रांची: झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो (Speaker Rabindra Nath Mahto) ने दिल्ली में आयोजित पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च (PRS Legislative Research) के 13वें वार्षिक सम्मेलन में भाग लिया. इस सम्मेलन में विधेयक और बजट सहित दूसरे विधायी मुद्दों पर देश की अलग-अलग विधानसभा की कार्य प्रणाली पर चर्चा की गई. झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि 22 वर्षों की छोटी अवधि में झारखंड विधानसभा ने संसदीय व्यवस्थाओं को मजबूती देने के लिए कई अभिनव प्रयोग किए हैं. जो पूरे देश के लिए नजीर बन सकती है.
उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा में अनागत प्रश्न क्रियान्वयन समिति की व्यवस्था की गई है. कई बार सत्र के दौरान समय के अभाव में या दूसरे व्यवधानों के कारण विधायकों के प्रश्न सदन पटल पर नहीं उठ पाते हैं. ऐसी परिस्थिति में अनागत प्रश्न क्रियान्वयन समिति के माध्यम से उन प्रश्नों की समीक्षा संबंधित विभागों के साथ की जाती है ताकि जनहित के मुद्दे अनछुए न रहें और विभागों को उनपर आवश्यक कार्रवाई के लिए बाध्य किया जा सके.
अपने संबोधन में विधानसभा अध्यक्ष ने लोकसभा के पहले स्पीकर मावलंकर की बातों का जिक्र किया. उन्होंने कहा था कि एक मजबूत लोकतंत्र के लिए सिर्फ बहुमत को आधार बनाने के बजाए बातचीत और समझने की स्वतंत्रता पर जोर देना होगा. उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया भर में मशहूर डेविड पी.रीड की परिकल्पना का जिक्र किया. उनका मानना है कि साल 2030 में लोकतंत्र सिर्फ नाम का रह जाएगा. सूचना प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में आर्टिफिशियक इंटेलिजेंस की मदद से पब्लिक ओपिनियन को मेनुपुलेट किया जाएगा.
उनकी यह बात न सिर्फ सभी विधायिकाओं के लिए बल्कि लोकतंत्र का भला चाहने वाले हर व्यक्ति के लिए यह महत्वपूर्ण विषय है. ऐसे में जरूरी है कि लोकतंत्र का भला चाहने वाले लोग ओपिनियम मेनुपुलेशन के लिए जागरूक होकर आम लोगों के बीच काम करें. स्पीकर ने vowels के पांच अक्षरों के जरिए विधायिका के उत्तरदायित्व को समझाया. स्पीकर ने कहा कि हर नागरिक कानून की नजर में बराबर है. सभी को बिना किसी भेदभाव के राजनीतिक अधिकार प्राप्त है. बहुमत का शासन भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था का मूल है. संविधान निर्माताओं ने आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को अपनाते हुए West Minister System के आधार पर संसदीय लोकतंत्र को स्थापित किया.