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मुख्यमंत्री ने सदन में ऐसी बात कह दी जिसे सुनकर बीजेपी विधायकों के उड़े होश

बजट सत्र का पांचवा कार्यदिवस भी विपक्ष के हंगामे के कारण प्रभावित हुआ. लेकिन भोजवनावकाश के बाद अपराह्न 2 बजे जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष के हंगामे के बीच मुख्यमंत्री ने ऐसी बात कही जिसे सुनकर भाजपा विधायकों के होश उड़ गए होंगे.

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Published : Mar 5, 2020, 6:33 PM IST

Updated : Mar 5, 2020, 7:15 PM IST

Hemant soren statement in assembly
Hemant soren statement in assembly

रांची: भाजपा विधायक वेल में आकर स्पीकर से बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने की मांग कर रहे थे. सीपी सिंह ने दसवीं अनुसूचि की एक कॉपी भी दिखायी और कहा कि यह सिर्फ 14 पन्नों की है. इन पन्नों के आधार पर बाबूलाल मरांडी को मान्यता देने में ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए.

देखें पूरी खबर

उन्होंने कहा कि मंशा साफ होती तो फैसला तुरंत हो जाता. मंशा साफ नहीं होगी तो फैसला पांच साल तक नहीं हो पाएगा. इसके जवाब में संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के दौरान दल बदलने वाले जेवीएम के छह विधायकों का हवाला देते हुए कहा कि तब फैसला आने में साढ़े चार साल कैसे लग गये थे. फिर क्या था, भाजपा विधायक वेल में आ पहुंचे और नारेबाजी करने लगे.

सीएम हेमंत सोरेन ने ऐसा क्या कह दिया

विपक्ष के शोरगुल के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कुछ बोलने के लिए उठे तो स्पीकर ने भाजपा विधायकों से शांत रहने की अपील की. भाजपा के विधायक भी सीएम को सुनने के लिए शांत हो गए, तब सीएम ने चुटकी लेते हुए कहा कि मामला विचाराधीन है. तबतक बोरो गार्जियन को छोड़िए और किसी और को नेता चुन लीजिए. सीएम द्वारा इतना कहते ही विपक्षी विधायक सन्न रह गए. इसके बाद फिर से शोरगुल शुरू हो गया.

ये भी पढ़ें- फिर बेकाबू हुई विधायक इरफान अंसारी की जुबान, पूर्व मंत्री सीपी सिंह के बारे में की आपत्तिजनक बात

शोरगुल के बीच कुछ टिप्पणी भी हुई. इसी दौरान सीएम फिर खड़े हुए और कहा कि आपलोग इधर यानी सत्ता पक्ष की ओर ही आ जाईये. फिर क्या था, विपक्ष की नारोबाजी और तेज हो गई. इस दौरान स्पीकर सदन चलाने में सहयोग की अपील करते रहे लेकिन इसका कोई असर नहीं दिखा. फिर 2 बजकर 28 मिनट पर भाजपा के विधायक जय श्रीराम का उद्घोष करते हुए सदन से वॉक आउट कर गए.

रांची: भाजपा विधायक वेल में आकर स्पीकर से बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने की मांग कर रहे थे. सीपी सिंह ने दसवीं अनुसूचि की एक कॉपी भी दिखायी और कहा कि यह सिर्फ 14 पन्नों की है. इन पन्नों के आधार पर बाबूलाल मरांडी को मान्यता देने में ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि मंशा साफ होती तो फैसला तुरंत हो जाता. मंशा साफ नहीं होगी तो फैसला पांच साल तक नहीं हो पाएगा. इसके जवाब में संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के दौरान दल बदलने वाले जेवीएम के छह विधायकों का हवाला देते हुए कहा कि तब फैसला आने में साढ़े चार साल कैसे लग गये थे. फिर क्या था, भाजपा विधायक वेल में आ पहुंचे और नारेबाजी करने लगे.

सीएम हेमंत सोरेन ने ऐसा क्या कह दिया

विपक्ष के शोरगुल के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कुछ बोलने के लिए उठे तो स्पीकर ने भाजपा विधायकों से शांत रहने की अपील की. भाजपा के विधायक भी सीएम को सुनने के लिए शांत हो गए, तब सीएम ने चुटकी लेते हुए कहा कि मामला विचाराधीन है. तबतक बोरो गार्जियन को छोड़िए और किसी और को नेता चुन लीजिए. सीएम द्वारा इतना कहते ही विपक्षी विधायक सन्न रह गए. इसके बाद फिर से शोरगुल शुरू हो गया.

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शोरगुल के बीच कुछ टिप्पणी भी हुई. इसी दौरान सीएम फिर खड़े हुए और कहा कि आपलोग इधर यानी सत्ता पक्ष की ओर ही आ जाईये. फिर क्या था, विपक्ष की नारोबाजी और तेज हो गई. इस दौरान स्पीकर सदन चलाने में सहयोग की अपील करते रहे लेकिन इसका कोई असर नहीं दिखा. फिर 2 बजकर 28 मिनट पर भाजपा के विधायक जय श्रीराम का उद्घोष करते हुए सदन से वॉक आउट कर गए.

Last Updated : Mar 5, 2020, 7:15 PM IST
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