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कोरोना की तीसरी लहर: तैयारियों की चिकित्सकों ने खोली पोल, सीएम से कहा- बच्चों के लिए डॉक्टर से लेकर बेड तक की घोर कमी

कोरोना की संभावित तीसरी लहर और उसकी जद में बच्चों के आने की आशंका को देखते हुए रांची में एक वेबिनार का आयोजन किया गया. इसमें सीएम हेमंत सोरेन, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अरुण कुमार सिंह के साथ देश के कई ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल हुए. वेबिनार में राज्य के सरकारी, गैर सरकारी अस्पतालों में पीडियाट्रिक व्यवस्था, बच्चों को इससे कैसे सुरक्षित रखा जाए और तीसरी लहर के प्रभाव को कम करने के उपायों पर चर्चा की गई.

webinar on corona
तीसरी लहर पर वेबिनार का आयोजन
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Published : May 23, 2021, 8:14 PM IST

रांची: कोरोना की दूसरी लहर के बाद झारखंड में तीसरी लहर के और अधिक खतरनाक होने की आशंका व्यक्त की जा रही है. इसी को देखते हुए रविवार को रांची में एक वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें सीएम हेमंत सोरेन, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे समेत देश के कई प्रख्यात विशेषज्ञ और डॉक्टर शामिल हुए. वेबिनार में राज्य के सरकारी, गैर सरकारी अस्पतालों में पीडियाट्रिक व्यवस्था पर चर्चा की गई, साथ ही लहर को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं और बच्चों को इससे कैसे बचाया जाए जैसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा की गई. इस वेबिनार में कई विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अपनी अपनी राय दी है. चिकित्सकों ने डॉक्टर से बेड तक की कमी की बात सीएम को बताई.

Webinar organized on the third wave of Corona
कोरोना की तीसरी लहर पर वेबिनार का आयोजन

मेदांता की डॉक्टर ने जताई चिंता

मेदांता गुरुग्राम की डॉक्टर नीलम मोहन ने झारखंड की वर्तमान स्थिति पर चिंता जताई है, उनके मुताबिक राज्य में 14 साल तक के बच्चों की कुल संख्या आबादी के हिसाब से 36 फीसदी है, लेकिन इस हिसाब से चिकित्सा व्यवस्था बेहद कम है. डॉक्टर नीलम ने कहा की राज्य के करीब 3 करोड़ 86 लाख की आबादी में 36 फीसदी यानी एक करोड़ 39 लाख ऐसे बच्चे हैं जिनकी उम्र 14 साल से कम है. ऐसे में उनको कोरोना की थर्ड वेव से बचाने के लिए अभी से गंभीर प्रयास की जरूरत है. उनके मुताबिक इन बच्चों में 42 फीसदी बच्चे स्टंडेड(अविकसित) हैं और 65 फीसदी बच्चे एनीमिक हैं और ये दोनों बीमारी बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता कम करती है.

राज्य में शिशु रोग के डॉक्टर्स की कमी

सीएम की वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर नीलम ने राज्य में पीडियाट्रिक डॉक्टर की कमी पर भी चिंता जताई. उन्होंने बताया कि 36 हजार बच्चों पर एक पीडियाट्रिक हैं, वहीं देश में 19 हजार की आबादी पर एक बच्चे का डॉक्टर है. ये इस ओर इशारा करता है कि राज्य में बच्चों के लिए उतने डॉक्टर नहीं हैं जितने होने चाहिए. उनके मुताबिक कोविड-19 की पहली लहर में 2% और दूसरी लहर में 12% बच्चे संक्रमित हुए जबकि आंकड़ों के मुताबिक राज्य में एक लाख की आबादी पर बच्चों के लिए 75 बेड हैं. वहीं एक लाख की आबादी पर 3.8 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड हैं तो 5.2 लाख की आबादी पर सिर्फ एक वेंटिलेटर है, ये सब आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं.

aankadon mein raajy kee chikitsa vyavastha 39 / 5000 Translation results State's medical system
आंकड़ों में राज्य की चिकित्सा व्यवस्था

