रांची: नए कृषि कानून को लेकर पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी शनिवार को चक्का जाम किया गया. झामुमो, राजद और वाम दलों के कार्यकर्ता दोपहर 12 बजे सड़क पर उतर आए और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, कार्यकर्ताओं ने डेढ़ घंटे तक चक्काजाम किया.
कोरोना संकट के बीच कृषि कानून लाने की क्या जरूरत थी ?
किसानों के आह्वान पर चक्का जाम को सफल बनाने के लिए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख भी सड़क पर उतरे. कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर नेशनल हाइवे को जाम कर दिया. बादल पत्रलेख ने कहा कि पूरे देश का किसान आज शांतिपूर्ण तरीके से सड़क पर है. उन्होंने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ पूरा देश कोरोना संकट से जूझ रहा था तो ऐसे में मोदी सरकार को इस तरह का कानून लाने की क्या जरुरत पड़ गई. सरकार को किसानों की मांग के आगे झुकना ही पड़ेगा और कृषि कानून वापस लेना होगा. किसानों की मांग पूरी करने के लिए सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ेंगे.
कृषि मंत्री ने कहा कि खेती राज्य का भी मुद्दा है. इसके बावजूद हमसे कोई चर्चा तक नहीं की गई. आखिर बिना किसी से चर्चा के बगैर केंद्र सरकार ने ऐसा कानून क्यों बना दिया? झामुमो नेता महुआ माजी ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार कृषि कानून को वापस नहीं लेती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
राजद और वामदलों का भी समर्थन
चक्काजाम में शामिल भाकपा माले के नेता शुभेंदु कुमार ने कहा कि जाम से लोगों को हल्की परेशानी हो रही है. लेकिन भविष्य में लोगों को परेशानियां नहीं हो इसके लिए आज छोटी परेशानियां का सामना करना पड़ेगा. जिस तरह यह आंदोलन उग्र रूप ले रहा है केंद्र सरकार को कानून वापस लेने पर बाध्य होना होगा. राजद नेता मोहम्मद जफर आलम ने भी किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि यह कानून किसानों के लिए खतरनाक है. केंद्र सरकार किसानों के पेट पर लात मार रही है. कानून वापस लेने तक विरोध जारी रहेगा.
राजधानी रांची के अलावा जमशेदपुर, रामगढ़, खूंटी, पाकुड़, पलामू और हजारीबाग समेत सभी जिलों में कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया गया. झामुमो नेताओं का कहना है कि झारखंड के लोग किसानों के साथ हैं. जब तक केंद्र सरकार किसानों की मांग नहीं पूरी करेगी तब तक आंदोलन करेंगे. मोदी सरकार को तीनों कृषि कानून को रद्द करना पड़ेगा.