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चाईबासा जा रहे भूखे प्यासे मजदूरों को छत्तीसगढ़ पुलिस ने दिया सहारा, घर पहुंचाने में ऐसे की मदद

सरगुजा (surguja) से झारखंड भूखे-प्यासे पैदल जा रहे मजदूरों की पुलिस ने मदद की. मजदूरों (workers) को उनके घर झारखंड भी पहुंचाया. पुलिस के इस कदम की आम लोगों ने भी प्रशंसा की है.

Chhattisgarh police helped poor laborers by sending them safely to jharkhand
झारखंड के चाईबासा जा रहे भूखे-प्यासे मजदूरों को छत्तीसगढ़ पुलिस ने दिया सहारा, घर पहुंचाने में ऐसे की मदद
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Published : Jun 17, 2021, 3:06 PM IST

जशपुर: छत्तीसगढ़ के जशपुर (jashpur) जिले में पुलिस का संवेदनशील चेहरा एक बार फिर देखने को मिला है. सिटी कोतवाली पुलिस (City Kotwali Police) के जवानों को सरगुजा से झारखंड (Surguja to Jharkhand) 500 किलोमीटर का सफर पैदल करते भूखे-प्यासे मजदूरों की मदद करते दिखे.

पुलिसकर्मियों ने ना सिर्फ भूखे मजदूरों के लिए खाने-पानी की व्यवस्था की, बल्कि उन्हें उनके घर झारखंड तक भेजा. पुलिस के इस संवेदनशील रवैये की आम लोग तारीफ भी कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- टाटा की पहलः स्वास्थ्य विभाग को सौंपा 3,000 ऑक्सीजन सिलेंडर


दरअसल सरगुजा में कोयला की खदान के ठेकेदार की दगाबाजी (contractor's treachery) से मुसीबत में फंसे 9 मजदूर झारखंड के चाईबासा पैदल ही जा रहे थे. मजदूरों के पास खाने तक के पैसे नहीं थे. वे सड़क किनारे लगे आम के पेड़ों से गिरे फल को खाते हुए 24 घंटे की पदयात्रा कर दुलदुला थाना क्षेत्र के पतराटोली पहुंचे.

इसके बाद मजदूरों ने पेड़ के नीचे आराम किया. बता दें कि जशपुर सिटी कोतवाली पुलिस टीम किसी जांच के लिए दुलदुला थाना क्षेत्र गई हुई थी. मजदूरों को आराम करता देख पुलिसकर्मियों ने उनका हाल जाना, तो पता चला कि मजदूर बीते 24 घंटों से पैदल चले आ रहे हैं और इनके पास एक रुपया भी नहीं है कि वे खाना खा सकें और किसी वाहन के सहारे अपने घर तक पहुंच सकें.

इस दौरान पुलिसकर्मियों ने मानवता का परिचय देते हुए इन मजदूरों के लिए भोजन और रांची तक जाने के लिए वाहन की व्यवस्था की.

ठेकेदार ने किया दगा

जशपुर सिटी कोतवाली के प्रधान आरक्षक विनोद गुप्ता ने बताया कि झारखंड के चाईबासा के 9 मजदूर सरगुजा जिले के उदयपुर में एक निजी कंपनी की कोयला खदान में मजदूरी करने के लिए गए हुए थे. मजदूर कोलासिनकु ने बताया कि यहां ट्रकों में कोयला लोड होने के बाद तिरपाल से ढंककर बांधने का काम करते थे.

लॉकडाउन के दौरान भी ठेकेदार ने उन्हें मजदूरी के पैसे नहीं दिए. इस बीच 3 दिन पहले जब मजदूरी मांगने के लिए ठेकेदार के कार्यालय पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि वो फरार हो चुका है.ॉ

राशन-पानी खत्म हो जाने की वजह से अंजान जगह पर भूखे मरने की बजाय मजदूरों ने अपने गांव वापस जाने का निर्णय लिया, लेकिन किराया चुकाने के लिए रुपए ना होने की वजह से पैदल ही चाईबासा के लिए वे रवाना हो गए थे.

150 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे जशपुर

इसी दौरान जशपुर के पतराटोली तक तकरीबन 150 किलोमीटर का सफर इन मजदूरों ने बारिश की मार झेलते हुए पैदल तय किया. भूखे पेट नंगे पाव चलते हुए मजदूरों के पैर में छाले पड़ गए थे. मजदूरों को घर पहुंचाने में प्रधान आरक्षक विनोद गुप्ता, मनोज सिंह, आरक्षक शोभनाथ सिंह और मदन सिंह का योगदान रहा है.