मल्टी सिस्टम इन्फ्लामेट्री सिंड्रोम नया खतरा

वेबिनार में शिरकत कर रहीं मेदान्ता की डॉ. नीलम और रांची के रानी हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि मल्टी सिस्टम इन्फ्लामेट्री सिंड्रोम एक नए खतरे के रूप में पोस्ट कोविड मरीजों में देखा जा रहा है .जिसमें शरीर के अलग अलग अंगों जैसे हर्ट, लंग्स, किडनी, ब्रेन, स्किन, और आंख में इंफ्लामेशन (जलन) हो जाती है . उनके मुताबिक इसके केस बढ़ेंगे क्योंकि मरीज के कोविड निगेटिव होने के 2 से 4 सप्ताह बाद ये बीमारी उभरती है.

तीसरी लहर में बच्चों को बचाने के उपाय

वेबिनार में सीएम के सामने विशेषज्ञों ने उन उपायों पर भी चर्चा की, जिससे बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक तीसरी लहर में 1.9-3.8 लाख बच्चों में संक्रमण की आशंका है, जबकि 1900 से 3800 बच्चों में सिवियर केस होने का अनुमान है, जबकि 190 से 380 वैसे कोरोना संक्रमित बच्चे होंगे, जिन्हें ICU बेड की जरूरत होगी. डॉक्टर नीलम ने कहा इन सब से बच्चों को बचाने के लिए कम से कम 380 आईसीयू बेड की व्यवस्था होनी चाहिए, उसके अलावे यंग पैरेंट्स को तेजी से वैक्सीनेट किया जाय, और कोविड की संभावित तीसरी लहर के लिए अभी से सभी साधन को बढ़ाए जाने की जरूरत है.

टास्क फोर्स का गठन

डॉक्टर्स ने अभी से ही टास्क फोर्स के गठन पर जोर दिया, उन्होंने कहा आपात स्थिति में बच्चों को बचाने के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था को दुरुस्त करने, और बच्चों के माता पिता को जागरूक करने की जरूरत पर जोर दिया.

27 फीसदी बच्चे जीरो पॉजिटिव

दिल्ली एम्स के डॉक्टर अशोक देवरानी ने कहा कि जनवरी 2021 के सर्वे के मुताबिक 27 फीसदी बच्चे संक्रमण के बाद जीरो पॉजिटिव हो गए. यानी उनमें संक्रमण हुआ और बिना कोई लक्षण के समाप्त हो गया. डॉ. अशोक ने कहा कि अब सरकार दूसरी लहर के बाद ऐसा सर्वे कराएगी तो उसके नतीजे दूसरे होंगे. रिम्स की डॉ. अपेक्षा पाठक के सवाल पर डॉ. अशोक ने कहा कि रेमडेसिविर, आइवरमैक्टिन और प्लाज्मफेरेसिस का कोई रोल नहीं है. वहीं निमहंस अस्पताल के डॉक्टर प्रदीप बनाडूर के मुताबिक कोविड-19 से बच्चों के मन मस्तिष्क पर भी प्रभाव पड़ता है इसलिए साइको सोशल सपोर्ट सिस्टम बनाने की जरूरत है.

डॉक्टरों के सुझाव पर क्या बोले सीएम?

सीएम हेमंत सोरेन ने वेबिनार में डॉक्टरों के सुझाव को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा की कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंकाओं को देखते हुए आप सभी विशेषज्ञ डॉक्टर्स का सुझाव लेना बहुत ही आवश्यक है. सीएम ने कहा आप सभी के अनुभव, सहयोग और सुझाव से संक्रमण की पहली लहर से राज्य सरकार ने निपटने का काम किया था परंतु अचानक संक्रमण की दूसरी लहर और खतरनाक रूप से हम सभी के बीच आ खड़ी हुई. वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना संक्रमण की तीसरे लहर आने की भी संभावना है जो ज्यादा आक्रामक न हो, इसके लिए जरूरी है कि पहले से ही तमाम स्वास्थ्य संसाधनों को चुस्त-दुरुस्त किया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि तीसरी लहर की संभावनाओं को मद्देनजर रखते हुए राज्य के सभी जिला एवं प्रखंड स्तर के अस्पतालों में अलग से शिशु वार्ड तैयार करने का निर्देश राज्य सरकार ने दिया है. सभी अस्पतालों में चिल्ड्रन केयर यूनिट बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है.

