रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूर्ववर्ती रघुवर सरकार की नीतियों पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने तल्ख लहजे में कहा कि निकम्मों ने गंदगी फैला रखी थी, अब सामने आ रहा है. मसला चाहे सहायक पुलिसकर्मियों का हो, नियोजन नीति और हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति रद्द होने का या फिर डीवीसी के बकाए पैसे की वसूली के तरीके का सभी के लिए मुख्यमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकार को कोसा. उन्होंने कहा कि विपक्ष के बुरे काम का नतीजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सहायक पुलिसकर्मियों के प्रति सरकार की सोच सकारात्मक है. यही वजह है कि सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मंत्री मिथिलेश ठाकुर को बातचीत के लिए भेजा गया था, लेकिन बात बनते बनते बिगड़ गई यानी यह सब सोची-समझी साजिश के तहत ऐसा किया जा रहा है.
पूर्व मुख्यमंत्री को घेरा
मुख्यमंत्री ने कहा कि शेड्यूल और नॉन शेड्यूल एरिया बताकर 13 और 11 जिलों को अलग कर दिया गया था. हद है कि यह सब राज्यपाल के हाथों कराया गया. एक तरह से राज्य को दो हिस्सों में बांटने की तैयारी थी. राज्यपाल को इस पर संज्ञान लेना चाहिए था लेकिन उन्होंने भी संज्ञान नहीं लिया. उसी का नतीजा है कि हाईकोर्ट ने 13 जिलों में हाईस्कूल शिक्षकों की ही नियुक्ति को अवैध करार दिया है. अब विपक्ष से सवाल पूछना चाहिए कि सरकार में रहते वक्त इस तरह की अधिसूचना क्यों जारी की गई थी. नेता प्रतिपक्ष का दावा करने वाले नेताजी से पूछिए कि अब उन बच्चों का क्या होगा, अब तक सहायक पुलिसकर्मियों की बात हो रही थी , अब 18000 शिक्षकों की बात होगी. विधानसभा और हाई कोर्ट के निर्माण पर एनजीटी ने अलग से लताड़ लगाई है.
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केंद्र पर लगाया मनमानी का आरोप
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार रोजगार देने की तैयारी कर रही थी लेकिन पूर्ववर्ती सरकार की गलत नीतियों के कारण अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो गई है. उन्होंने केंद्र सरकार को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि केंद्र की मनमानी अभी तक रूकी नहीं है. अभी कुछ दिन पहले फिर से हमें केंद्र सरकार से पत्र प्राप्त हुआ है कि डीवीसी का पैसा नहीं देने पर राज्य सरकार को केंद्र से मिलने वाला पैसा काटकर डीवीसी को दे दिया जाएगा. कमाल है, और यह भी एग्रीमेंट हमारे माननीय रघुवर दासजी ने 2017 में किया था. अगर सरकार पैसे नहीं दे पाएगी तो राज्य सरकार को केंद्र से मिलने वाले पैसे से ही काटने का अधिकार होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोग पूरे मामले को देख रहे हैं. अपने अधिकार की लड़ाई लड़ेंगे और हर स्तर पर लड़ेंगे . आज देश के संघीय ढांचे को लोगों ने पूरी तरीके से तार-तार कर रखा है. किसान बिल का नतीजा दिख रहा है किसान आत्महत्या कर रहे हैं.