इसे भी पढ़ें- कोडरमा के जवाहर घाटी में रेलवे ट्रैक पर गिरी चट्टान, मालगाड़ी का इंजन चपेट में आकर हुआ क्षतिग्रस्त, ट्रैफिक बाधित

पुलिस की मानवता की तारीफ

वहीं पुलिस के इस काम की आम लोग भी प्रशंसा कर रहे हैं. स्थानीय निवासी मोहित शर्मा ने कहा कि कोरोना काल में जशपुर पुलिस की संवेदनशीलता हमेशा देखने को मिली है. भूखे-प्यासे मजदूरों को खाना खिलाकर उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था पुलिसकर्मियों ने की, जो सराहनीय है.

जशपुर: छत्तीसगढ़ के जशपुर (jashpur) जिले में पुलिस का संवेदनशील चेहरा एक बार फिर देखने को मिला है. सिटी कोतवाली पुलिस (City Kotwali Police) के जवानों को सरगुजा से झारखंड (Surguja to Jharkhand) 500 किलोमीटर का सफर पैदल करते भूखे-प्यासे मजदूरों की मदद करते दिखे.

पुलिसकर्मियों ने ना सिर्फ भूखे मजदूरों के लिए खाने-पानी की व्यवस्था की, बल्कि उन्हें उनके घर झारखंड तक भेजा. पुलिस के इस संवेदनशील रवैये की आम लोग तारीफ भी कर रहे हैं.

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दरअसल सरगुजा में कोयला की खदान के ठेकेदार की दगाबाजी (contractor's treachery) से मुसीबत में फंसे 9 मजदूर झारखंड के चाईबासा पैदल ही जा रहे थे. मजदूरों के पास खाने तक के पैसे नहीं थे. वे सड़क किनारे लगे आम के पेड़ों से गिरे फल को खाते हुए 24 घंटे की पदयात्रा कर दुलदुला थाना क्षेत्र के पतराटोली पहुंचे.

इसके बाद मजदूरों ने पेड़ के नीचे आराम किया. बता दें कि जशपुर सिटी कोतवाली पुलिस टीम किसी जांच के लिए दुलदुला थाना क्षेत्र गई हुई थी. मजदूरों को आराम करता देख पुलिसकर्मियों ने उनका हाल जाना, तो पता चला कि मजदूर बीते 24 घंटों से पैदल चले आ रहे हैं और इनके पास एक रुपया भी नहीं है कि वे खाना खा सकें और किसी वाहन के सहारे अपने घर तक पहुंच सकें.

इस दौरान पुलिसकर्मियों ने मानवता का परिचय देते हुए इन मजदूरों के लिए भोजन और रांची तक जाने के लिए वाहन की व्यवस्था की.

ठेकेदार ने किया दगा

जशपुर सिटी कोतवाली के प्रधान आरक्षक विनोद गुप्ता ने बताया कि झारखंड के चाईबासा के 9 मजदूर सरगुजा जिले के उदयपुर में एक निजी कंपनी की कोयला खदान में मजदूरी करने के लिए गए हुए थे. मजदूर कोलासिनकु ने बताया कि यहां ट्रकों में कोयला लोड होने के बाद तिरपाल से ढंककर बांधने का काम करते थे.

लॉकडाउन के दौरान भी ठेकेदार ने उन्हें मजदूरी के पैसे नहीं दिए. इस बीच 3 दिन पहले जब मजदूरी मांगने के लिए ठेकेदार के कार्यालय पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि वो फरार हो चुका है.ॉ

राशन-पानी खत्म हो जाने की वजह से अंजान जगह पर भूखे मरने की बजाय मजदूरों ने अपने गांव वापस जाने का निर्णय लिया, लेकिन किराया चुकाने के लिए रुपए ना होने की वजह से पैदल ही चाईबासा के लिए वे रवाना हो गए थे.

150 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे जशपुर

इसी दौरान जशपुर के पतराटोली तक तकरीबन 150 किलोमीटर का सफर इन मजदूरों ने बारिश की मार झेलते हुए पैदल तय किया. भूखे पेट नंगे पाव चलते हुए मजदूरों के पैर में छाले पड़ गए थे. मजदूरों को घर पहुंचाने में प्रधान आरक्षक विनोद गुप्ता, मनोज सिंह, आरक्षक शोभनाथ सिंह और मदन सिंह का योगदान रहा है.

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पुलिस की मानवता की तारीफ

वहीं पुलिस के इस काम की आम लोग भी प्रशंसा कर रहे हैं. स्थानीय निवासी मोहित शर्मा ने कहा कि कोरोना काल में जशपुर पुलिस की संवेदनशीलता हमेशा देखने को मिली है. भूखे-प्यासे मजदूरों को खाना खिलाकर उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था पुलिसकर्मियों ने की, जो सराहनीय है.

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