जागरुकता ला रही सरकार

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि झारखंड प्रदेश पारंपारिक रहन-सहन एवं ट्रेडिशनल कल्चर के लिए जाना जाता है. वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में कोरोना संक्रमण के उपचार एवं वैक्सीनेशन को लेकर तमाम भ्रांतियां हैं. ऐसे में राज्य सरकार सामाजिक जागरुकता लाने का भी काम कर रही है. मुख्यमंत्री ने कहा झारखंड के अंदर 24 जिले हैं जिसमें 23 जिले अलग-अलग राज्यों के बॉर्डर क्षेत्र से जुड़े हैं. राज्य सरकार ने इंटर स्टेट मूवमेंट को रोकने का कार्य किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि निरंतर प्रयास से राज्य में पॉजिटिव केस की संख्या में कमी आई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने मृत्यु के आंकड़ों को किसी भी प्रकार से छिपाने का कार्य नहीं किया है बल्कि सही-सही आंकड़े प्रेषित किए हैं ताकि हमारा राज्य सही दिशा की ओर आगे बढ़ सके. राज्य सरकार का प्रयास है कि कोरोना संक्रमण से किस तरह निपटें की स्थिति नियंत्रण में हो सके, यही कारण है कि आप सभी विशेषज्ञों के साथ वेबिनार का आयोजन आज किया गया है ताकि तीसरी लहर आने से पहले आप लोगों के महत्वपूर्ण सुझाव और सहयोग से हम अपनी कार्य योजना तैयार कर सकें.

कई विशेषज्ञों ने दिए राय

वेबिनार में डॉक्टर रोड्रिको, एम्स के शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉक्टर अशोक देवरारी, मेंदाता के शिशु रोग विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर नीलम और निमहास के डॉक्टर प्रदीप ने जहां अपने अपने सुझाव सीएम के सामने रखे, वहीं रांची के रानी चिल्ड्रन अस्पताल के डॉक्टर राजेश ने धन्यवाद संबोधन दिया. रिम्स एवं अन्य अस्पतालों के विशेषज्ञ डॉक्टर एवं शिशु रोग विशेषज्ञ इस वेबिनार में उपस्थित थे. वेबिनार के अंत तक में सीएम ने सभी डॉक्टर्स को धन्यवाद दिया.

रांची: कोरोना की दूसरी लहर के बाद झारखंड में तीसरी लहर के और अधिक खतरनाक होने की आशंका व्यक्त की जा रही है. इसी को देखते हुए रविवार को रांची में एक वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें सीएम हेमंत सोरेन, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे समेत देश के कई प्रख्यात विशेषज्ञ और डॉक्टर शामिल हुए. वेबिनार में राज्य के सरकारी, गैर सरकारी अस्पतालों में पीडियाट्रिक व्यवस्था पर चर्चा की गई, साथ ही लहर को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं और बच्चों को इससे कैसे बचाया जाए जैसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा की गई. इस वेबिनार में कई विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अपनी अपनी राय दी है. चिकित्सकों ने डॉक्टर से बेड तक की कमी की बात सीएम को बताई.

Webinar organized on the third wave of Corona
कोरोना की तीसरी लहर पर वेबिनार का आयोजन

मेदांता की डॉक्टर ने जताई चिंता

मेदांता गुरुग्राम की डॉक्टर नीलम मोहन ने झारखंड की वर्तमान स्थिति पर चिंता जताई है, उनके मुताबिक राज्य में 14 साल तक के बच्चों की कुल संख्या आबादी के हिसाब से 36 फीसदी है, लेकिन इस हिसाब से चिकित्सा व्यवस्था बेहद कम है. डॉक्टर नीलम ने कहा की राज्य के करीब 3 करोड़ 86 लाख की आबादी में 36 फीसदी यानी एक करोड़ 39 लाख ऐसे बच्चे हैं जिनकी उम्र 14 साल से कम है. ऐसे में उनको कोरोना की थर्ड वेव से बचाने के लिए अभी से गंभीर प्रयास की जरूरत है. उनके मुताबिक इन बच्चों में 42 फीसदी बच्चे स्टंडेड(अविकसित) हैं और 65 फीसदी बच्चे एनीमिक हैं और ये दोनों बीमारी बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता कम करती है.

