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अनुसंधान के बोझ से दबी सीबीआई, पीआरएस घोटाले की जांच से किया इंकार - सीबीआई पर काम का काफी दबाव

झारखंड में साल 2014 में हुए पोस्ट रिजर्वेशन सिस्टम घोटाले की जांच से सीबीआई ने इंकार कर दिया है. इसे लेकर सीबीआई के एसीबी मुख्यालय ने पत्राचार कर झारखंड के गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग को जानकारी दे दी है. सीबीआई ने पत्राचार में लिखा है कि डिपार्टमेंट पर काम का काफी बोझ है.

अनुसंधान के बोझ से दबी सीबीआई
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Published : Aug 30, 2019, 4:52 AM IST

रांची: झारखंड में सीबीआई महत्वपूर्ण कांडों के अनुसंधान के बोझ तले दबी है. मुकदमों के अनुसंधान के बोझ का हवाला देते हुए सीबीआई ने साल 2014 में झारखंड में हुए पोस्ट रिजर्वेशन सिस्टम(पीआरएस) घोटाले की जांच से इंकार कर दिया है.

पत्र लिखकर दी जानकारी
सीबीआई के एसीबी मुख्यालय ने इस संबंध में पत्राचार कर झारखंड के गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग को पूरे मामले की जानकारी दी है. रांची के जगन्नाथपुर थाना में 28 मई 2014 को पीआरएस घोटाला से संबंधित एफआईआर दर्ज की गई थी. राज्य सरकार के गृह विभाग ने पीआरएस के फर्जी टिकट मामले की जांच के लिए सीबीआई निदेशक को 19 सितंबर 2018 को पत्र लिखा था.

इसे भी पढ़ें:- मॉब लिंचिंग: ढाई साल बाद भी नहीं मिला इंसाफ, अब परिजनों ने की सीबीआई जांच की मांग

क्यों किया केस की अनुसंधान से इंकार
सीबीआई ने राज्य सरकार को भेजे गए पत्र में लिखा है कि सीबीआई पर काम का काफी दबाव है. राज्य में चिटफंड केस के 100 से अधिक मामले, झारखंड हाईकोर्ट और राज्य सरकार द्वारा अनुसंधान के लिए कई मामले सीबीआई को दिए गए हैं, लेकिन सीबीआई पीसीआर घोटाले की केस का अनुसंधान नहीं कर सकती, क्योंकि एजेंसी पर काम का काफी बोझ है. सीबीआई मुख्यालय द्वारा भेजे गए पत्र में जिक्र है कि सीबीआई निदेशक ने भी जांच टेकओवर नहीं करने पर अपनी सहमति दी है.

क्या है पूरा मामला
साल 2014 में पीआरएस घोटाले में जगन्नाथपुर थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी. रांची रेलवे डिविजन क्षेत्र में आने वाले पीआरएस पुलिस स्टेशन गुमला के शशिकांत भगत, दीपक कुमार बड़ाईक, शिशुपाल महतो के अलावे सिमडेगा, बीआईटी मेसरा, रजरप्पा प्रोजेक्ट रामगढ़, रांची जीपीओ और खूंटी पोस्ट ऑफिस के अज्ञात कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. जांच में रेलवे विजिलेंस टीम ने पाया था कि राज्यभर में पोस्ट ऑफिस के पीआरएस से गड़बड़ी हो रही है. पैसेंजर के बगैर रिक्यूजिशन फॉर्म भरे और बगैर पूरे नाम और पता के फर्जी रिजर्व टिकट जारी किए जाते थे. तत्काल टिकटों के रिजर्वेशन में भी पैसेंजर के स्वयं सत्यापित आईडी प्रूव नहीं लिए जाते थे.

इसे भी पढ़ें:- CBI कोर्ट में तारा शाहदेव मामले में सुनवाई, सिविल सर्जन की गवाही दर्ज

साल 2009-13 के बीच गुमला पीआरएस से ही भारी पैमाने पर इस तरह का फर्जीवाड़ा हुआ था, जिसके बाद में रांची समेत कई जगहों पर जांच की गई तो पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया. ऐसे में दक्षिण पूर्वी रेलवे मुख्यालय के आदेश पर जगन्नाथपुर थाना में राज्यभर में फर्जीवाड़े के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई थी

रांची: झारखंड में सीबीआई महत्वपूर्ण कांडों के अनुसंधान के बोझ तले दबी है. मुकदमों के अनुसंधान के बोझ का हवाला देते हुए सीबीआई ने साल 2014 में झारखंड में हुए पोस्ट रिजर्वेशन सिस्टम(पीआरएस) घोटाले की जांच से इंकार कर दिया है.

पत्र लिखकर दी जानकारी
सीबीआई के एसीबी मुख्यालय ने इस संबंध में पत्राचार कर झारखंड के गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग को पूरे मामले की जानकारी दी है. रांची के जगन्नाथपुर थाना में 28 मई 2014 को पीआरएस घोटाला से संबंधित एफआईआर दर्ज की गई थी. राज्य सरकार के गृह विभाग ने पीआरएस के फर्जी टिकट मामले की जांच के लिए सीबीआई निदेशक को 19 सितंबर 2018 को पत्र लिखा था.

