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ED को सीएम की खरी-खरी, समन वापस नहीं लेने पर लेंगे कानून का सहारा, पत्र भेजकर उठाए गंभीर सवाल - Jharkhand news

सीएम हेमंत सोरेन ने ईडी के मिले समन पर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है. सीम हेमंत सोरेन ने साफ तौर पर कहा कि अगर ईडी अपना समन वापस नहीं लेती तो वह कानूनी कार्रवाई करेंगे.

CM Hemant Soren will take legal recourse
CM Hemant Soren will take legal recourse
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Published : Aug 15, 2023, 10:38 AM IST

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ एक तरह से मोर्चा खोल दिया है. ईडी ने 7 अगस्त को समन जारी कर 14 अगस्त को सीएम को पूछताछ के लिए बुलाया था. लेकिन सीएम नहीं पहुंचे. इस दौरान कयासों का बाजार गर्म रहा. देर रात इस बात का खुलासा हुआ कि सीएम ने प्रवर्तन निदेशालय के असिस्टेंट डायरेक्टर देवव्रत झा के नाम पत्र लिखकर यह बता दिया है कि उनको बेवजह समन भेजकर परेशान किया जा रहा है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि अगर समन वापस नहीं लिया गया तो वह कानून का सहारा लेंगे.

ये भी पढ़ें: ED Summons to CM: सोमवार को ईडी के दफ्तर नहीं गए सीएम हेमंत सोरेन, पहुंचा बंद लिफाफा

सीएम के पत्र के मुताबिक ईडी ने उनकी संपत्ति को लेकर बयान रिकॉर्ड करने के लिए 14 अगस्त को बुलाया था. उन्होंने चुटकी लेते हुए लिखा है कि जिस तारीख को बुलाया गया था उससे किसी तरह का आश्चर्य नहीं हुआ. उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर को कोट करते हुए लिखा है कि आप और आपके पॉलिटिकल मास्टर अच्छी तरह जानते हैं कि मुख्यमंत्री को 15 अगस्त को ध्वजारोहण करना होता है. इसकी तैयारी एक सप्ताह पहले से शुरू हो जाती है. यह जानने के बावजूद 14 अगस्त को बुलाया गया. इससे साफ है कि जानबूझकर न सिर्फ उनकी बल्कि लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार और झारखंड के लोगों की प्रतिष्ठा धूमिल करने की कोशिश की जा रही है.

केंद्र सरकार पर सीएम का हमला: ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर को लिखे पत्र में सीएम ने केंद्र सरकार का भी जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि पिछले 1 साल से केंद्र की सरकार तालमेल बनाने के लिए दबाव डाल रही है. ऐसा नहीं करने पर केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

ईडी पर सीएम ने दागे सवालों के तीर: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पत्र के जरिए ईडी के तौर-तरीके पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि अवैध पत्थर खनन मामले में पिछले साल 17 नवंबर को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. उस वक्त उन्होंने अपने और अपने परिवार की चल और अचल संपत्ति का सारा ब्यौरा भी दिया था. 30 नवंबर 2022 को अचल संपत्ति के डीड की सर्टिफाइड कॉपी मुहैया कराई गई थी. बैंक का डिटेल भी मुहैया कराया गया था. इसका जिक्र कर सीएम ने चुटकी लेते हुए लिखा है कि क्या वह कागजात ईडी ऑफिस में गुम हो गए हैं, अगर आप दोबारा चाहेंगे तो भिजवा दिया जाएगा.

सीबीआई पर सीएम ने साधा निशाना: ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर को लिखे पत्र में सीबीआई पर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने लिखा है कि साल 2020 में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत पर लोकपाल ने उनके पिता शिबू सोरेन की संपत्ति की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को दी थी. जांच के दौरान गैर कानूनी तरीके से सीबीआई ने उनकी अचल संपत्ति को भी खंगाला था। सीएम ने चुटकी लेते हुए लिखा है कि ईडी चाहे तो सीबीआई से रिपोर्ट ले सकती है.

मुख्यमंत्री ने समन को राजनीतिक साजिश और दुर्भावना से ग्रसित बताया है. यह एक चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश है. समन में ऐसी किसी भी बात का जिक्र नहीं है जिससे मेरे खिलाफ संपत्ति को लेकर जांच की संभावना बनती हो. जहां तक संपत्ति की बात है तो इससे जुड़ी तमाम जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में समय-समय पर दी जाती रही है.

