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झारखंड सूचना आयोग में लंबित मामलों को लेकर हाई कोर्ट सख्त, मुख्य सचिव को किया तलब

झारखंड सूचना आयोग में लंबित मामलों की सुनवाई नहीं होने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान आयोग की ओर से कोई अधिवक्ता उस्थित नहीं हुए थे. इसपर नाराजगी जाहिर करते हुए अदालत ने निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई के दौरार मुख्य सचिव उपस्थित रहेंगे.

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Published : Aug 29, 2021, 8:12 AM IST

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झारखंड सूचना आयोग में लंबित मामलों को लेकर हाई कोर्ट सख्त

रांचीः झारखंड सूचना आयोग में लंबित मामलों की सुनवाई निर्धारित समय से नहीं होने के मामले में हाई कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव अदालत में उपस्थित रहेंगे. न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की एकलपीठ ने विश्वंभर चौबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है.

यह भी पढ़ेंःराज्य सूचना आयोग के मामले पर झारखंड हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को किया जवाब तलब, 6 सप्ताह में मांगा ब्यौरा

न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद ने सुनवाई के दौरान कहा कि सूचना आयोग की ओर से कोई वकील भी उपस्थित नहीं है और सरकार की ओर से बार-बार समय देने का आग्रह किया जा रहा है. कोर्ट लंबे समय तक किसी मामले को बिना वजह लंबित नहीं रख सकता है. इस स्थिति में मुख्य सचिव अदालत में उपस्थित होकर पक्ष रखें. अदालत ने मुख्य सचिव को 9 सितंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है.

जानकारी देते अधिवक्ता

सूचना आयोग के अस्तित्व पर सवाल

याचिकाकर्ता ने कहा है कि राज्य सूचना आयोग में लंबित मामलों की सुनवाई नहीं हो रही है. कई मामलों में जन सूचना पदाधिकारी की ओर से सूचना भी नहीं दी जा रही है. प्रथम अपील के बाद लोग दूसरी अपील के लिए सूचना आयोग में आवेदन दे रहे हैं, लेकिन सभी मामले लंबित हो रहे हैं. इस स्थिति में सूचना आयोग के अस्तित्व पर सवाल उठ रहा है.

सरकार को भी भेजा गया था नोटिस

इस मामले की पूर्व में सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार को नोटिस दिया था. इसपर महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य सूचना अयोग के मामले में सरकारी अधिवक्ता पक्ष नहीं रखेंगे. इसलिए इस मामले की सुनवाई अभी नहीं की जाए. इसके बाद अदालत ने राज्य सूचना आयोग के सदस्य सचिव को नोटिस जारी कर अदालत में उस्थित होने का निर्देश दिया था.

आयोग में नहीं है अध्यक्ष

सदस्य सचिव रखाल चंद्र बेसरा ने अदालत को बताया कि आयोग के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते है. इसकी वजह है कि उन्होंने कुछ दिनों पहले ही पदभार ग्रहण किया है. सदस्य सचिव ने अदालत को बताया कि आयोग में अभी ना अध्यक्ष है और ना ही वकील. इसलिए मामले की सुनवाई नहीं की जा रही है. वकीलों की नियुक्ति का अधिकार अध्यक्ष को है. इसपर कोर्ट ने सख्त आदेश देते हुए मुख्य सचिव को तलब किया है.

रांचीः झारखंड सूचना आयोग में लंबित मामलों की सुनवाई निर्धारित समय से नहीं होने के मामले में हाई कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव अदालत में उपस्थित रहेंगे. न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की एकलपीठ ने विश्वंभर चौबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है.

यह भी पढ़ेंःराज्य सूचना आयोग के मामले पर झारखंड हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को किया जवाब तलब, 6 सप्ताह में मांगा ब्यौरा

न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद ने सुनवाई के दौरान कहा कि सूचना आयोग की ओर से कोई वकील भी उपस्थित नहीं है और सरकार की ओर से बार-बार समय देने का आग्रह किया जा रहा है. कोर्ट लंबे समय तक किसी मामले को बिना वजह लंबित नहीं रख सकता है. इस स्थिति में मुख्य सचिव अदालत में उपस्थित होकर पक्ष रखें. अदालत ने मुख्य सचिव को 9 सितंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है.

जानकारी देते अधिवक्ता

सूचना आयोग के अस्तित्व पर सवाल

याचिकाकर्ता ने कहा है कि राज्य सूचना आयोग में लंबित मामलों की सुनवाई नहीं हो रही है. कई मामलों में जन सूचना पदाधिकारी की ओर से सूचना भी नहीं दी जा रही है. प्रथम अपील के बाद लोग दूसरी अपील के लिए सूचना आयोग में आवेदन दे रहे हैं, लेकिन सभी मामले लंबित हो रहे हैं. इस स्थिति में सूचना आयोग के अस्तित्व पर सवाल उठ रहा है.

सरकार को भी भेजा गया था नोटिस

इस मामले की पूर्व में सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार को नोटिस दिया था. इसपर महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य सूचना अयोग के मामले में सरकारी अधिवक्ता पक्ष नहीं रखेंगे. इसलिए इस मामले की सुनवाई अभी नहीं की जाए. इसके बाद अदालत ने राज्य सूचना आयोग के सदस्य सचिव को नोटिस जारी कर अदालत में उस्थित होने का निर्देश दिया था.

आयोग में नहीं है अध्यक्ष

सदस्य सचिव रखाल चंद्र बेसरा ने अदालत को बताया कि आयोग के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते है. इसकी वजह है कि उन्होंने कुछ दिनों पहले ही पदभार ग्रहण किया है. सदस्य सचिव ने अदालत को बताया कि आयोग में अभी ना अध्यक्ष है और ना ही वकील. इसलिए मामले की सुनवाई नहीं की जा रही है. वकीलों की नियुक्ति का अधिकार अध्यक्ष को है. इसपर कोर्ट ने सख्त आदेश देते हुए मुख्य सचिव को तलब किया है.

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