रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख नेताओं में से एक और आजसू के संस्थापक रहे शहीद निर्मल महतो की आज 73वीं जयंती है. इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झामुमो की राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने पुराना जेल चौक स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इस दौरान बड़ी संख्या में झामुमो के कार्यकर्ता भी मौजूद थे. कार्यकर्ताओं ने शहीद निर्मल महतो अमर रहे के नारे लगाए.
माल्यार्पण के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि आज वो हमारे बीच सशरीर नहीं है. लेकिन उनके विचार, उनकी कर्मठता और राज्य के प्रति उनकी संवेदनाएं और संदेश आज भी जिंदा है. बचपन में हमने उनको बहुत करीब से देखा. उनसे काफी प्रभावित रहे हैं. आज 73 साल के बाद भी उनकी सोच और आदर्शों को लेकर वह हमारे लिए जीवंत है और जीवंत रहेंगे. हम उनकी सोच और प्रेरणा को आगे बढ़ाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमारी सरकार एक-एक व्यक्ति के दरवाजे पर खड़ी है. राज्य अलग होने के बाद पहली बार गांव के लोग वर्तमान सरकार के प्रति अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं.
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झारखण्ड की माटी के वीर सपूत, महान आंदोलनकारी अमर वीर शहीद निर्मल महतो जी की जयंती के अवसर पर शत-शत नमन।
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वीर शहीद निर्मल महतो अमर रहें!
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निर्मल महतो का जन्म 25 दिसंबर 1950 के जमशेदपुर के उलियान में हुआ था. वह एक जुझारु नेता थे. उन्होंने झारखंड आंदोलन में युवाओं को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई. सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन किया. शोषितों के हक में हमेशा आवाज उठाते रहे. झारखंड आंदोलन को गति दिलाने में उनके द्वारा झामुमो के यूथ विंग के रुप में स्थापित आजसू ने बड़ी भूमिका अदा की.
दिसंबर 1980 में वह झामुमो से जुड़े और अपने नेतृत्व क्षमता की वजह से 1984 में पार्टी के अध्यक्ष बन गये. 8 अगस्त 1987 की सुबह जमशेदपुर के चमरिया, बिष्टुपुर स्थित टिस्को गेस्ट हाउस के पास उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. आज भी लोग कहते हैं कि उनकी हत्या के पीछे राजनीतिक षड़यंत्र था लेकिन तत्कालीन बिहार सरकार ने व्यवसायिक प्रतिद्वंद्विता का हवाला देकर केस को बंद कर दिया.
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