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राज्यसभा चुनाव 2016 में गड़बड़ी का जिन्न फिर निकला बाहर, मूल यंत्र मिलने पर सीआईडी करेगी पूर्व सीएम से पूछताछ

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Published : Jun 8, 2020, 10:12 PM IST

राज्यसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच 2016 में हुए राज्यसभा चुनाव में गड़बड़ी का जिन्न एक बार फिर से बाहर आ गया है. राज्यसभा चुनाव 2016 को लेकर जगन्नाथपुर थाने में दर्ज केस की समीक्षा एडीजी सीआईडी अनिल पाल्टा ने की है. इस मामले को लेकर आईपीएस अधिकारी और तत्कालीन एडीजी स्पेशल ब्रांच अनुराग गुप्ता सहित कई जांच के घेरे में हैं.

CID will interrogate former Cm in disturbance in rajya sabha election matter in ranchi
मूल यंत्र मिलने पर सीआईडी करेगी पूर्व सीएम से पूछताछ

रांची: सीआईडी एडीजी अनिल पाल्टा के द्वारा केस की नये सिरे से समीक्षा किए जाने के बाद रांची के जोन के डीआईजी अखिलेश झा ने 40 नए बिंदुओं पर जांच का आदेश दिया है. हालांकि पूरे मामले में जांच की धूरी रिकॉर्डिंग के मूल यंत्र पर टिकी हुई है. एफआईआर दर्ज होने के तकरीबन दो साल बाद भी इस मामले में पुलिस को अबतक मूल यंत्र नहीं मिल पाया है. रांची डीआईजी ने केस के अनुसंधानक जगन्नाथपुर थाना प्रभारी अभय कुमार सिंह को आदेश दिया है कि वह जेल में बंद पूर्व विधायक योगेंद्र साव से मूल यंत्र हासिल करें. मूलयंत्र की जांच के बाद मिले तथ्यों के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार समेत अन्य नेताओं से पूछताछ का आदेश भी दिया गया है.

राज्यसभा चुनाव 2016 को प्रभावित करने के मामले में झारखंड विकास मोर्चा के तात्कालिन सुप्रीमो बाबुलाल मरांडी (अब बीजेपी विधायक दल के नेता ) ने एक ऑडियो और वीडियो टेप जारी किया था. ऑडियो में तात्कालिन एडीजी स्पेसल अनुराग गुप्ता, तत्कालीन कांग्रेस विधायक योगेंद्र साव और मुख्यमंत्री के तात्कालिन सलाहकार अजय कुमार के बीतचीत की सीडी जारी की गई थी. इस ऑडियो सीडी के आधार पर निर्वाचन आयोग में शिकायत की गई थी. शिकायत के आधार पर जगन्नाथपुर थाना में गृह विभाग के अवर सचिव अविनाश चंद्र ठाकुर के बयान पर एफआइआर दर्ज की गई थी.

ये भी पढ़ें: लेह में फंसे झारखंड के 55 प्रवासी मजदूरों की हुई वापसी, फ्लाइट से पहुंचे रांची, राज्य सरकार दिया धन्यवाद

मामले में केस के पहले अनुसंधानक अनूप कर्मकार ने एडीजी अनुराग गुप्ता, अजय कुमार, झामुमो विधायक चमरा लिंडा, विधानसभा के तात्कालिन सचिव विनय कुमार सिंह समेत कई लोगों का बयान लिया था. वहीं, योगेंद्र साव से भी आधा दर्जन से अधिक बार मूल रिकॉर्डिंग यंत्र की मांग की गई, लेकिन योगेंद्र साव ने मूल यंत्र नहीं दिया. मूल यंत्र का नहीं मिलना अब भी पुलिस के लिए पहेली बनी हुई है. चमरा लिंडा ने पूछताछ में किसी तरह की खरीद फरोख्त की वजह से चुनाव नहीं देने की बात से इंकार किया था. वहीं विनय कुमार सिंह ने भी अपने बयान में बताया था कि किसी भी विधायक ने चुनाव के दिन खुद को वोट के लिए प्रभावित करने की शिकायत उनसे नहीं की थी.

