रांची: मॉडर्न म्यूजिक के दौर में शास्त्रीय संगीत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. सितार वादन पंडित नरेंद्र मिश्र और तबला वादक पंडित राजेंद्र मिश्र के प्रस्तुति के दौरान यह साफ-साफ दिखाई दी. आखिर शास्त्रीय संगीत के प्रति इतनी उदासीनता क्यों है. इसे लेकर दोनों प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत कलाकारों से ईटीवी भारत के संवाददाता ने खास बातचीत की.
मॉडर्न म्यूजिक के दौर में शास्त्रीय संगीत को किस कदर जूझना पड़ रहा है. इसकी बानगी प्रेस क्लब परिसर में आयोजित चर्चित सितार वादन पंडित नरेंद्र मिश्र और तबला वादक पंडित राजेंद्र मिश्र के कार्यक्रम में देखने को मिला. कार्यक्रम में दर्शकों की संख्या इतनी कम थी कि इन कलाकारों को पीड़ा भी हुई. दोनों कलाकारों का मानना है कि शास्त्रीय संगीत ही सभी संगीत का जनक है, इसके बिना संगीत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, लोग धीरे-धीरे इस संगीत को भूल रहे हैं और मॉडर्न म्यूजिक के ओर रुख कर रहे हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से कहा कि विदेशों में शास्त्रीय संगीत की डिमांड बढ़ी है और भारतीय परंपरा को विदेशी अपना रहे हैं, भारत अपने ही परंपरा को भूल रहा है, जो यह दुर्भाग्यपूर्म है, आज के युवाओं को शास्त्रीय संगीत के संबंध में जागरूक करना होगा, उन्हें जानकारी देनी होगी और इस क्षेत्र में रोजगार की भी संभावना तलाशने की जरूरत है, रियलिटी शो के चक्कर में आज शास्त्रीय संगीत कहीं गुम हो गया है. प्रेस क्लब में आयोजित मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुति के बावजूद भी दर्शक दीर्घा में ज्यादा लोग नहीं दिखे. कुछ युवा कुछ देर के लिए आए थे, लेकिन वह भी चले गए.
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कोविड-19 के दौर में लोगों का मनोरंजन
कार्यक्रम को आयोजित करने वाली संस्था मिशन ब्लू फाउंडेशन के संस्थापक पंकज सोनी की मानें तो कार्यक्रम का आयोजित करने का उद्देश्य कोविड-19 के दौर में लोगों का मनोरंजन करना था, साथ ही बनारस से आए इन प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत के कलाकारों के जरिए युवाओं को शास्त्रीय संगीत के प्रति जागरूक करना था, धीरे धीरे इस उद्देश्य को पूरा जरूर किया जाएगा.