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राजधानी की सड़कों पर अब नहीं दिखते प्याऊ, चिलचिलाती गर्मी में सूख जाते हैं राहगीरों के हलक

भीषण गर्मी में प्रचंड सूर्य कहर बरपा रहा है. दिन में घर से बाहर निकलने वाले चिलचिलाती धूप से परेशान हैं. पहले सड़कों पर प्याऊ की व्यवस्था होने से थोड़ी राहत मिल जाती थी लेकिन अब गिनती के प्याऊ ही दिखते हैं.

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Published : Jun 3, 2019, 5:20 PM IST

रांचीः राजधानी रांची में दिन के वक्त घर से निकलना पड़े तो पानी की बोतल जरूर साथ रखें. चिलचिलाती गर्मी में जब आपको प्यास लगेगी तो सड़क पर पीने के पानी का इंतजाम शायद ही मिले. गर्मियों में पहले जगह-जगह प्याऊ लगाए जाते थे, जहां राहगीरों को मुफ्त में ठंडा पानी पिलाया जाता था. अब प्याऊ लगाने का ये पुण्य काम सीमित होता जा रहा है.

रांची में इन दिनों लगभग 42 डिग्री तापमान है और लू भी लोगों को अपनी चपेट में लेने लगी है. इन सबके बीच रोजमर्रा की जिंदगी में लोग अपने जरूरी काम के लिए घर से निकलते हैं लेकिन रास्ते में प्यास बुझाने को तरस जाते हैं. गर्मी को देखते हुए हर साल कई सामाजिक संगठन शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर प्याऊ की व्यवस्था कराते रहे हैं. लोगों को ठंडा पानी मिल सके इसके लिए मिट्टी के घड़े में पानी भर कर भी रखा जाता है. इस पुण्य काम में भागीदारी निभाने वालों की संख्या दिन ब दिन घटती जा रही है.

प्याऊ को लेकर क्या सोचते हैं लोग


जैन मंदिर के बाहर आम रस
राहगीरों के लिए अपर बाजार स्थित दिगंबर जैन मंदिर के बाहर हर दिन सुबह 10 बजे से आम रस मुफ्त बांटा जाता है. यहां दिनभर लोगों की भीड़ जुटती है. तपती दोपहरी में ठंडा आम रस पीकर लोग राहत महसूस करते हैं. गला तर होने के बाद लोग दुआएं देते हैं और आगे बढ़ जाते हैं.

राहत देते प्याऊ
आम लोगों का कहना कि ऐसी गर्मी में सड़क पर यदि ठंडा पानी मिल जाए तो ये अमृत से कम नहीं. लोग जगह-जगह चौक-चौराहों और सड़क के किनारे प्याऊ लगाने की मांग कर रहे हैं. इनका कहना है कि सामाजिक संगठनों के अलावा भी सहभागिता से इस नेक काम को किया जाना चाहिए.

रांचीः राजधानी रांची में दिन के वक्त घर से निकलना पड़े तो पानी की बोतल जरूर साथ रखें. चिलचिलाती गर्मी में जब आपको प्यास लगेगी तो सड़क पर पीने के पानी का इंतजाम शायद ही मिले. गर्मियों में पहले जगह-जगह प्याऊ लगाए जाते थे, जहां राहगीरों को मुफ्त में ठंडा पानी पिलाया जाता था. अब प्याऊ लगाने का ये पुण्य काम सीमित होता जा रहा है.

रांची में इन दिनों लगभग 42 डिग्री तापमान है और लू भी लोगों को अपनी चपेट में लेने लगी है. इन सबके बीच रोजमर्रा की जिंदगी में लोग अपने जरूरी काम के लिए घर से निकलते हैं लेकिन रास्ते में प्यास बुझाने को तरस जाते हैं. गर्मी को देखते हुए हर साल कई सामाजिक संगठन शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर प्याऊ की व्यवस्था कराते रहे हैं. लोगों को ठंडा पानी मिल सके इसके लिए मिट्टी के घड़े में पानी भर कर भी रखा जाता है. इस पुण्य काम में भागीदारी निभाने वालों की संख्या दिन ब दिन घटती जा रही है.

