रांचीः जैन धर्मावलंबियों का सबसे पवित्र स्थल सम्मेद शिखर राजनीति का अखाड़ा बनता जा रहा है. केंद्र और राज्य सरकार के बीच खुद को जैन हितैषी साबित करने की होड़ मच गई है. लेकिन सच तो यह है कि इसकी आड़ में राजनीतिक रोटी सेंकी जा रही है. दरअसल, जैन धर्मावलंबियों की मांग है कि सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल की श्रेणी से हटाकर तीर्थ स्थल की श्रेणी में डाला जाए. क्योंकि पर्यटन स्थल घोषित होने से वहां की पवित्रता प्रभावित हो रही है. नॉन वेज और शराब के सेवन का खतरा बढ़ गया है. लेकिन इस बिंदु पर काम होने के बजाए केंद्र और राज्य सरकार के बीच इको सेंसिटिव जोन को लेकर खींचतान चलती रही. इसको लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिख दिया. उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि पारसनाथ जैन समुदाय का पवित्र और पूजनीय तीर्थ स्थल है. इसलिए केंद्र सरकार को 02.08.2019 को इको सेंसिटिव जोन के रूप में जारी नोटिफिकेशन पर विचार करना चाहिए.
केंद्र का मास्टर स्ट्रोकः सीएम की तरफ से जारी चिट्ठी के जवाब में केंद्र ने भी मास्टर स्ट्रोक लगाते हुए पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य की प्रबंधन योजना के खंड 7.6.1 के प्रावधानों को तत्काल प्रभाव से सख्ती से लागू करने का आदेश जारी कर दिया(Center issues order regarding restrictions in Parasnath). इसके मुताबिक पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर शराब, ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री करना, तेज संगीत बजाना या लाउडस्पीकर का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी. यहां तक कि अनाधिकृत ट्रैकिंग और कैंपिंग पर भी रोक रहेगी. इसके अलावा अपने आदेश में केंद्र सरकार ने पारसनाथ पर्वत से इको सेंसिटिव जोन की अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगा दी है. जिसमें सभी पर्यटन और इको टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं. केंद्र ने प्रावधानों की निगरानी के लिए एक समिति गठित करते हुए, राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि उस समिति में जैन समुदाय के दो सदस्यों और एक स्थानीय जनजातीय समुदाय से एक सदस्य को स्थायी सदस्य बनाया जाए. ताकि इको सेंसिटिव जोन अझधिसूचना के प्रावधानों की प्रभावकारी निगरानी में स्थानीय समुदाय को भी शामिल किया जा सके.
केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे का बयानः केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि झारखंड में ‘श्री सम्मेद शिखर जी’ तीर्थ स्थल ही रहेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में केंद्र सरकार ने पावन तीर्थ 'सम्मेद शिखर जी' की पवित्रता को बनाए रखने की दिशा में ठोस कदम उठाया है. झारखंड में ‘श्री सम्मेद शिखर जी’ तीर्थ स्थल ही रहेगा. उसमें कोई बदलाव नहीं होगा. इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. यह स्थल सिर्फ जैन समाज के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए पवित्र स्थान है. इस मुद्दे को लेकर लगातार मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज का मार्गदर्शन व समाज के अन्य प्रतिनिधियों के संपर्क में था. मैंने उन्हें आश्वस्त किया था, श्री सम्मेद शिखर जी तीर्थ स्थल ही रहेगा. केंद्र सरकार इसे लेकर गंभीर है. हर संभव कदम उठाया जाएगा. अब इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. तीर्थ क्षेत्र में कोई निर्माण कार्य नहीं होगा और स्थल की पवित्रता बनाए रखने के लिए वहां होटल, ट्रैकिंग और नॉन वेज पर भी रोक रहेगी. बोर्ड में जैन धर्म के भी प्रतिनिधि शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि जैनधर्म ने समाज कल्याण, मानवता व आध्यात्मिक चेतना के पुनर्जागरण में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है. मुझे इसे नजदीक से अनुभव करने का सौभाग्य प्राप्त होता रहता है.
जैन मुनि प्रमाण सागर का बयानः केंद्र सरकार के फैसले के बाद जैन मुनि प्रमाण सागर ने कहा है कि अब जैन समाज को अपने आंदोलन रोक देना चाहिए और प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, पर्यावरण मंत्री के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए.
खास बात है कि केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विशेष सचिव चंद्र प्रकाश गोयल ने 23 दिसंबर 2022 को ही झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव भगत को पत्र भेजा था. उन्होंने जैन समुदाय की भावना का हवाला देते हुए 2 अगस्त 2019 को इको सेंसिटिव जोन को लेकर जारी अधिसूचना में बदलाव के लिए प्रस्ताव मांगा था लेकिन मामला लटका रहा. इस दौरान भाजपा और झामुमो के नेताओं के बीच आरोप प्रत्यारोप का भी दौर चला. शुरू में भाजपा के कई नेताओं ने यह साबित करने की कोशिश की कि पर्यटन क्षेत्र तो हेमंत सरकार ने घोषित किया है. इसके जवाब में झामुमो ने पीसी कर गजट नोटिफिकेशन की कॉपी सार्वजनिक कर बताया कि पारसनाथ को रघुवर सरकार ने 2019 में पर्यटन क्षेत्र घोषित किया था.
इसमें सबसे खास बात यह है कि जैन समुदाय दूसरे राज्यों में जब सड़क पर उतरा तो राज्य सरकार ने 21-12-2022 को गिरिडीह के डीसी को निर्देश जारी किया कि वहां शराब और मांसाहार वस्तुओं की खरीद-बिक्री पर रोक का सख्ती से पालन हो. लेकिन राज्य सरकार की यह पहल सुर्खियां नहीं बटोर पाई.