राज्य में शिशु रोग के डॉक्टर्स की कमी

सीएम की वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर नीलम ने राज्य में पीडियाट्रिक डॉक्टर की कमी पर भी चिंता जताई. उन्होंने बताया कि 36 हजार बच्चों पर एक पीडियाट्रिक हैं, वहीं देश में 19 हजार की आबादी पर एक बच्चे का डॉक्टर है. ये इस ओर इशारा करता है कि राज्य में बच्चों के लिए उतने डॉक्टर नहीं हैं जितने होने चाहिए. उनके मुताबिक कोविड-19 की पहली लहर में 2% और दूसरी लहर में 12% बच्चे संक्रमित हुए जबकि आंकड़ों के मुताबिक राज्य में एक लाख की आबादी पर बच्चों के लिए 75 बेड हैं. वहीं एक लाख की आबादी पर 3.8 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड हैं तो 5.2 लाख की आबादी पर सिर्फ एक वेंटिलेटर है, ये सब आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं.

aankadon mein raajy kee chikitsa vyavastha 39 / 5000 Translation results State's medical system
आंकड़ों में राज्य की चिकित्सा व्यवस्था

मल्टी सिस्टम इन्फ्लामेट्री सिंड्रोम नया खतरा

वेबिनार में शिरकत कर रहीं मेदान्ता की डॉ. नीलम और रांची के रानी हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि मल्टी सिस्टम इन्फ्लामेट्री सिंड्रोम एक नए खतरे के रूप में पोस्ट कोविड मरीजों में देखा जा रहा है .जिसमें शरीर के अलग अलग अंगों जैसे हर्ट, लंग्स, किडनी, ब्रेन, स्किन, और आंख में इंफ्लामेशन (जलन) हो जाती है . उनके मुताबिक इसके केस बढ़ेंगे क्योंकि मरीज के कोविड निगेटिव होने के 2 से 4 सप्ताह बाद ये बीमारी उभरती है.

तीसरी लहर में बच्चों को बचाने के उपाय

वेबिनार में सीएम के सामने विशेषज्ञों ने उन उपायों पर भी चर्चा की, जिससे बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक तीसरी लहर में 1.9-3.8 लाख बच्चों में संक्रमण की आशंका है, जबकि 1900 से 3800 बच्चों में सिवियर केस होने का अनुमान है, जबकि 190 से 380 वैसे कोरोना संक्रमित बच्चे होंगे, जिन्हें ICU बेड की जरूरत होगी. डॉक्टर नीलम ने कहा इन सब से बच्चों को बचाने के लिए कम से कम 380 आईसीयू बेड की व्यवस्था होनी चाहिए, उसके अलावे यंग पैरेंट्स को तेजी से वैक्सीनेट किया जाय, और कोविड की संभावित तीसरी लहर के लिए अभी से सभी साधन को बढ़ाए जाने की जरूरत है.

टास्क फोर्स का गठन

डॉक्टर्स ने अभी से ही टास्क फोर्स के गठन पर जोर दिया, उन्होंने कहा आपात स्थिति में बच्चों को बचाने के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था को दुरुस्त करने, और बच्चों के माता पिता को जागरूक करने की जरूरत पर जोर दिया.

