रांचीः प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संसद में पेश किए गए आम बजट को आम लोगों की उम्मीदो के विपरीत बताया है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पौने तीन घंटे के बजट भाषण में गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार की ओर से किस मोर्चे पर क्या तैयारियां की है, इसकी कोई चर्चा नहीं की.
सीएम ने कहा कि यह बजट गरीब, किसानों, मजदूरों, बेरोजगारों और युवाओं को हताश करने वाला है. सीएम ने कहा कि इस बजट का अर्थशास्त्री लगातार आंकलन कर रहे हैं. लेकिन पहली नजर में केंद्र सरकार का यह बजट कहीं से विजनरी नहीं लग रहा है.
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उद्योगपतियों को राहत, आम लोगों पर आफत
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बजट पूंजीपतियों और उद्योगपतियों के हितों को ध्यान में रखकर लाया गया है. बड़े उद्योगपित जो टैक्स चोरी करते हैं, उन्हें बजट के जरिए राहत देने की कोशिश की गई है. अब उन्हें टैक्स चोरी पकड़े जाने परे न तो ब्याज देना होगा और न ही पेनाल्टी लगेगी. वहीं मिडिल क्लास को आयकर में मामूली राहत दी गई है. उन्होंने कहा कि आम लोगों ने आयकर के स्लैब में जिस छूट की उम्मीद की थी, उसे बजट में दरकिनार कर दिया गया है. साथ ही बजट में ज्यादा से ज्यादा सरकारी संपत्तियों के निजीकरण किए जाने को बढ़ावा देने की कोशिश की गई है.
विजन का अभाव है बजट में
सीएम ने कहा कि आम बजट में विजन का पूरी तरह अभाव है. इसमें न तो दिशा दिखती है और न ही दृष्टि कि कैसे देश और देशवासियों को प्रगति के रास्ते पर आगे ले जाया सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि पहली बार बजट में यह देखने को मिला है कि किस सेक्टर में कितना खर्च किया जाना है. इसका कहीं जिक्र नहीं किया गया है. बजट पूरी तरह पूंजीपतियों को समर्पित है और आम लोगों को सिर्फ दिलासा देने की कोशिश की गई है. किसी भी सूरत में इसे संतुलित बजट नहीं कहा जा सकता है.
मांग ट्राइबल यूनिवर्सिटी की मिला ट्राइबल म्यूजियम
मुख्यमंत्री हेमंत ने कहा कि वे प्रधानमंत्री से मिलकर झारखंड में ट्राइबल यूनिवर्सिटी खोलने की मांग रखी थी. लेकिन बजट में रांची में ट्राइबल म्यूजियम खोलने की बात है. इस तरह इस बजट में झारखंड की बहुप्रतीक्षित मांग भी पूरी नहीं की गई और यहां के आदिवासियों के साथ फिर एक बार धोखा दिया गया.