रांची: धनबाद में चर्चित गांजा प्रकरण में सीआईडी ने तत्कालीन एसएसपी किशोर कौशल का बयान दर्ज कर लिया गया है. ईसीएल के कर्मी को कार में गांजा प्लांट कर जेल भेजवाने में धनबाद के तत्कालीन एसएसपी की भूमिका भी संदिग्ध है. तकरीबन एक घंटे तक सीआईडी मुख्यालय में एडीजी अनिल पालटा ने केस के अनुसंधानकर्ता के समक्ष तत्कालीन एसएसपी का बयान दर्ज कराया. इससे पहले सीआईडी ने इस मामले में निरसा डीएसपी विजय कुमार कुशवाहा, तत्कालीन थानेदार उमेश कुमार सिंह का भी बयान लिया है.
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बता दें कि बीते साल ईसीएल के कर्मी चिरंजीत घोष को 40 किलोग्राम गांजा की तस्करी के मामले में किंगपिन बताते हुए धनबाद पुलिस ने जेल भेज दिया था. बाद में यह बात सामने आयी थी कि पुलिस ने फर्जी तरीके से गांजा प्लांट कर चिरंजीत को जेल भेजा था. सीआईडी ने पाया है कि पूरे मामले में धनबाद पुलिस ने कार्रवाई में गलती की थी. मामले में बंगाल के एसडीपीओ मिथुन डे की भूमिका मुख्य संदिग्ध की है.
गोड्डा के महगामा थाने में भी ईसीएल कर्मी चिरंजीत घोष का नाम फर्जी तरीके से एक कंफेशन में डाल दिया गया था. इसके बाद गोड्डा पुलिस ने भी चिरंजीत घोष को फंसाने के लिए रिमांड पर लेने की कोशिश की थी. इस मामले में भी सीआईडी ने महगामा के तात्कालीन थानेदार सूरज कुमार गुप्ता का बयान दर्ज किया है. सूरज कुमार गुप्ता ने बताया है कि उसने तत्कालीन गोड्डा एसपी शैलेंद्र वर्णवाल के कहने पर चिरंजीत का नाम कंफेशन में डाला था. चौंकाने वाली बात यह है कि थानेदार ने थाने में अपने योगदान के पूर्व के कंफेशन पर हस्ताक्षर किए थे.