27 फीसदी बच्चे जीरो पॉजिटिव

दिल्ली एम्स के डॉक्टर अशोक देवरानी ने कहा कि जनवरी 2021 के सर्वे के मुताबिक 27 फीसदी बच्चे संक्रमण के बाद जीरो पॉजिटिव हो गए. यानी उनमें संक्रमण हुआ और बिना कोई लक्षण के समाप्त हो गया. डॉ. अशोक ने कहा कि अब सरकार दूसरी लहर के बाद ऐसा सर्वे कराएगी तो उसके नतीजे दूसरे होंगे. रिम्स की डॉ. अपेक्षा पाठक के सवाल पर डॉ. अशोक ने कहा कि रेमडेसिविर, आइवरमैक्टिन और प्लाज्मफेरेसिस का कोई रोल नहीं है. वहीं निमहंस अस्पताल के डॉक्टर प्रदीप बनाडूर के मुताबिक कोविड-19 से बच्चों के मन मस्तिष्क पर भी प्रभाव पड़ता है इसलिए साइको सोशल सपोर्ट सिस्टम बनाने की जरूरत है.

डॉक्टरों के सुझाव पर क्या बोले सीएम?

सीएम हेमंत सोरेन ने वेबिनार में डॉक्टरों के सुझाव को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा की कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंकाओं को देखते हुए आप सभी विशेषज्ञ डॉक्टर्स का सुझाव लेना बहुत ही आवश्यक है. सीएम ने कहा आप सभी के अनुभव, सहयोग और सुझाव से संक्रमण की पहली लहर से राज्य सरकार ने निपटने का काम किया था परंतु अचानक संक्रमण की दूसरी लहर और खतरनाक रूप से हम सभी के बीच आ खड़ी हुई. वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना संक्रमण की तीसरे लहर आने की भी संभावना है जो ज्यादा आक्रामक न हो, इसके लिए जरूरी है कि पहले से ही तमाम स्वास्थ्य संसाधनों को चुस्त-दुरुस्त किया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि तीसरी लहर की संभावनाओं को मद्देनजर रखते हुए राज्य के सभी जिला एवं प्रखंड स्तर के अस्पतालों में अलग से शिशु वार्ड तैयार करने का निर्देश राज्य सरकार ने दिया है. सभी अस्पतालों में चिल्ड्रन केयर यूनिट बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है.

जागरुकता ला रही सरकार

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि झारखंड प्रदेश पारंपारिक रहन-सहन एवं ट्रेडिशनल कल्चर के लिए जाना जाता है. वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में कोरोना संक्रमण के उपचार एवं वैक्सीनेशन को लेकर तमाम भ्रांतियां हैं. ऐसे में राज्य सरकार सामाजिक जागरुकता लाने का भी काम कर रही है. मुख्यमंत्री ने कहा झारखंड के अंदर 24 जिले हैं जिसमें 23 जिले अलग-अलग राज्यों के बॉर्डर क्षेत्र से जुड़े हैं. राज्य सरकार ने इंटर स्टेट मूवमेंट को रोकने का कार्य किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि निरंतर प्रयास से राज्य में पॉजिटिव केस की संख्या में कमी आई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने मृत्यु के आंकड़ों को किसी भी प्रकार से छिपाने का कार्य नहीं किया है बल्कि सही-सही आंकड़े प्रेषित किए हैं ताकि हमारा राज्य सही दिशा की ओर आगे बढ़ सके. राज्य सरकार का प्रयास है कि कोरोना संक्रमण से किस तरह निपटें की स्थिति नियंत्रण में हो सके, यही कारण है कि आप सभी विशेषज्ञों के साथ वेबिनार का आयोजन आज किया गया है ताकि तीसरी लहर आने से पहले आप लोगों के महत्वपूर्ण सुझाव और सहयोग से हम अपनी कार्य योजना तैयार कर सकें.

कई विशेषज्ञों ने दिए राय

वेबिनार में डॉक्टर रोड्रिको, एम्स के शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉक्टर अशोक देवरारी, मेंदाता के शिशु रोग विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर नीलम और निमहास के डॉक्टर प्रदीप ने जहां अपने अपने सुझाव सीएम के सामने रखे, वहीं रांची के रानी चिल्ड्रन अस्पताल के डॉक्टर राजेश ने धन्यवाद संबोधन दिया. रिम्स एवं अन्य अस्पतालों के विशेषज्ञ डॉक्टर एवं शिशु रोग विशेषज्ञ इस वेबिनार में उपस्थित थे. वेबिनार के अंत तक में सीएम ने सभी डॉक्टर्स को धन्यवाद दिया.

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