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चर्च के विशप ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौंपा ज्ञापन, की सरना धर्म कोड लागू करने की मांग - Roman Catholic Church of Jharkhand

झारखंड के रोमन कैथोलिक चर्च के विशप ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने कहा कि केंद्र ने संविधान के मूल्य भावना से छेड़छाड़ करके सीएएए को लागू किया है, जिसे रद्द कर संविधान के अनुरूप लागू करने की मांग का.

चर्च के विशप ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौंपा ज्ञापन
Chief Minister Hemant Soren
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Published : Mar 14, 2020, 9:33 AM IST

रांची: झारखंड के रोमन कैथोलिक चर्च के विशप ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की. इस दौरान सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ ज्ञापन सौंप इससे उत्पन्न होने वाले कठिनाइयों के बारे में बताया.

एनपीआर को स्थगित रखने की मांग

ज्ञापन के माध्यम से चर्च के विशप ने कहा कि केंद्र ने संविधान के मूल्य भावना से छेड़छाड़ करके सीएएए को लागू किया है. इसे रद्द कर संविधान के अनुरूप लागू किया जाए, साथ ही जनगणना सूची में अलग से सरना कोड को लागू करने का मांग की और आदिवासियों को अपना धर्म लिखने को लकर विकल्प देते हुए एनपीआर को स्थगित रखने की मांग उठाई.

ये भी पढ़ें-डीवीसी की बिजली कटौती से जनता परेशान, झामुमो ने डीवीसी सब स्टेशन पर किया प्रदर्शन

राज्य सरकार को करना चाहिए इस कानून का विरोध

विशप ने कहा कि राज्य सरकार को इस कानून का विरोध करना चाहिए. क्योंकि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के कानून से देश के करोड़ों शांतिप्रिय और विधि का पालन करने वाले आम लोग खासकर आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों जैसे वर्गों के लोगों का जीवन छिन्न-भिन्न हो सकता है. उन्होंने कहा कि जब तक जनगणना के धर्म कोड में आदिवासियों को अपना धर्म को घोषित करने का विकल्प उपलब्ध नहीं कर दिया जाता तब तक आदिवासी मध्य पट्टी में जनगणना की प्रक्रिया शुरू नहीं की होगी.

रांची: झारखंड के रोमन कैथोलिक चर्च के विशप ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की. इस दौरान सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ ज्ञापन सौंप इससे उत्पन्न होने वाले कठिनाइयों के बारे में बताया.

एनपीआर को स्थगित रखने की मांग

ज्ञापन के माध्यम से चर्च के विशप ने कहा कि केंद्र ने संविधान के मूल्य भावना से छेड़छाड़ करके सीएएए को लागू किया है. इसे रद्द कर संविधान के अनुरूप लागू किया जाए, साथ ही जनगणना सूची में अलग से सरना कोड को लागू करने का मांग की और आदिवासियों को अपना धर्म लिखने को लकर विकल्प देते हुए एनपीआर को स्थगित रखने की मांग उठाई.

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राज्य सरकार को करना चाहिए इस कानून का विरोध

विशप ने कहा कि राज्य सरकार को इस कानून का विरोध करना चाहिए. क्योंकि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के कानून से देश के करोड़ों शांतिप्रिय और विधि का पालन करने वाले आम लोग खासकर आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों जैसे वर्गों के लोगों का जीवन छिन्न-भिन्न हो सकता है. उन्होंने कहा कि जब तक जनगणना के धर्म कोड में आदिवासियों को अपना धर्म को घोषित करने का विकल्प उपलब्ध नहीं कर दिया जाता तब तक आदिवासी मध्य पट्टी में जनगणना की प्रक्रिया शुरू नहीं की होगी.

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