकाया वेतन अविलंब भुगतान करे. उन्होंने आग्रह किया है कि कर्मचारियों को हर माह नियमित तौर पर वेतन मिलना चाहिए. सोमवार को भी लोकसभा में गीता कोड़ा ने वनउपज से रोजगार सृजन का मुद्दा उठाया था.
एचईसी के कर्मचारियों को वेतन नहीं
आपको बता दें कि एचईसी के कर्मचारियों को पिछले सात माह से वेतन नहीं मिला है. यही नहीं अधिकारियों को भी पिछले छह माह से वेतन नहीं मिला है. लाचार होकर पिछले दिनों कर्मचारियों ने काम ठप कर दिया. कर्मचारियों का आरोप है कि इतने बड़े संस्थान को भेल के सीएमडी बतौर प्रभारी चला रहे हैं. इसकी वजह से उनकी समस्याएं बढ़ती जा रही है. कर्मचारियों की मांग पर पिछले दिनों प्रभारी सीएमडी जरूर आए लेकिन उन्होंने भी वेतन भुगतान को लेकर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया.
अब मामला बिगड़ता जा रहा है. यहां स्पष्ट करना जरूरी है कि बदहाली के बावजूद एचईसी ऐसा संस्थान है जो अंतरिक्ष अनुसंधान इसरो, रक्षा, परमाणु, ऊर्जा, रेल, इस्पात और खनन क्षेत्रों में पूंजीगत आपूर्तिकर्ताओं में से एक है. इस संस्थान को लेकर सिर्फ राजनीति होती रही है. इसी संस्थान की जमीन पर आज झारखंड सरकार का सचिवालय यानी प्रोजेक्ट भवन के साथ विधानसभा भी बना है. लेकिन इस संस्थान की तकदीर नहीं बदल रही है.