प्याऊ को लेकर क्या सोचते हैं लोग


जैन मंदिर के बाहर आम रस
राहगीरों के लिए अपर बाजार स्थित दिगंबर जैन मंदिर के बाहर हर दिन सुबह 10 बजे से आम रस मुफ्त बांटा जाता है. यहां दिनभर लोगों की भीड़ जुटती है. तपती दोपहरी में ठंडा आम रस पीकर लोग राहत महसूस करते हैं. गला तर होने के बाद लोग दुआएं देते हैं और आगे बढ़ जाते हैं.

राहत देते प्याऊ
आम लोगों का कहना कि ऐसी गर्मी में सड़क पर यदि ठंडा पानी मिल जाए तो ये अमृत से कम नहीं. लोग जगह-जगह चौक-चौराहों और सड़क के किनारे प्याऊ लगाने की मांग कर रहे हैं. इनका कहना है कि सामाजिक संगठनों के अलावा भी सहभागिता से इस नेक काम को किया जाना चाहिए.

Intro:रांची डे प्लान..स्पेसल स्टोरी बाइट--राहगीर बाइट--राहगीर बाइट-- आम झोरा बांटते हुए पतपाती और चिलचिलाती धूप से लोग परेशान नजर आ रहे हैं लेकिन कड़ाके की धूप से लोगों को निजात नहीं मिल रहा है राजधानी रांची की अगर बात करें तो इन दिनों लगभग 42 डिग्री का तापमान से लोगो के सर पर चढ़ा हुआ है। दिनोंदिन तापमान बढ़ती ही जा रही है और लू भी लोगों को अपनी चपेट में लेने लगी है इन सबके बीच रोजमर्रा की जिंदगी में लोग अपने जरूरी कार्यों के लिए घर से निकलते हैं लेकिन रास्ते में लोग अपनी प्यास बुझाने को तरस जाते हैं इसी को ध्यान में रखते हुए कई सामाजिक संगठनों द्वारा चौक चौराहों पर प्याऊ का व्यवस्था कराया जाता है। ताकि राहगीरों को गर्मी से थोड़ी राहत मिल सके। इस प्याउ से आम राहगीरों को कितना होता है फायदा किन उद्देश्य से लगाते हैं सामाजिक संगठन प्याऊ। स्पेशल रिपोर्ट


Body:गर्मी को देखते हुए हर साल कई सामाजिक संगठनों द्वारा शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर प्याऊ का व्यवस्था कराया जाता है। और लोगों को शीतल और ठंडी जल मिले इसके लिए मिट्टी के घड़ा मैं पानी भर कर रखे जाते हैं। ताकि लोग इस शीतल जल से चिलचिलाती धूप में राजगीर अपने गले का प्यास बुझा सके। तो वहीं कई सामाजिक संगठनों द्वारा आम का रस भी बांटा जा रहा है ताकि लोगों का प्यास हो मुझे और लोग खुद को लू से बचा सके। अप्पर बाजार स्थित दिगंबर जैन मंदिर के बाहर प्रतिदिन सुबह 10:00 बजे से लोगों के बीच आमरस का वितरण किया जाता है जहां लोगों की भीड़ 1 मिनट के लिए भी कम नहीं होती और लोग इस तपपाती धूप में आम छोरा का सेवन कर खुद को लू लगने से बचा रहे हैं


Conclusion:प्यार से प्यास बुझा रहे लोगों का मानना है कि विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा उठाया गया कदम काफी सराहनीय है प्यासे को पानी पिलाना उपकार का कार्य माना जाता है वैसे में इस उपकार का कार्य के लिए समाज के लोगों को आगे आना चाहिए और बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए हाल के कुछ सालों में अगर बात करें तो प्याऊ लगाने की परंपरा में कुछ वृद्धि हुई है और राहगीरों को आसानी से सड़क के किनारे शीतल पानी का व्यवस्था हो जाता है। इस तरह के कार्य से आपसी सौहार्द्र का वातावरण बना हुआ रहता है जिसका ताजा उदाहरण राजधानी रांची में देखने को मिलता है
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