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गरीब आदिवासी बच्चों के सपनों को मिल रहा पंख, ओड़िशा के एक संस्थान की पहल, सीएम हेमंत करेंगे बच्चों से मुलाकात - Jharkhand news

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ओडिशा दौरे पर हैं. जहां वे कलिंगा यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में शामिल होंगे. यहां सीएम आदिवासी छात्राओं से मुलाकात भी करेंगे.

Cm Hemant Soren address tribal student
Cm Hemant Soren
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Published : Apr 28, 2023, 3:47 PM IST

रांची: पूरे देश में अनुसूचित जनजाति को मुख्यधारा में लाने के लिए केंद्र और राज्यों के स्तर पर कई योजनाएं चल रही हैं. कई संस्थाएं भी इस नेक काम में जुड़ी हुई हैं. उन्हीं में एक नाम है ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर में मौजूद कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज का. यह ऐसा संस्थान है जो गरीब और वंचित आदिवासियों को शिक्षा और रोजगार से जोड़कर विश्व का सबसे बड़ा आदिवासी संस्थान बन चुका है. यहां करीब 40 हजार आदिवासी बच्चों को प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा नि:शुल्क मुहैया करायी जाती है. इसमें ज्यादातर बच्चियां हैं. जिनसे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मुलाकात करेंगे. अपनी भावना व्यक्त करेंगे. उन्हें संबोधित करेंगे. संस्थान ने झारखंड के मुख्यमंत्री को विशेष रूप से इसके लिए आमंत्रित किया है.

ये भी पढ़ें: Ranchi News: झारखंड के लोगों को आज से मिली एयर एंबुलेंस की सुविधा, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया शुभारंभ

दरअसल, इस संस्थान की नींव 1992-93 में डॉ अच्युत सामंता ने रखी थी. इस संस्थान में देश भर के वंचित आदिवासी समाज के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है. इस ट्राइबल रेसिडेंशियल स्कूल में 1999 में 250 छात्र थे. आज यहां हजारों बच्चे पढ़ रहे हैं. इस संस्थान के बच्चे खेल के क्षेत्र में कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं. साल 2015 में यहां के बच्चों ने विश्व शांति के लिए सबसे लंबा ह्युमन चेन बनाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था.

आपको बता दें कि पूरे देश में अनुसूचित जनजाति की आबादी के मामले में ओड़िशा तीसरे स्थान पर है. पड़ोसी राज्य झारखंड भी एक आदिवासी बहुल राज्य है लेकिन शिक्षा के मामले में यह समाज आज भी काफी पीछे है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर झारखंड देश का पहला राज्य बना है जो अपने होनहार आदिवासी बच्चों को विदेश में मास्टर डिग्री की पढ़ाई का पूरा खर्च उठा रहा है. यह संस्थान देश और दुनिया की कई प्रतिष्ठित हस्तियों को समय समय पर सम्मानित करता रहता है.

2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड की साक्षरता दर 66.41 प्रतिशत है. इसमें पुरुषों का प्रतिशत 76.84 प्रतिशत जबकि महिलाओं का 52.04 प्रतिशत है. शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में साक्षरता दर 73.20 पहुंच चुकी है. इस मामले में झारखंड का जनजातीय समाज बहुत पीछे है. 2011 के आंकड़ों के मुताबिक महज 46.2 प्रतिशत आदिवासी महिलाएं साक्षर थीं. वहीं आदिवासी पुरुषों की साक्षरता दर 68.1 प्रतिशत थी. इससे साफ है कि साक्षरता दर में यह समाज काफी पीछे है. ऐसे में कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की पहल काबिले तारीफ है. अब देखना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन वहां के बच्चों से मिलने के बाद झारखंड में क्या करते हैं.

रांची: पूरे देश में अनुसूचित जनजाति को मुख्यधारा में लाने के लिए केंद्र और राज्यों के स्तर पर कई योजनाएं चल रही हैं. कई संस्थाएं भी इस नेक काम में जुड़ी हुई हैं. उन्हीं में एक नाम है ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर में मौजूद कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज का. यह ऐसा संस्थान है जो गरीब और वंचित आदिवासियों को शिक्षा और रोजगार से जोड़कर विश्व का सबसे बड़ा आदिवासी संस्थान बन चुका है. यहां करीब 40 हजार आदिवासी बच्चों को प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा नि:शुल्क मुहैया करायी जाती है. इसमें ज्यादातर बच्चियां हैं. जिनसे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मुलाकात करेंगे. अपनी भावना व्यक्त करेंगे. उन्हें संबोधित करेंगे. संस्थान ने झारखंड के मुख्यमंत्री को विशेष रूप से इसके लिए आमंत्रित किया है.

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दरअसल, इस संस्थान की नींव 1992-93 में डॉ अच्युत सामंता ने रखी थी. इस संस्थान में देश भर के वंचित आदिवासी समाज के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है. इस ट्राइबल रेसिडेंशियल स्कूल में 1999 में 250 छात्र थे. आज यहां हजारों बच्चे पढ़ रहे हैं. इस संस्थान के बच्चे खेल के क्षेत्र में कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं. साल 2015 में यहां के बच्चों ने विश्व शांति के लिए सबसे लंबा ह्युमन चेन बनाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था.

आपको बता दें कि पूरे देश में अनुसूचित जनजाति की आबादी के मामले में ओड़िशा तीसरे स्थान पर है. पड़ोसी राज्य झारखंड भी एक आदिवासी बहुल राज्य है लेकिन शिक्षा के मामले में यह समाज आज भी काफी पीछे है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर झारखंड देश का पहला राज्य बना है जो अपने होनहार आदिवासी बच्चों को विदेश में मास्टर डिग्री की पढ़ाई का पूरा खर्च उठा रहा है. यह संस्थान देश और दुनिया की कई प्रतिष्ठित हस्तियों को समय समय पर सम्मानित करता रहता है.

2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड की साक्षरता दर 66.41 प्रतिशत है. इसमें पुरुषों का प्रतिशत 76.84 प्रतिशत जबकि महिलाओं का 52.04 प्रतिशत है. शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में साक्षरता दर 73.20 पहुंच चुकी है. इस मामले में झारखंड का जनजातीय समाज बहुत पीछे है. 2011 के आंकड़ों के मुताबिक महज 46.2 प्रतिशत आदिवासी महिलाएं साक्षर थीं. वहीं आदिवासी पुरुषों की साक्षरता दर 68.1 प्रतिशत थी. इससे साफ है कि साक्षरता दर में यह समाज काफी पीछे है. ऐसे में कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की पहल काबिले तारीफ है. अब देखना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन वहां के बच्चों से मिलने के बाद झारखंड में क्या करते हैं.

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