रांची: बिहार और झारखंड की राजधानी को जोड़ने वाली वंदे भारत ट्रेन सेवा के लिए तैयार है. पीएम नरेंद्र मोदी भोपाल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए 27 जून को हरी झंडी दिखाने जा रहे हैं. पूरा रेल महकमा इस आयोजन को सफल बनाने में जुटा है. इस ट्रेन का चार बार ट्रायल रन हो चुका है. जापान की बुलेट ट्रेन की तरह दिखने वाली वंदे भारत सिर्फ छह घंटे में रांची से पटना के बीच की दूरी तय करेगी. जबकि रांची से पटना के बीच की दूरी तय करने में जनशताब्दी एक्सप्रेस को 7 घंटा और 55 मिनट लगता है. जाहिर है कि भाग दौड़ वाले दौर में दो घंटे का अंतर बेहद मायने रखेगा. जनशताब्दी एक्सप्रेस और वंदे भारत के पटना रांची रुट के परिचालन की जो नई व्यवस्था बन रही है वह समय के कम लगने की एक बजह है और दूसरी वंदे भारत की रफ्तार की है.
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वंदे भारत और जनशताब्दी के चलने का दिन: वंदे भारत ट्रेन पटना से 28 जून को रूटीन बेसिस पर चलने लगेगी. यह सप्ताह में सिर्फ छह दिन चलेगी क्योंकि मंगलवार के दिन को मेंटेनेंस के लिए रिजर्व रखा गया है. वहीं जनशताब्दी ट्रेन सातों दिन चलती है. अब सवाल है कि दोनों ट्रेन के बीच सफर पूरा करने में करीब दो घंटे का अंतर कैसे हो रहा है.
वंदे भारत और जनशताब्दी का परिचालन: दरअसल, वंदे भारत का रूट अलग है. उसे पटना से रांची के बीच चलने के लिए सिर्फ 385 किलोमीटर का सफर तय करना है. वहीं जनशताब्दी को 411 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है. पटना से रांची तक वंदे भारत का सिर्फ पांच स्टॉपेज यानी गया, कोडरमा, हजारीबाग, बरकाकाना और मेसरा है. जबकि जनशताब्दी को 10 स्टॉपेज यानी तारेगना , जहानाबाद, गया, कोडरमा, हजारीबाग रोड, पारसनाथ, गोमो, चंद्रपुरा, बोकारो और मूरी में रूकना पड़ता है. वंदे भारत पांच स्टेशन पर कुल 21 मिनट रुकेगी. वहीं जन शताब्दी को 44 मिनट रुकना पड़ता है. अगर 23 मिनट और 26 किमी के अंतर का आकलन करेंगे तो फर्क समझ में आ जाएगा. जनशताब्दी का स्पीड औसत 54.8 किमी है. वहीं वंदे भारत का स्पीड औसत 64.16 किमी है. इस औसत को जनशताब्दी आसानी से पूरा करने की क्षमता रखती है.
जनशताब्दी की लोड कैपेसिटी: वंदे भारत और जनशताब्दी में खास अंतर यह भी है कि जनशताब्दी एक्सप्रेस पर लोड कैपेसिटी ज्यादा है. जनशताब्दी एक्सप्रेस में कुल 20 कोच होते हैं. इनमें तीन एसी चेयर कार और 17 सामान्य रिजर्वेशन के कोच होते हैं. इसके एसी चेयर कार में 78 सीट के हिसाब से कुल 234 लोग बैठ सकते हैं. जबकि सामान्य श्रेणी की 17 कोच में प्रति कोच 102 सीट के हिसाब से 1,734 लोगों के बैठने की क्षमता होती है. इस हिसाब से जनशताब्दी में कुल 1,968 लोग सफर कर सकते हैं.
वंदे भारत की लोड कैपेसिटी: वंदे भारत में कुल आठ कोच हैं. सात चेयर कार कोच में कुल 478 सीटें हैं. वहीं एक्सक्यूटिव क्लास की एक बोगी में सिर्फ 52 लोग बैठ सकते हैं. इस लिहाज से इस ट्रेन में फुल कैपेसिटी में 530 यात्री बैठ सकते हैं. जाहिर वंदे भारत की तुलना में जनशताब्दी एक्सप्रेस 1,438 अतिरिक्त पैसेंजर को ले जाने की क्षमता रखती है. ऐसे में कम लोड के साथ वंदे भारत ट्रेन ज्यादा स्पीड मेंटेन कर सकती है.
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वंदे भारत और जनशताब्दी की रफ्तार : वंदे भारत और जनशताब्दी दोनों ट्रेन की दूरी तय करने के लिए जो समय निर्धारित किया गया है, अगर उसका औसत निकालेंगे तो जनशताब्दी 54.43 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलेगी तो 7 घंटा 55 मिनट में 411 किमी का सफर तय करेगी. वहीं वंदे भारत को 385 किमी का सफर तय करने के लिए 64.16 किमी प्रति घंटा का स्पीड मेंटेन करना होता है. दोनों ट्रेन को स्टॉपेज का समय मेंटेन करने के लिए बीच-बीच में रफ्तार बढ़ानी पड़ती है. दोनों ट्रेन के स्पीड में महज 10 किमी प्रति घंटा की रफ्तार का अंतर है. इतने भर से ही वंदे भारत सिर्फ छह घंटा में दूरी तय करती है तो जनशताब्दी को 7 घंटा 55 मिनट लगते हैं. इससे साफ है कि अगर जनशताब्दी को 64 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से 385 किमी वाले रूट पर चलाया जाएगा तो यह ट्रेन भी महज छह घंटे में सफर तय कर लेगी.
अब सवाल है कि महज 10 किमी प्रति घंटा की रफ्तार के अंतर की वजह से 2 घंटे की बचत हो रही है. लेकिन यात्रियों की संख्या के लिहाज से जनशताब्दी एक्सप्रेस ज्यादा मायने रखती है. अंतर सिर्फ इतना है कि वंदे भारत ट्रेन मॉडर्न टेक्नोलॉजी पर बनी है. यह साउंड प्रूफ है. इसमें एक बोगी से दूसरे बोगी में जाने के लिए बीच में किसी तरह का कोई बैरियर नहीं है. सीटें आरामदायक हैं. इसमें कैटरिंग की सुविधा है जिसके लिए यात्रियों को अतिरिक्त पैसे देने होते हैं. मोबाइल चार्जिंग और हर सीट पर अलग से लाइटिंग की सुविधा है. टॉयलेट मॉडर्न तरीके से बने हुए हैं. बोगी का दरवाजा सेंट्रलाइज सिस्टम से खुलता और बंद होता है. सुरक्षा को मानकों पर यह ट्रेन अभी तक भारत की सभी ट्रेनों से आधुनिक मानी गई है.