नई दिल्ली: झारखंड से कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा ने कहा कि सरना धर्म कोड को केंद्र सरकार को लागू करना चाहिए. झारखंड विधानसभा से एक साल पहले सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया था लेकिन केंद्र सरकार ने इसको अब तक स्वीकार नहीं किया. इससे साफ दिखता है कि केंद्र सरकार आदिवासी हितैषी नहीं है.
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उन्होंने कहा कि यह होगा तभी आदिवासियों को उनका हक मिलेगा. सरकारी योजनाओं का लाभ उनको मिलेगा. मुख्यधारा से जुड़ने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि दिल्ली के जंतर मंतर पर कल कई आदिवासी संगठन इस मुद्दे पर प्रदर्शन करने वाले हैं. कांग्रेस का उनको पूरा समर्थन रहेगा. कांग्रेस मजबूती से उनके साथ खड़ी रहेगी.
दिल्ली में आदिवासी समुदाय का प्रदर्शन
बता दें वर्ष 2021 की जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग सरना धर्म कोड कॉलम की मांग को लेकर कल दिल्ली के जंतर मंतर पर राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के बैनर तले विभिन्न आदिवासी संगठन प्रदर्शन करेंगे. इसको लागू करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाएंगे. झारखंड के कई आदिवासी संगठन इस प्रदर्शन में शामिल होंगे.
झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार में आदिवासी समुदाय का बड़ा तबका अपने आपको सरना धर्म के अनुयाई के तौर पर मानता है. वह प्रकृति की प्रार्थना करते हैं और उनका विश्वास जल, जंगल और जमीन है. यह वन क्षेत्रों की रक्षा करने में विश्वास करते हुए पेड़ और पहाड़ियों की प्रार्थना करते हैं. झारखंड में 32 जनजातीय समूह हैं जिसमें 8 विशेष रुप से कमजोर जनजातीय समूहों में हैं. इनमें से कुछ हिंदू धर्म का पालन भी करते हैं तो कुछ ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए हैं. माना जाता है कि आदिवासी समुदाय के ईसाई समुदाय में परिवर्तित होने के बाद वह ST आरक्षण से वंचित हो जाते हैं. ऐसे में वह सरना धर्म कोड की मांग करके अपने आप को आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं होने देना चाहते हैं.