रांची: बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद की मुश्किलें बढ़ाने के लिए सीबीआई ने नया दांव चल दिया है. सीबीआई की ओर से झारखंड हाई कोर्ट में जवाब पेश कर उन्होंने अदालत से लालू प्रसाद की जमानत का विरोध किया है. सीबीआई अपनी याचिका के माध्यम से लालू प्रसाद की जमानत का विरोध करते हुए कहा है कि लालू प्रसाद को दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में 7-7 साल की सजा दी गई है और निचली अदालत ने यह स्पष्ट आदेश दिया है कि दोनों सजाएं एक साथ न चल कर अलग-अलग चलेंगी, यानी कि एक सजा 7 साल की पूरी होने के बाद दूसरी सजा 7 साल की चलेगी. ऐसे में दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद को 14 साल की सजा मिली है. जिसमें अभी साढ़े 3 साल भी पूरे नहीं हुए हैं, उनकी कस्टडी की आधी सजा 7 साल जेल में रहने के बाद पूरी होती है. ऐसे में उन्हें जमानत न दी जाए.
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झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि झारखंड हाई कोर्ट में 16 अप्रैल को लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर सुनवाई होनी है. लालू प्रसाद की जमानत का विरोध सीबीआई ने किया है. जांच एजेंसी का कहना है कि दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में उन्हें 14 साल की सजा मिली है. अब सीबीआई का यह दांव कितना काम करेगा यह तो समय तय करेगा. फिलहाल सीबीआई ने जो दांव चला है, उसका क्या कुछ लालू प्रसाद की ओर से जवाब दिया जाता है? और हाईकोर्ट का उस पर क्या निर्णय होगा? यह देखना अहम होगा.
सीबीआई ने दी यह दलील
बता दें कि लालू प्रसाद की ओर से दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में एक बार जमानत याचिका खारिज होने के बाद दूसरी बार फिर से जमानत याचिका दायर की गई है. पिछली बार याचिका पर 9 अप्रैल को सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से जवाब के लिए समय मांगा गया था. अदालत ने उन्हें अपनी जवाब पेश करने के लिए समय दिया था. उसी आदेश के आलोक में सीबीआई की ओर से जवाब पेश किया गया है, जिसमें यह कहा गया है कि, लालू प्रसाद को निचली अदालत से 7-7 साल की अलग-अलग सजा काटने को कहा गया है. ऐसे में दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद की सजा 14 वर्ष की बनती है जो अभी आधी पूरी नहीं हुई है. इसीलिए उन्हें जमानत न दी जाए.