रांची: झारखंड हाई कोर्ट में नियोजन नीति रद्द होने के बाद पक्ष और विपक्ष के बीच खींचतान जारी है. झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन में मुख्यमंत्री ने विपक्ष के हंगामे के बीच भाजपा पर तंज कसा (CM Hemant Soren Attack on BJP). मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्यपाल से मुलाकात के लिए 3:30 बजे का समय मिला है. इसके लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने को लेकर 19 दिसंबर को ही कार्य मंत्रणा में चर्चा भी हुई थी. इस पर भाजपा की तरफ से सहमति भी दी गई थी लेकिन, रात भर में ऐसी कौन सी खिचड़ी पक गई कि प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के लोग शामिल नहीं हो रहे हैं.
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नियोजन नीति रद्द कराने में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग शामिल: मुख्यमंत्री ने कहा कि एक आदिवासी को आगे बढ़ा कर नियोजन नीति को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी गई, जबकि उसके पीछे उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग शामिल थे. उन्होंने कहा कि यह दुष्प्रचार किया जा रहा है कि हमारी सरकार ने तत्कालीन रघुवर सरकार की नियोजन नीति को रद्द किया है. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में अबतक तीन बार नियोजन नीति रद्द हो चुकी है. उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कार्यपालिका की ओर से कैसी नीतियां बनाई जा रही है जो हाई कोर्ट में खारिज हो जा रही हैं. इसी वजह से 1932 खतियान आधारित स्थानीयता और नियोजन नीति पर बिल पास करा कर राजभवन को भेजा गया है. उसे 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए राज्यपाल से केंद्र को भेजने के लिए आग्रह किया जाना है. अगर ये विधेयक 9वीं अनुसूची में शामिल हो जाते हैं तो यहां के स्थानीय लोगों को एक मजबूत कवच प्रदान हो जाएगा.
प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं होने को लेकर भाजपा का जवाब: मुख्यमंत्री ने विपक्ष से राज्यपाल से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का आग्रह किया. हालांकि, दूसरी ओर भाजपा के नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्यपाल से इस विषय को लेकर मुलाकात महज दिखावा है. भाजपा की ओर से कहा गया कि मुख्यमंत्री को मालूम है कि 9वीं अनुसूची में शामिल करने वाले विषय की भी सुप्रीम कोर्ट समीक्षा कर सकता है. सरकार खुद नीति बनाने पर लागू करने में सक्षम है. केवल उससे विधि सम्मत समीक्षा की प्रक्रिया पूरी करने की आवश्यकता है.