पूरे कांड का अनुसंधान करने वाले पहले अनुसंधानकर्ता अनूप कर्मकार और बेड़ो डीएसपी संजय कुमार को शोकॉज किया गया था. केस की जांच के उपरांत तथ्य नहीं मिलने की बात कह अधिकारियों ने केस को असत्य करार देते हुए बंद करने की अनुशंसा की थी. हालांकि नए तरीके से केस की समीक्षा के बाद दोनों को शोकॉज किया गया था. शोकॉज के जवाब में अनुसंधानकर्ता अनूप कर्मकार ने बताया कि उन्होंने केस की जांच बंद नहीं की थी. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने केस का अनुसंधान जगन्नाथपुर के वर्तमान थानेदार अभय कुमार सिंह को सौंपे जाने की बात कही है. गौरतलब है कि इसी मामले को लेकर एडीजी अनुराग गुप्ता को सरकार के द्वारा निलंबित भी किया गया है.

रांची: सीआईडी एडीजी अनिल पाल्टा के द्वारा केस की नये सिरे से समीक्षा किए जाने के बाद रांची के जोन के डीआईजी अखिलेश झा ने 40 नए बिंदुओं पर जांच का आदेश दिया है. हालांकि पूरे मामले में जांच की धूरी रिकॉर्डिंग के मूल यंत्र पर टिकी हुई है. एफआईआर दर्ज होने के तकरीबन दो साल बाद भी इस मामले में पुलिस को अबतक मूल यंत्र नहीं मिल पाया है. रांची डीआईजी ने केस के अनुसंधानक जगन्नाथपुर थाना प्रभारी अभय कुमार सिंह को आदेश दिया है कि वह जेल में बंद पूर्व विधायक योगेंद्र साव से मूल यंत्र हासिल करें. मूलयंत्र की जांच के बाद मिले तथ्यों के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार समेत अन्य नेताओं से पूछताछ का आदेश भी दिया गया है.

राज्यसभा चुनाव 2016 को प्रभावित करने के मामले में झारखंड विकास मोर्चा के तात्कालिन सुप्रीमो बाबुलाल मरांडी (अब बीजेपी विधायक दल के नेता ) ने एक ऑडियो और वीडियो टेप जारी किया था. ऑडियो में तात्कालिन एडीजी स्पेसल अनुराग गुप्ता, तत्कालीन कांग्रेस विधायक योगेंद्र साव और मुख्यमंत्री के तात्कालिन सलाहकार अजय कुमार के बीतचीत की सीडी जारी की गई थी. इस ऑडियो सीडी के आधार पर निर्वाचन आयोग में शिकायत की गई थी. शिकायत के आधार पर जगन्नाथपुर थाना में गृह विभाग के अवर सचिव अविनाश चंद्र ठाकुर के बयान पर एफआइआर दर्ज की गई थी.

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मामले में केस के पहले अनुसंधानक अनूप कर्मकार ने एडीजी अनुराग गुप्ता, अजय कुमार, झामुमो विधायक चमरा लिंडा, विधानसभा के तात्कालिन सचिव विनय कुमार सिंह समेत कई लोगों का बयान लिया था. वहीं, योगेंद्र साव से भी आधा दर्जन से अधिक बार मूल रिकॉर्डिंग यंत्र की मांग की गई, लेकिन योगेंद्र साव ने मूल यंत्र नहीं दिया. मूल यंत्र का नहीं मिलना अब भी पुलिस के लिए पहेली बनी हुई है. चमरा लिंडा ने पूछताछ में किसी तरह की खरीद फरोख्त की वजह से चुनाव नहीं देने की बात से इंकार किया था. वहीं विनय कुमार सिंह ने भी अपने बयान में बताया था कि किसी भी विधायक ने चुनाव के दिन खुद को वोट के लिए प्रभावित करने की शिकायत उनसे नहीं की थी.

पूरे कांड का अनुसंधान करने वाले पहले अनुसंधानकर्ता अनूप कर्मकार और बेड़ो डीएसपी संजय कुमार को शोकॉज किया गया था. केस की जांच के उपरांत तथ्य नहीं मिलने की बात कह अधिकारियों ने केस को असत्य करार देते हुए बंद करने की अनुशंसा की थी. हालांकि नए तरीके से केस की समीक्षा के बाद दोनों को शोकॉज किया गया था. शोकॉज के जवाब में अनुसंधानकर्ता अनूप कर्मकार ने बताया कि उन्होंने केस की जांच बंद नहीं की थी. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने केस का अनुसंधान जगन्नाथपुर के वर्तमान थानेदार अभय कुमार सिंह को सौंपे जाने की बात कही है. गौरतलब है कि इसी मामले को लेकर एडीजी अनुराग गुप्ता को सरकार के द्वारा निलंबित भी किया गया है.

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