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झारखंड में बढ़ी हलचल, सीएम ने 3 को बुलाई विधायक दल की बैठक, महाधिवक्ता ने भी मुख्यमंत्री से की मुलाकात

Meeting of the legislature party. सीएम हेमंत सोरेन ने तीन जनवरी को विधायक दल की बैठक बुलाई है. माना जा रहा है कि झारखंड की मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा हो सकती है, साथ ही कल्पना सोरेन के नाम पर सहमति बन सकती है.

legislature party meeting
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 2, 2024, 1:08 PM IST

Updated : Jan 2, 2024, 1:42 PM IST

रांचीः लैंड स्कैम मामले में सीएम हेमंत सोरेन का बयान दर्ज करने के लिए ईडी की दो दिन की डेडलाइन खत्म होने के बाद से ही झारखंड की राजनीति गरमाई हुई है. सीएम ने कल यानी 3 जनवरी को अपने आवास पर शाम 4.30 बजे गठबंधन विधायक दल की बैठक बुलायी है. संभावना जतायी जा रही है कि बुधवार को कल्पना सोरेन के नाम पर सहमति भी बन सकती है.

गठबंधन विधायक दल की बैठक बुलाने से पहले इसका असर दिखने लगा है. जानकारी के मुताबिक राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन आज सुबह मुख्यमंत्री आवास पहुंचे. उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन से काफी देर तक चर्चा की है. तमाम संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. पूरा खेल कानूनी रुप लेता दिख रहा है. अगर ईडी कोई एक्शन लेती है तो काउंटर अटैक के लिए क्या विकल्प हो सकता है, इसपर मंथन का दौर चल रहा है. उसी के तहत बुधवार को गठबंधन विधायक दल की बैठक बुलाई गई है.

इधर, झामुमो नेता सरफराज अहमद के गांडेय विधानसभा सीट से इस्तीफा और तत्काल प्रभाव से स्पीकर द्वारा उसकी मंजूरी के बाद ही कयास लगाए जाने लगे थे कि किसी तरह का ईफ-बट होने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के हाथों में सत्ता सौंप सकते हैं. उनको विधायक दल का नेता चुनने में भी कोई अड़चन नहीं आएगी. लेकिन दुमका में भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने प्रेस कांग्रेस कर एक नई बहस छेड़ दी है.

उन्होंने महाराष्ट्र हाईकोर्ट के एक निर्णय का हवाला देते हुए कहा है कि जिस राज्य में विधानसभा के चुनाव होने में एक साल का समय बाकी रह जाता है, ऐसी स्थिति में कोई भी विधानसभा सीट खाली होती है तो वहां चुनाव नहीं हो सकता. अगर गांडेय सीट खाली हुई है और वहां से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाना चाहते हैं तो ऐसा संभव नहीं है. अगर हेमंत सोरेन अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं तो वे बड़ी गलती करेंगे. ऐसा संभव नहीं हो पाएगा क्योंकि उनके विधायक बनने में कानूनी अड़चन है और इसे रोकने के लिए भारतीय जनता पार्टी राज्यपाल से मिलकर मांग करेगी कि अगर कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव उनके पास आता है तो वह अटॉर्नी जनरल और विधि विशेषज्ञ से परामर्श लेने के बाद ही कोई कदम उठाएं. ऐसा न हो कि वह मुख्यमंत्री भी बन जाए और भविष्य में विधायक ना बन पाएं तो सब कुछ मजाक बनकर रह जाएगा.

आपको बता दें कि ईडी ने सीएम को 29 दिसंबर को सातवां समन भेजा था. इसमें जिक्र था कि आप दो दिन के भीतर यानी 31 दिसंबर तक बताएं कि आपका बयान कब और कहां दर्ज किया जाए. इसको अंतिम नोटिस समझा जाए. अगर जवाब नहीं आता है तो माना जाएगा कि आप जानबूझकर जांच को प्रभावित कर रहे हैं. समन में इस बात का भी जिक्र है कि इस अंतिम समन की मियाद रिसीविंग के सात दिन के लिए होगी जो 5 जनवरी को पूरी हो रही है. इस बीच सीएम ने दो दिन के भीतर ईडी को किसी तरह का रिस्पांस ना देकर स्पष्ट कर दिया है कि वह हर परिस्थिति का सामना करने को तैयार हैं.

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गठबंधन विधायक दल की बैठक बुलाने से पहले इसका असर दिखने लगा है. जानकारी के मुताबिक राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन आज सुबह मुख्यमंत्री आवास पहुंचे. उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन से काफी देर तक चर्चा की है. तमाम संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. पूरा खेल कानूनी रुप लेता दिख रहा है. अगर ईडी कोई एक्शन लेती है तो काउंटर अटैक के लिए क्या विकल्प हो सकता है, इसपर मंथन का दौर चल रहा है. उसी के तहत बुधवार को गठबंधन विधायक दल की बैठक बुलाई गई है.

इधर, झामुमो नेता सरफराज अहमद के गांडेय विधानसभा सीट से इस्तीफा और तत्काल प्रभाव से स्पीकर द्वारा उसकी मंजूरी के बाद ही कयास लगाए जाने लगे थे कि किसी तरह का ईफ-बट होने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के हाथों में सत्ता सौंप सकते हैं. उनको विधायक दल का नेता चुनने में भी कोई अड़चन नहीं आएगी. लेकिन दुमका में भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने प्रेस कांग्रेस कर एक नई बहस छेड़ दी है.

उन्होंने महाराष्ट्र हाईकोर्ट के एक निर्णय का हवाला देते हुए कहा है कि जिस राज्य में विधानसभा के चुनाव होने में एक साल का समय बाकी रह जाता है, ऐसी स्थिति में कोई भी विधानसभा सीट खाली होती है तो वहां चुनाव नहीं हो सकता. अगर गांडेय सीट खाली हुई है और वहां से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाना चाहते हैं तो ऐसा संभव नहीं है. अगर हेमंत सोरेन अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं तो वे बड़ी गलती करेंगे. ऐसा संभव नहीं हो पाएगा क्योंकि उनके विधायक बनने में कानूनी अड़चन है और इसे रोकने के लिए भारतीय जनता पार्टी राज्यपाल से मिलकर मांग करेगी कि अगर कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव उनके पास आता है तो वह अटॉर्नी जनरल और विधि विशेषज्ञ से परामर्श लेने के बाद ही कोई कदम उठाएं. ऐसा न हो कि वह मुख्यमंत्री भी बन जाए और भविष्य में विधायक ना बन पाएं तो सब कुछ मजाक बनकर रह जाएगा.

आपको बता दें कि ईडी ने सीएम को 29 दिसंबर को सातवां समन भेजा था. इसमें जिक्र था कि आप दो दिन के भीतर यानी 31 दिसंबर तक बताएं कि आपका बयान कब और कहां दर्ज किया जाए. इसको अंतिम नोटिस समझा जाए. अगर जवाब नहीं आता है तो माना जाएगा कि आप जानबूझकर जांच को प्रभावित कर रहे हैं. समन में इस बात का भी जिक्र है कि इस अंतिम समन की मियाद रिसीविंग के सात दिन के लिए होगी जो 5 जनवरी को पूरी हो रही है. इस बीच सीएम ने दो दिन के भीतर ईडी को किसी तरह का रिस्पांस ना देकर स्पष्ट कर दिया है कि वह हर परिस्थिति का सामना करने को तैयार हैं.

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Last Updated : Jan 2, 2024, 1:42 PM IST
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