रांची: राज्य में फोन टैपिंग के चर्चित मामले का अनुसंधान सीआईडी ने टेकओवर कर लिया है. डोरंडा थाने में सीआईडी के डीएसपी रंजीत लकड़ा के द्वारा दर्ज कराये गए केस संख्या 189/20 की जांच सीआईडी के ही इंस्पेक्टर ममता के द्वारा की जाएगी. सीआईडी में फोन टैपिंग की गड़बड़ी को लेकर सीआईडी ने डोरंडा थाना में मामला दर्ज कराया था. इस केस में सीआईडी में प्रतिनियुक्ति पर आए विशेष शाखा के इंस्पेक्टर अजय कुमार साहू समेत अन्य पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाया गया है. इंस्पेक्टर अजय कुमार साहू पर आरोप है कि सीआईडी में तकनीकी शाखा के प्रभारी के तौर पर काम करते हुए उन्होंने तीन मोबाइल नंबरों को इंटरसेप्शन पर लगाया था.
ये तीनों नंबर पशु तस्करों और अपराधियों के बताए गए थे, लेकिन जांच में यह बात समाने आई कि एक नंबर सरायकेला जिले के चांडिल के तात्कालिन थानेदार रतन कुमार सिंह, दूसरा नंबर स्पेशल ब्रांच के सिपाही इमरान और तीसरा नंबर चुटिया थाना के एक जमादार रंजीत सिंह का था. इस मामले में इंस्पेक्टर के खिलाफ 120, 166, 167, 418 के तहत एफआईआर दर्ज करायी गई थी. झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने इंस्पेक्टर अजय कुमार साहू पर एफआईआर दर्ज करने पर नाराजगी जतायी थी. एसोसिएशन का तर्क था कि विभागीय गलतियों के लिए विभागीय कार्रवाई होनी चाहिए न की एफआईआर.
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एसोसिएशन ने इस मामले में वरीय अधिकारियों के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि एफआईआर दर्ज करने के पूर्व इंस्पेक्टर से स्पष्टीकरण तक नहीं पूछा गया.
सरयू राय ने मई महीने में पूर्व की सरकार के द्वारा अपने फोन की टैपिंग की शिकायत की थी. जांच में यह बात गलत निकली. सीआईडी ने जांच में पाया कि किसी भी राजनीतिज्ञ का नंबर टैप नहीं हुआ, लेकिन तीन नीचले स्तर के पुलिसकर्मियों के नंबर टैप किए जाने की बात सामने आई है. ऐसे में सीआईडी ने मामला दर्ज कराया. पुलिस मुख्यालय के आदेश पर इस मामले में अनुसंधान टेकओवर करने का आदेश आया था, जिसके बाद सीआईडी ने केस को टेकओवर किया.