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क्यों किया केस की अनुसंधान से इंकार
सीबीआई ने राज्य सरकार को भेजे गए पत्र में लिखा है कि सीबीआई पर काम का काफी दबाव है. राज्य में चिटफंड केस के 100 से अधिक मामले, झारखंड हाईकोर्ट और राज्य सरकार द्वारा अनुसंधान के लिए कई मामले सीबीआई को दिए गए हैं, लेकिन सीबीआई पीसीआर घोटाले की केस का अनुसंधान नहीं कर सकती, क्योंकि एजेंसी पर काम का काफी बोझ है. सीबीआई मुख्यालय द्वारा भेजे गए पत्र में जिक्र है कि सीबीआई निदेशक ने भी जांच टेकओवर नहीं करने पर अपनी सहमति दी है.

क्या है पूरा मामला
साल 2014 में पीआरएस घोटाले में जगन्नाथपुर थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी. रांची रेलवे डिविजन क्षेत्र में आने वाले पीआरएस पुलिस स्टेशन गुमला के शशिकांत भगत, दीपक कुमार बड़ाईक, शिशुपाल महतो के अलावे सिमडेगा, बीआईटी मेसरा, रजरप्पा प्रोजेक्ट रामगढ़, रांची जीपीओ और खूंटी पोस्ट ऑफिस के अज्ञात कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. जांच में रेलवे विजिलेंस टीम ने पाया था कि राज्यभर में पोस्ट ऑफिस के पीआरएस से गड़बड़ी हो रही है. पैसेंजर के बगैर रिक्यूजिशन फॉर्म भरे और बगैर पूरे नाम और पता के फर्जी रिजर्व टिकट जारी किए जाते थे. तत्काल टिकटों के रिजर्वेशन में भी पैसेंजर के स्वयं सत्यापित आईडी प्रूव नहीं लिए जाते थे.

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साल 2009-13 के बीच गुमला पीआरएस से ही भारी पैमाने पर इस तरह का फर्जीवाड़ा हुआ था, जिसके बाद में रांची समेत कई जगहों पर जांच की गई तो पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया. ऐसे में दक्षिण पूर्वी रेलवे मुख्यालय के आदेश पर जगन्नाथपुर थाना में राज्यभर में फर्जीवाड़े के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई थी

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रांची।

झारखंड में सीबीआई महतवपूर्ण कांडो के अनुसंधान के बोझ तले दबी है। मुकदमों के अनुसंधान के बोझ का हवाला देते हुए सीबीआई ने साल 2014 में झारखंड भर में हुए पोस्ट रिजर्वेशन सिस्टम(पीआरएस) घोटाले की जांच से इंकार कर दिया है।

पत्र लिखकर दी जानकारी

सीबीआई के एसीबी मुख्यालय ने इस संबंध में पत्राचार कर झारखंड कब  गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग को पूरे मामले की जानकारी दी है। रांची के जगन्नाथपुर थाना में 28 मई 2014 को पीआरएस घोटाला से संबंधित एफआईआर दर्ज की गई थी। राज्य सरकार के गृह विभाग ने पीआरएस के फर्जी टिकट के मामले की जांच के लिए सीबीआई निदेशक को 19 सितंबर 2018 को पत्र लिखा था।

क्यों किया केस की अनुसंधान से इंकार
सीबीआई ने राज्य सरकार को भेजे गए पत्र में लिखा है कि सीबीआई पर काम का काफी अधिक दबाव है। राज्य में चिटफंड केस के 100 से अधिक मामले, झारखंड हाईकोर्ट और  राज्य सरकार के द्वारा अनुसंधान के लिए कई मामले सीबीआई को दिए गए हैं। लेकिन सीबीआई पीसीआर घोटाले की केस का अनुसंधान नहीं कर सकती, क्योंकि एजेंसी पर काम का काफी बोझ है। सीबीआई मुख्यालय के द्वारा भेजे गए पत्र में जिक्र है कि सीबीआई निदेशक ने भी जांच टेकओवर नहीं करने पर अपनी सहमति दी है।

क्या है पूरा मामला
साल 2014 में पीआरएस घोटाले में जगन्नाथपुर थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी। रांची रेलवे डिविजन के  क्षेत्र में आने वाले पीआरएस पुलिस स्टेशन गुमला के शशिकांत भगत, दीपक कुमार बड़ाईक, शिशुपाल महतो  के अलावे सिमडेगा, बीआईटी मेसरा, रजरप्पा प्रोजेक्ट रामगढ़, रांची जीपीओ और खूंटी पोस्ट ऑफिस के अज्ञात कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। जांच में रेलवे विजिलेंस टीम ने पाया था कि राज्यभर में पोस्ट आफिस से पीआरएस से गड़बड़ी हो रही है। पैसेंजर के  बगैर रिक्यूजिशन फार्म भरे और बगैर पूरे नाम और पता के फर्जी रिजर्व टिकट जारी किए जाते थे। तत्काल टिकटों के रिजर्वेशन में भी पैसेंजर के स्वयं सत्यापित आईडी प्रूव नहीं लिए जाते थे। साल 2009- 13 के बीच गुमला पीआरएस से ही भारी पैमानें पर इस तरह का फर्जीवाड़ा हुआ। बाद में रांची समेत कई जगहों पर जांच की गई तो पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया। ऐसे में दक्षिण पूर्वी रेलवे मुख्यालय के आदेश पर जगन्नाथपुर थाना में राज्यभर में फर्जीवाड़े के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।Body:1Conclusion:2
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