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खनन पट्टा मामले में सीएम हेमंत सोरेन ने हाई कोर्ट को दिया जवाब, कहा- नियमों के मुताबिक नहीं है पीआईएल

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Published : May 6, 2022, 4:41 PM IST

Updated : May 6, 2022, 5:18 PM IST

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खनन पट्टा मामले में झारखंड हाई कोर्ट से जारी नोटिस का जवाब शुक्रवार को पेश कर दिया. इसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अधिवक्ता ने पीआईएल पर सवाल उठाए हैं और उसे खारिज करने की मांग की है.

CM Hemant Soren
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खनन पट्टा मामले में झारखंड हाई कोर्ट से जारी नोटिस का जवाब शुक्रवार को पेश कर दिया. मुख्यमंत्री की ओर से उनके निजी अधिवक्ता अमृतांश वक्त ने हाईकोर्ट में जवाब पेश किया. जवाब की एक प्रति याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार को भी दी गई है. मुख्यमंत्री की ओर से जवाब पेश करने के बाद मामले की सुनवाई अगले सप्ताह हो सकती है. आज मामले पर सुनवाई होनी थी लेकिन कोर्ट नहीं बैठने के कारण सुनवाई टल गई है.

ये भी पढ़ें-झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को चुनाव आयोग का शोकॉज नोटिस, खुद को खनन पट्टा जारी करने के मामले में पूछा-कार्रवाई क्यों न की जाए

सूत्रों की माने तो जवाब में यह बताया है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ जो जनहित याचिका दायर की गई है, जवाब में उस पर सवाल उठाए गए हैं. जवाब में कहा गया है कि उसका संबंध जनहित से नहीं है. हाई कोर्ट पीआईएल रूल के अनुकूल यह याचिका दायर नहीं की गई है. नियम के अनुसार याचिकाकर्ता को अपनी क्रेडेंशियल डिस्क्लोज करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया है. याचिकाकर्ता पर यह आरोप लगाया गया है कि जानबूझकर बार-बार उनके परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए ऐसा काम किया जाता है. सरकार को अस्थिर करने का भी आरोप लगाया गया है. उन्होंने अपने जवाब में अदालत को यह जानकारी दी है कि भारतीय जनता पार्टी ने जो शिकायत इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया से की है. वही आरोप इस जनहित याचिका में भी हैं. इससे स्पष्ट है कि यह स्वतंत्र याचिका नहीं है. जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार को अस्थिर करने के लिए यह साजिश रची जा रही है.

अधिवक्ता धीरज कुमार

जवाब में कहा गया है कि भारत निर्वाचन आयोग से मिला है. अब वे वहां पर अपनी बात रखेंगे. एक ही आरोप में दो जगह मामला चल रहा है. यह भी उचित नहीं है. उन्होंने जवाब के माध्यम से अदालत को यह भी जानकारी दी है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन पर जो हत्या का आरोप लगा था. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया है. उस मामले में याचिकाकर्ता के पिता मुख्य गवाह थे. इससे स्पष्ट होता है कि यह बार-बार उनके परिवार की प्रतिष्ठा धूमिल करना चाहते हैं. इसलिए इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए.

यह है पूरा मामलाः खनन पट्टा अपने नाम लेने के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री और खनन विभाग के भी मंत्री हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट से नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था. मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए साथ ही साथ खनन मंत्री होते हुए खनन पट्टा अपने नाम करने को लेकर याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उस याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई थी. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मुख्यमंत्री को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा था.



यह भी जानेंः मालूम हो कि झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के किलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गई थी. प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पीआईएल दाखिल किया था. प्रार्थी की ओर से इस जनहित याचिका में कहा गया था कि हेमंत सोरेन खनन मंत्री, मुख्यमंत्री और वन पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री भी हैं. उन्होंने स्वयं पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया और खनन पट्टा हासिल किया. ऐसा करना पद का दुरुपयोग है और जन प्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराई जाए. साथ ही प्रार्थी ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी कोर्ट से की थी.


रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खनन पट्टा मामले में झारखंड हाई कोर्ट से जारी नोटिस का जवाब शुक्रवार को पेश कर दिया. मुख्यमंत्री की ओर से उनके निजी अधिवक्ता अमृतांश वक्त ने हाईकोर्ट में जवाब पेश किया. जवाब की एक प्रति याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार को भी दी गई है. मुख्यमंत्री की ओर से जवाब पेश करने के बाद मामले की सुनवाई अगले सप्ताह हो सकती है. आज मामले पर सुनवाई होनी थी लेकिन कोर्ट नहीं बैठने के कारण सुनवाई टल गई है.

ये भी पढ़ें-झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को चुनाव आयोग का शोकॉज नोटिस, खुद को खनन पट्टा जारी करने के मामले में पूछा-कार्रवाई क्यों न की जाए

सूत्रों की माने तो जवाब में यह बताया है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ जो जनहित याचिका दायर की गई है, जवाब में उस पर सवाल उठाए गए हैं. जवाब में कहा गया है कि उसका संबंध जनहित से नहीं है. हाई कोर्ट पीआईएल रूल के अनुकूल यह याचिका दायर नहीं की गई है. नियम के अनुसार याचिकाकर्ता को अपनी क्रेडेंशियल डिस्क्लोज करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया है. याचिकाकर्ता पर यह आरोप लगाया गया है कि जानबूझकर बार-बार उनके परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए ऐसा काम किया जाता है. सरकार को अस्थिर करने का भी आरोप लगाया गया है. उन्होंने अपने जवाब में अदालत को यह जानकारी दी है कि भारतीय जनता पार्टी ने जो शिकायत इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया से की है. वही आरोप इस जनहित याचिका में भी हैं. इससे स्पष्ट है कि यह स्वतंत्र याचिका नहीं है. जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार को अस्थिर करने के लिए यह साजिश रची जा रही है.

अधिवक्ता धीरज कुमार

जवाब में कहा गया है कि भारत निर्वाचन आयोग से मिला है. अब वे वहां पर अपनी बात रखेंगे. एक ही आरोप में दो जगह मामला चल रहा है. यह भी उचित नहीं है. उन्होंने जवाब के माध्यम से अदालत को यह भी जानकारी दी है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन पर जो हत्या का आरोप लगा था. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया है. उस मामले में याचिकाकर्ता के पिता मुख्य गवाह थे. इससे स्पष्ट होता है कि यह बार-बार उनके परिवार की प्रतिष्ठा धूमिल करना चाहते हैं. इसलिए इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए.

यह है पूरा मामलाः खनन पट्टा अपने नाम लेने के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री और खनन विभाग के भी मंत्री हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट से नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था. मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए साथ ही साथ खनन मंत्री होते हुए खनन पट्टा अपने नाम करने को लेकर याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उस याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई थी. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मुख्यमंत्री को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा था.



यह भी जानेंः मालूम हो कि झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के किलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गई थी. प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पीआईएल दाखिल किया था. प्रार्थी की ओर से इस जनहित याचिका में कहा गया था कि हेमंत सोरेन खनन मंत्री, मुख्यमंत्री और वन पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री भी हैं. उन्होंने स्वयं पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया और खनन पट्टा हासिल किया. ऐसा करना पद का दुरुपयोग है और जन प्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराई जाए. साथ ही प्रार्थी ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी कोर्ट से की थी.


Last Updated : May 6, 2022, 5:18 PM IST
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