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सम्मेद शिखरजी विवाद: मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को लिखा पत्र, जैन समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए फैसला लेने का किया आग्रह

सीएम हेमंत सोरेन ने केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखकर पारसनाथ सम्मेद शिखरजी विवाद (Sammed Shikharji controversy) मामले में जैन अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना के संदर्भ में फैसला लेने का आग्रह किया है. (CM Hemant Soren letter to the Center)

CM Hemant Soren letter to the Center
CM Hemant Soren
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Published : Jan 5, 2023, 5:39 PM IST

रांची: पारसनाथ सम्मेद शिखरजी विवाद (Sammed Shikharji controversy) को लेकर बढ़ रहे विवाद को देखते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्रीय मंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है. सीएम ने पत्र के माध्यम से जैन अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने का आग्रह किया है. (CM Hemant Soren letter to the Center)

ये भी पढ़ें- केंद्र ने जैन समाज की आस्था को नजरंदाज किया: अविनाश पांडे

अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि पारसनाथ सम्मेद शिखर पौराणिक काल से जैन समुदाय का विश्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है. मान्यता के अनुसार इस स्थान पर जैन धर्म के कुल 24 तीर्थकरों में से 20 तीर्थकरों द्वारा निर्वाण प्राप्त किया गया है. इस स्थल के जैन धार्मिक महत्व के कारण भारत एवं विश्व के कोने-कोने से जैन धर्मावलंबी इस स्थान का तीर्थ करने आते हैं. झारखण्ड पर्यटन नीति 2021 में पारसनाथ को तीर्थ स्थल मानते हुए इस स्थल को धार्मिक तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित करने का उल्लेख है. पूर्व में भी इस स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने हेतु राज्य सरकार द्वारा प्रतिबद्धता जारी किया गया है.

CM Hemant Soren letter to the Center
सीएम हेमंत सोरेन का पत्र
CM Hemant Soren letter to the Center
सीएम हेमंत सोरेन का पत्र



सम्मेद शिखर की पवित्रता पर सरकार का है ध्यान: मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि इस स्थल के समुचित विकास एवं इस क्षेत्र में व्यावसायिक क्रियाकलाप हेतु राज्य सरकार द्वारा सचिव, पर्यटन की अध्यक्षता में पारसनाथ पर्यटन विकास प्राधिकार गठित है, जिसमें 6 गैर सरकारी निदेशकों को भी सदस्य बनाया जाना है. इस प्राधिकार में गैर सरकारी निदेशकों के चयन की कार्रवाई चल रही है. वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा इस स्थल की पवित्रता व सुचिता को बनाये रखने हेतु गिरिडीह जिला के जिलाधिकारी एवं आरक्षी अधीक्षक को आवश्यक निर्देश जारी किया गया है तथा जारी किये गये निर्देश के आलोक में इस स्थल पर पुलिस गश्ती बढ़ाते हुए इस स्थल की पवित्रता व सुचिता को बनाये रखना सुनिश्चित किया गया है.

ये भी पढ़ें- सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र बनाए जाने का बिहार में भी विरोध शुरू, 10 दिन के अंदर फैसला वापस लेने की दी चेतावनी

मुख्यमंत्री ने आग्रह पूर्वक लिखा है कि वर्तमान में कई जैन अनुयायियों द्वारा इस स्थल की पवित्रता व सुचिता बनाये रखने एवं पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 को निरस्त करने हेतु आवेदन प्राप्त हुए हैं. इस अधिसूचना के कंडिका 2.3 (VI) व कंडिका 3 3 ) में पर्यटन सहित पारिस्थितिक पर्यटन का उल्लेख है, जिसपर जैन समुदाय को आपत्ति है. राज्य सरकार जैन धर्मावलंबियों की भावनाओं का संपूर्ण सम्मान करती है एवं इस स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने के लिए सदैव प्रतिबद्ध है. अधिसूचना के कंडिका 2.3(VI) व कंडिका 3(3) के क्रियान्वयन के निमित्त राज्य सरकार के द्वारा अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है. अतः अनुरोध है कि जैन अनुयायियों से प्राप्त अनुरोध के आलोक में उनके धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने की कृपा की जाए.

रांची: पारसनाथ सम्मेद शिखरजी विवाद (Sammed Shikharji controversy) को लेकर बढ़ रहे विवाद को देखते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्रीय मंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है. सीएम ने पत्र के माध्यम से जैन अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने का आग्रह किया है. (CM Hemant Soren letter to the Center)

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अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि पारसनाथ सम्मेद शिखर पौराणिक काल से जैन समुदाय का विश्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है. मान्यता के अनुसार इस स्थान पर जैन धर्म के कुल 24 तीर्थकरों में से 20 तीर्थकरों द्वारा निर्वाण प्राप्त किया गया है. इस स्थल के जैन धार्मिक महत्व के कारण भारत एवं विश्व के कोने-कोने से जैन धर्मावलंबी इस स्थान का तीर्थ करने आते हैं. झारखण्ड पर्यटन नीति 2021 में पारसनाथ को तीर्थ स्थल मानते हुए इस स्थल को धार्मिक तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित करने का उल्लेख है. पूर्व में भी इस स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने हेतु राज्य सरकार द्वारा प्रतिबद्धता जारी किया गया है.

CM Hemant Soren letter to the Center
सीएम हेमंत सोरेन का पत्र
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सीएम हेमंत सोरेन का पत्र



सम्मेद शिखर की पवित्रता पर सरकार का है ध्यान: मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि इस स्थल के समुचित विकास एवं इस क्षेत्र में व्यावसायिक क्रियाकलाप हेतु राज्य सरकार द्वारा सचिव, पर्यटन की अध्यक्षता में पारसनाथ पर्यटन विकास प्राधिकार गठित है, जिसमें 6 गैर सरकारी निदेशकों को भी सदस्य बनाया जाना है. इस प्राधिकार में गैर सरकारी निदेशकों के चयन की कार्रवाई चल रही है. वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा इस स्थल की पवित्रता व सुचिता को बनाये रखने हेतु गिरिडीह जिला के जिलाधिकारी एवं आरक्षी अधीक्षक को आवश्यक निर्देश जारी किया गया है तथा जारी किये गये निर्देश के आलोक में इस स्थल पर पुलिस गश्ती बढ़ाते हुए इस स्थल की पवित्रता व सुचिता को बनाये रखना सुनिश्चित किया गया है.

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मुख्यमंत्री ने आग्रह पूर्वक लिखा है कि वर्तमान में कई जैन अनुयायियों द्वारा इस स्थल की पवित्रता व सुचिता बनाये रखने एवं पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 को निरस्त करने हेतु आवेदन प्राप्त हुए हैं. इस अधिसूचना के कंडिका 2.3 (VI) व कंडिका 3 3 ) में पर्यटन सहित पारिस्थितिक पर्यटन का उल्लेख है, जिसपर जैन समुदाय को आपत्ति है. राज्य सरकार जैन धर्मावलंबियों की भावनाओं का संपूर्ण सम्मान करती है एवं इस स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने के लिए सदैव प्रतिबद्ध है. अधिसूचना के कंडिका 2.3(VI) व कंडिका 3(3) के क्रियान्वयन के निमित्त राज्य सरकार के द्वारा अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है. अतः अनुरोध है कि जैन अनुयायियों से प्राप्त अनुरोध के आलोक में उनके धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने की कृपा की जाए.

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