सीएम ने कहा है कि अगर प्रवर्तन निदेशालय को किसी ऐसे कागजात की जरूरत है, जिसका जिक्र पूर्व में नहीं किया गया है तो वह मुहैया कराने को तैयार हैं. लिहाजा, एजेंसी को समन वापस लेना चाहिए नहीं तो वह कानून का सहारा लेने के लिए बाध्य होंगे. सीएम के इस स्टैंड के बाद अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ईडी अब क्या करने जा रही है.

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ एक तरह से मोर्चा खोल दिया है. ईडी ने 7 अगस्त को समन जारी कर 14 अगस्त को सीएम को पूछताछ के लिए बुलाया था. लेकिन सीएम नहीं पहुंचे. इस दौरान कयासों का बाजार गर्म रहा. देर रात इस बात का खुलासा हुआ कि सीएम ने प्रवर्तन निदेशालय के असिस्टेंट डायरेक्टर देवव्रत झा के नाम पत्र लिखकर यह बता दिया है कि उनको बेवजह समन भेजकर परेशान किया जा रहा है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि अगर समन वापस नहीं लिया गया तो वह कानून का सहारा लेंगे.

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सीएम के पत्र के मुताबिक ईडी ने उनकी संपत्ति को लेकर बयान रिकॉर्ड करने के लिए 14 अगस्त को बुलाया था. उन्होंने चुटकी लेते हुए लिखा है कि जिस तारीख को बुलाया गया था उससे किसी तरह का आश्चर्य नहीं हुआ. उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर को कोट करते हुए लिखा है कि आप और आपके पॉलिटिकल मास्टर अच्छी तरह जानते हैं कि मुख्यमंत्री को 15 अगस्त को ध्वजारोहण करना होता है. इसकी तैयारी एक सप्ताह पहले से शुरू हो जाती है. यह जानने के बावजूद 14 अगस्त को बुलाया गया. इससे साफ है कि जानबूझकर न सिर्फ उनकी बल्कि लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार और झारखंड के लोगों की प्रतिष्ठा धूमिल करने की कोशिश की जा रही है.

केंद्र सरकार पर सीएम का हमला: ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर को लिखे पत्र में सीएम ने केंद्र सरकार का भी जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि पिछले 1 साल से केंद्र की सरकार तालमेल बनाने के लिए दबाव डाल रही है. ऐसा नहीं करने पर केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

ईडी पर सीएम ने दागे सवालों के तीर: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पत्र के जरिए ईडी के तौर-तरीके पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि अवैध पत्थर खनन मामले में पिछले साल 17 नवंबर को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. उस वक्त उन्होंने अपने और अपने परिवार की चल और अचल संपत्ति का सारा ब्यौरा भी दिया था. 30 नवंबर 2022 को अचल संपत्ति के डीड की सर्टिफाइड कॉपी मुहैया कराई गई थी. बैंक का डिटेल भी मुहैया कराया गया था. इसका जिक्र कर सीएम ने चुटकी लेते हुए लिखा है कि क्या वह कागजात ईडी ऑफिस में गुम हो गए हैं, अगर आप दोबारा चाहेंगे तो भिजवा दिया जाएगा.

सीबीआई पर सीएम ने साधा निशाना: ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर को लिखे पत्र में सीबीआई पर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने लिखा है कि साल 2020 में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत पर लोकपाल ने उनके पिता शिबू सोरेन की संपत्ति की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को दी थी. जांच के दौरान गैर कानूनी तरीके से सीबीआई ने उनकी अचल संपत्ति को भी खंगाला था। सीएम ने चुटकी लेते हुए लिखा है कि ईडी चाहे तो सीबीआई से रिपोर्ट ले सकती है.

मुख्यमंत्री ने समन को राजनीतिक साजिश और दुर्भावना से ग्रसित बताया है. यह एक चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश है. समन में ऐसी किसी भी बात का जिक्र नहीं है जिससे मेरे खिलाफ संपत्ति को लेकर जांच की संभावना बनती हो. जहां तक संपत्ति की बात है तो इससे जुड़ी तमाम जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में समय-समय पर दी जाती रही है.

सीएम ने कहा है कि अगर प्रवर्तन निदेशालय को किसी ऐसे कागजात की जरूरत है, जिसका जिक्र पूर्व में नहीं किया गया है तो वह मुहैया कराने को तैयार हैं. लिहाजा, एजेंसी को समन वापस लेना चाहिए नहीं तो वह कानून का सहारा लेने के लिए बाध्य होंगे. सीएम के इस स्टैंड के बाद अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ईडी अब क्या करने जा रही है.

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