रांची: विश्व आदिवासी दिवस समारोह के समापन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. झारखंड सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम में देश भर के विभिन्न जिलों से आमंत्रित आदिवासी कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी.
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झारखंड आदिवासी महोत्सव कार्यक्रम के समापन समारोह के मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, पर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सुबोधकांत सहाय, झारखंड सरकार के मंत्री हफीजुल हसन, मंत्री बादल पत्रलेख, मंत्री आलमगीर आलम, मंत्री जोबा मांझी, मंत्री चंपई सोरेन सहित राज्य एवं देश के विभिन्न आदिवासी समाज के गणमान्य और कलाकार मौजूद रहे.
झारखंड आदिवासी महोत्सव के मौके पर कार्यक्रम में आए देश भर से आदिवासी कलाकारों ने फैशन शो और नृत्य कला का प्रदर्शन दिखाया. यहां मौजूद मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी कल्पना सोरेन ने भी झारखंड के प्रसिद्ध कलाकार नंदलाल नायक के साथ आदिवासियों की पारंपरिक वाद्य यंत्र नगाड़ा बजाती दिखीं. आदिवासी महोत्सव के समापन समारोह के दौरान फैशन शो का आयोजन हुआ. इसके जरिए आदिवासी वेशभूषा को आधुनिक रूप देखकर पेश करने की कोशिश की गई. इसमें सीएम के पुत्र भी शामिल हुए. इसके अलावा इस कार्यक्रम में झारखंड के कई कलाकार और पद्मश्री से सम्मानित मुकुंद नायक और मधु मंसूरी के साथ इंटरनेशनल क्वीन ऑफ टूरिज्म एंजल मेरीना तिर्की भी मौजूद रहीं.
इस कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार आने के बाद आदिवासी दिवस के मौके पर इस तरह के भव्य आयोजन किये जा रहे हैं. उन्होंने कहा 125 करोड़ के इस आबादी में 13 करोड़ आदिवासी आबादी है. जो पूरे देश में पर्यावरण जंगलों और पहाड़ों को सुरक्षित रखने में अपनी अहम भूमिका निभा रही है. सीएम ने कहा कि झारखंड राज्य पूरे देश में एक अलग राज्य है. यह दूसरे राज्यों से बिल्कुल अलग है क्योंकि देश का 42 फीसदी खनिज संपदा इसी राज्य से पूरे देश को मिलता है. इसके बावजूद भी झारखंड के लोग गरीब और लाचार हैं.
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आयोजित एक परिचर्चा में कहा कि झारखंड सहित देश भर के आदिवासियों क्या आवाज उठाने का संघर्ष उनके पूर्वजों के द्वारा की जा रही है. पूर्वजों के उसी संघर्ष को अब तक उन्होंने भी जारी रखा है. उन्होंने कहा कि आदिवासी पैसे और आधुनिकता के पीछे नहीं भागते वह प्रकृति के पूजक हैं जबकि समाज के अन्य लोग पैसे और आधुनिकता के पीछे प्रकृति को उजाड़ने का काम कर रहे हैं. इस कार्यक्रम समापन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के आदिवासी देश और दुनिया के सभी प्लेटफार्म पर अपने हुनर को दिखा सके. इसका प्रयास राज्य सरकार के द्वारा आने वाले दिनों में ऐसे ही किया जाता रहेगा.
सीएम ने मणिपुर हिंसा पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जो आदिवासी वर्षों से वहां रह रहे थे, उन्हें वापस भेजा जा रहा है. उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धि गिनाते हुए कहा कि पहली बार आदिवासियों के लिए विदेश में पढ़ाई के लिए कंप्लीट स्कॉलरशिप की सुविधा उनके द्वारा लाई गयी है. बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए पेंशन योजना उनकी सरकार के द्वारा लागू किया गया. पूर्व की सरकार द्वारा लागू की गई पेंशन योजना में कई बाधक थी, आम लोगों तक योजनाएं को पहुंचने में बहुत दिक्कत होती थी. इसीलिए उन्होंने अपनी सरकार में योजनाओं को सरल बनाया और पेंशन योजना से बुजुर्गों और दिव्यांगों को जोड़ा है.
वहीं सरना धर्म कोड को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि देश में कई ऐसे वर्ग हैं, जिनकी आबादी 13 करोड़ से भी कम है लेकिन उसके बावजूद भी उनका अपना धर्म कोड है. लेकिन आदिवासियों की आबादी 13 करोड़ होने के बावजूद भी उनका उनका धर्म कोड नहीं दिया गया है. इसीलिए सरना धर्मकोड को लागू करने के लिए उन्होंने विधानसभा से प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया है.
इस कार्यक्रम में राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वंदना दाडेल, सचिव विनय चौबे, प्रधान सचिव राजीव अरुण इक्का, राज्य के डीजीपी अजय कुमार सिंह, डीआईजी अनूप बिरथरे, एसएसपी किशोर कौशल, उपायुक्त राहुल सिन्हा सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे. बता दें कि राजधानी के बिरसा मुंडा संग्रहालय में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर झारखंड सरकार के द्वारा दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया गया. जिसका समापन गुरुवार देर रात हुआ.